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टिकट की भगदड़ में ‘एजेंडा’ औंधे मुंह
आज के दौर की राजनीति कहां पहुंच गयी है, इसकी झलक टिकट को लेकर चल रही मारामारी है. चुनाव का वक्त है तो उसका तकाजा था कि राजनीतिक पार्टियां जनता के मुद्दों पर विमर्श करतीं. वे बतातीं कि सत्ता में आने पर किस कार्ययोजना के साथ काम करेंगी. वह घोषणा-पत्र पर बात करतीं. पर विडंबना […]
आज के दौर की राजनीति कहां पहुंच गयी है, इसकी झलक टिकट को लेकर चल रही मारामारी है. चुनाव का वक्त है तो उसका तकाजा था कि राजनीतिक पार्टियां जनता के मुद्दों पर विमर्श करतीं. वे बतातीं कि सत्ता में आने पर किस कार्ययोजना के साथ काम करेंगी.
वह घोषणा-पत्र पर बात करतीं. पर विडंबना देखिए कि पहले चरण की 42 सीटों पर नामजदगी के परचे दाखिल करने में अब दो दिन रह गये हैं और किसी भी दल या गंठबंधन ने अपनी कार्ययोजना पेश नहीं की है. इसकी जगह बात हो रही है कि कितने विधायकों का टिकट कटा, कौन बागी हो गया है और किसने अपनी दलीय निष्ठा बदल ली है. टिकट बेचने तक के आरोप लगाये जा रहे हैं. आखिर राजनीतिक किधर जा रही है? पढ़िए मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर आधारित यह रिपोर्ट
अजय कुमार
टिकट हुए उम्मीदवारों की नाराजगी का सामना सभी पार्टियां कर रही हैं. कई दावेदारों को भी टिकट नहीं मिला और वे अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर चल रही मारामारी ने सबको मूल एजेंडे से थोड़े पल के लिए अलग कर दिया है. पिछले सप्ताह भर से विकास का एजेंडा बाहर चला गया है. उसकी जगह ले ली है टिकट की मारामारी ने. टिकट के लिए दल-बदल खूब हो रहा है.
महागंठबंधन हो या एनडीए, बेटिकट किये गये निवर्तमान विधायकों या टिकट के दावेदारों से परेशान हैं. हालांकि महागंठबंधन ने बेटिकट हुए लोगों के बारे में आधिकारिक एलान नहीं किया है. आमतौर पर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता या नेता किसी मुद्दे को लेकर धरने पर बैठते हैं. पर इस चुनाव में राजद से लेकर भाजपा कार्यालय के सामने धरना पर बैठने वालों का मुद्दा टिकट था. राजद के भाई दिनेश की नाराजगी उन्हें बेटिकट किये जाने के खिलाफ थी तो भाजपा के संजीव मिश्र काराकाट से टिकट चाहते थे. हाल में जदयू से भाजपा में शामिल हुए राजेश्वर राज को वहां से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है.
कहां कितने हुए बेटिकट
बेटिकट होने वालों में जदयू के निर्वतमान विधायकों की तादाद सबसे अधिक हैं. वहां 28 विधायकों को टिकट नहीं मिला तो भाजपा में ऐसे विधायकों की संख्या 19 है. राजद ने भी तीन विधायकों को टिकट नहीं दिया.
राजद में बेटिकट होने वाले विधायकों की संख्या बढ़ने की संभावना है. लोजपा में भी टिकट नहीं मिलने से कई दावेदार नाराज हैं. पार्टी के सांसद रामा सिंह ने नेतृत्व में कई गंभीर आरोप लगाये और उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा भी दे दिया है. वह दूसरे दलों के संपर्क में बताये जाते हैं.
कैसे-कैसे आरोप
टिकट को बेच देने का आरोप नया नहीं है. पर साफ-सुथरी राजनीति के दावों के बीच ऐसे आरोप हैरान करने वाले हैं. लोजपा से टिकट नहीं मिला तो पूर्व विधायक रामनरेश सिंह ने आरोप लगाया कि टिकट के एवज में 50 लाख रुपये की मांग की गयी थी. सिंह अब पप्पू यादव के साथ हैं. इसी तरह दरभंगा के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने 60 लाख में टिकट बेच देने का आरोप पार्टी नेतृत्व पर लगाया है. पैसों के अलावा और भी दूसरे आरोप हैं. किसी ने नेतृत्व को गद्दार तो किसी ने धोखेबाज कहा है. आरोप लगाने वाले भले अलग-अलग दलों के हों, पर सबके आरोप एक जैसे ही हैं.
टिकट देने और काटने की कसौटी नहीं
ताजा टिकट विवाद और हंगामे की वजह राजनीतिक दलों के आचार-व्यवहार में ही निहित है. पार्टियों में लोकता¨त्रक माहौल नहीं है और न ही वे पारदर्शी तरीके से फैसले लेती हैं. टिकट देने और नहीं देने की कसौटी भी सार्वजनिक नहीं है जिससे यह पता चले कि क्यों किसी का टिकट कटा? जिनका टिकट कटा उनके सवालों का जवाब उनकी पार्टियां नहीं दे रही हैं.
दल-बदल हरियाणा की देन
दलबदलू नेताओं के लिए ‘आया राम, गया राम’ की कहावत हरियाणा की देन है. हरियाणा के हसनपुर के विधायक थे – गया लाल. 24 घंटे के भीतर वे तीन दल में शामिल हुए. पहले वे कांग्रेस से यूनाइटेड फ्रंट में गये, फिर कांग्रेस में लौटे और नौ घंटे के अंदर ही यूनाइटेड फ्रंट में शामिल हो गये. कांग्रेस के तत्कालीन नेता बीरेंद्र सिंह ने उनके बारे में कहा था, गया राम, अब आया राम है.
लोस चुनाव में भी दलबदल
2014 के लोकसभा चुनाव में जद यू ने दस सीटों पर दूसरे दल से आये नेताओं को प्रत्याशी बनाया गया था. राजद ने चार सीटों पर बाहरी उम्मीदवार दिये थे, जबकि कांग्रेस ने दो और लोजपा ने एक सीट पर ऐसे प्रत्याशी दिये थे.
जिन विधायकों का टिकट कटा
भाजपा
अमन कुमार पीरपैंती
चंद्रमोहन राय चनपटिया
सचिंद्र सिंह केसरिया
विक्रम कुंवर रघुनाथपुर
भूपेंद्र नारायण सिंह गोरेयाकोठी
किरण केसरी पूर्णिया
परमानंद्र ऋषिदेव रानीगंज
रामनरेश यादव परिहार
देवंती यादव नरपतगंज
आनंदी यादव सिकटी
पद्म पराग वेणु फारबिसगंज
सोनेलाल हेम्ब्रम कटोरिया
मुन्नी देवी शाहपुर
कन्हैया रजवार रजाैली
सुखदा पांडेय बक्सर
दिलमणि देवी ब्रह्मपुर
रश्मि वर्मा नरकटियागंज
ललन कुंवर तेघड़ा
सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा गुरूआ
जदयू
राजेश सिंह बाल्मिकिनगर
श्याम बिहारी प्रसाद नरकटिया
मीना द्वेदी गोविंदगंज
गुड्डी देवी रुन्नीसैदपुर
शालीग्राम यादव हरलाखी
सुजाता देवी पिपरा
मनोहर सिंह मनिहारी
मदन सहनी बहादुरपुर
सुरेश चंचल सकरा
राजू सिंह साहेबगंज
छोटेलाल राय परसा
संजय कुमार राजापाकर
सतीश कुमार राघोपुर
रामचंद्र सदा अलौली
अनंत सत्यार्थी मुंगेर
गजानंद शाही बरबीघा
उषा विद्यार्थी हिलसा
अरुण मांझी मसौढ़ी
श्याम बिहारी राम चेनारी
अभिराम शर्मा जहानाबाद
ललन राम कुटुंबा
ज्योति देवी बाराचट्टी
पूर्णिमा यादव नवादा
कौशल यादव गोविंदपुर
रामेश्वर पासवान सिकंदरा
वैद्यनाथ सहनी मोरवा
दाउद अली डुमरांव
कृष्णनंदन यादव अतरी
राजद
भाई दिनेश जगदीशपुर
दुर्गा प्रसाद उजियारपुर
अजय बुलगानिन मोहिद्दीनगर
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