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हौसला हो, तो दिल्ली दूर नहीं

पंकज कुमार भारतीय, सुपौलसुपौल जिले का परसरमा गांव. कुछ साल पहले इस गांव का नाम शायद दिल्लीवालों या प्रधानमंत्री ने सुना भी न हो, लेकिन बीते पांच-छह साल से करीब-करीब हर साल परसरमा गांव की उपस्थिति गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली स्थित लालकिला मैदान पर होती है. परसरमा को लालकिले तक ले जाने में […]

पंकज कुमार भारतीय, सुपौल
सुपौल जिले का परसरमा गांव. कुछ साल पहले इस गांव का नाम शायद दिल्लीवालों या प्रधानमंत्री ने सुना भी न हो, लेकिन बीते पांच-छह साल से करीब-करीब हर साल परसरमा गांव की उपस्थिति गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली स्थित लालकिला मैदान पर होती है. परसरमा को लालकिले तक ले जाने में अहम भूमिका निभायी सुपौल के बबूजन विशेश्वर बालिका उच्च विद्यालय की एनसीसी अधिकारी नीतू सिंह ने. बहुआयामी व्यक्तित्व की नीतू ने एनसीसी के अलावा खेल व संगीत के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनायी है. आदर्श गृहिणी के साथ-साथ मां के कर्तव्य का भी बखूबी निर्वहन कर रही हैं.

निम्न मध्यवर्ग परिवार में वर्ष 1967 में इनका जन्म हुआ. उस जमाने में बेटियों को घर से बाहर पढ़ाई के लिए निकलने भी न दिया जाता था, लेकिन नीतू ने रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए मध्य विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद सहरसा स्थित हाइ स्कूल में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला लिया. उच्च शिक्षा के बाद वर्ष 1984 में रमेश झा महिला महाविद्यालय में एनसीसी की सदस्यता ली. फिर शुरू हो गयी एक नयी कहानी. पहली बार उन्होंने इसी वर्ष महाविद्यालय की ओर से एनसीसी कैडेट के रूप में लालकिला मैदान पर गणतंत्र दिवस समारोह के परेड में हिस्सा लिया. यही वह मौका था, जब नीतू ने खुली आंखों से एनसीसी अधिकारी बनने का सपना देखा.

छात्राओं के लिए रोल मॉडल
लीक से हट कर कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखनेवाली छात्राओं के लिए नीतू रोल मॉडल बन गयी हैं. वह कहती हैं कि पुरुषवादी व रूढ़िवादी मानसिकता से जुड़े लोगों ने हर कदम पर उनके पैर खींचने चाहे, लेकिन उन्होंने एक बार भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. आज भी ऐसे लोगों के निशाने पर हूं, लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास को देख कर अब हमले अप्रत्यक्ष रूप से होते हैं. यात्र अधूरी है, अभी मीलों दूर चलना बाकी है.

शामिल हुईं गणतंत्र दिवस परेड में
एनसीसी अधिकारी बनने के सपने को आखिकार उन्होंने हकीकत में बदल ही डाला. नीतू अकेली और पहली बिहारी महिला हैं, जिन्हें अब तक चार बार गणतंत्र दिवस परेड समारोह में बतौर अधिकारी प्रतिनिधित्व का मौका मिला. वर्ष 2007, 2009, 2011 व 2013 में नीतू ने बिहार-झारखंड के आर्मी, नेवी व एयर विंग के 101 कैडेटों के अधिकारी के रूप में लालकिला मैदान पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. यह गर्व का विषय है कि इस मौके पर उन्हें प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने सम्मानित भी किया.

कई उपलब्धियां भी हैं
जिले का युवा महोत्सव हो या कोसी महोत्सव या फिर कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम ही. उनकी उपस्थिति के बिना वह कार्यक्रम अधूरा ही माना जाता है. हो भी क्यों न, नीतू वर्ष 2002 में हिसार (हरियाणा) में आयोजित राष्ट्रीय युवा उत्सव में बिहार की टीम की प्रभारी के रूप में प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. वर्ष 2006 में हल्दिया (पश्चिम बंगाल ) व वर्ष 2008 में बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय महिला खेल प्रतियोगिता में बिहार की टीम के कोच सह मैनेजर के रूप में उन्होंने हिस्सा लिया था.

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