स्कूटरों में डिजाइन के मामले में कहानी मिलती-जुलती रही है, लेकिन ‘वीगो’ से ‘जूपिटर’ थोड़ा अलग जरूर है. इसका लुक ही वो सबसे खास पहलू है जो इसे वीगो से अलग करता है और उसे स्मार्ट लुक देता है.
स्कूटर के बाजार में कहानी बहुत आगे पहुंच चुकी है. जोरदार पैकेज के तौर पर एक के बाद एक स्कूटर लांच हो रहे हैं. अभी टीवीएस के ‘जूपिटर’ की खबर बासी भी नहीं हुई थी कि हीरो ने अपने स्कूटर ‘प्लेजर’ को नये अवतार में पेश कर दिया. यह बदलाव इसके लुक से थोड़ा आगे जाता है. कंपनी ने इस स्कूटर में इंटीग्रेटेड ब्रेकिंग सिस्टम लगाया है.
इस ब्रेकिंग का मतलब यह है कि दोनों ही पहियों पर एक साथ एक ताकत में ब्रेक लगता है, वो भी एक ही ब्रेक लिवर से. ऐसी तकनीक हमने होंडा के स्कूटरों में देखी थी और वे काफी मददगार भी होते हैं. दरअसल, स्कूटरों का संतुलन मोटरसाइकिलों के मुकाबले कम होता है. इसके छोटे पहियों को संभालना थोड़ा पेचीदा काम हो सकता है और ऐसे में ब्रेकिंग अच्छे से करना किसी राइडर के लिए भी चुनौती का काम हो जाता है. होंडा की चुनौती को देखते हुए हीरो ने यह बदलाव किया है. ये तो एक बदलाव है. पिछले हफ्ते एक और स्कूटर से आमना-सामना हुआ. वो था टीवीएस का नया ‘जूपिटर’, जिसे चलाने का मौका अब मिला था. इसे चला कर लगा कि आपसे इसके बारे में थोड़ी और जानकारी बांट ली जाये.
इस स्कूटर में कुछ पुरानापन है, तो काफी कुछ नया भी है. स्कूटरों के मामले में वैसे भी समस्या है कि सभी बहुत अलग नहीं दिखा पाते हैं. डिजाइन के मामले में कहानी मिलती-जुलती रहती है, लेकिन ‘वीगो’ से ‘जूपिटर’ थोड़ा अलग जरूर है. इसका लुक ही सबसे खास पहलू है, जो इसे वीगो से अलग करता है. यह पहले से थोड़ा और स्मार्ट बना है. इसमें थोड़ा और स्पोर्टी फील जोड़ा गया है. कंपनी ने इसमें पिछले हिस्से को थोड़ा बड़ा और ठोस लुक दिया है, जिससे ये लड़कों के लिए तैयार स्कूटर लगता है. ‘वीगो’ थोड़ी छोटी सवारी लगती है.
जूपिटर लड़कों या फिर थोड़े सीरियस राइडरों की सवारी हो सकती है. इसमें अपने सेगमेंट के स्कूटरों जितनी जगह भी है और साथ में बिना सीट खोले पेट्रोल भराने की सुविधा भी. फ्यूल लिड सीट के भीतर नहीं, पीछे है. कंपनी ने इसे लगभग 44 हजार रुपये के एक्स शोरूम कीमत के साथ लांच किया है. इसका माइलेज लगभग 62 किमी प्रतिलीटर बताया जा रहा है. ऐसे में कंपनी ने काफी आक्रामक पैकेज बाजार में उतारा है. ‘जूपिटर’ को मैंने चलाया तो यह मजेदार-सा ही स्कूटर लगा. इसने सीधी सड़क पर काफी संतुलन दिखाया, ब्रेकिंग की पकड़ भी अच्छी थी. साथ में ऊबड़खाबड़ रास्तों पर भी इसने अच्छी हैंडलिंग दिखायी. लगभग सभी स्कूटर कंपनियों ने अपने पोर्टफोलियो में ऐसे ही एक से ज्यादा प्रोडक्ट सजा रखे हैं. हाल में होंडा की तरफ से हमने ‘एक्टिवा आइ’ को भी देखा था, बाकी भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं. लग रहा है कि इस सेगमेंट की अभी शुरुआत ही हुई है. अभी और बदलाव बाकी है.