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राज्य को हर हाल में डेवलपमेंट चाहिए
कौशल कुमार हार में विधानसभा चुनाव को लेकर गंठबंधन की ताजा राजनीति निराश करने वाली है. राज्य को विकास की जरूरत है. इस दिशा में अच्छा काम भी हुआ, लेकिन राज्य एक बार फिर कास्ट पॉलिटिक्स के रास्ते पर जाता हुआ दिख रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. राज्य से बाहर रहने वाले बिहार के लोग […]
कौशल कुमार
हार में विधानसभा चुनाव को लेकर गंठबंधन की ताजा राजनीति निराश करने वाली है. राज्य को विकास की जरूरत है. इस दिशा में अच्छा काम भी हुआ, लेकिन राज्य एक बार फिर कास्ट पॉलिटिक्स के रास्ते पर जाता हुआ दिख रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. राज्य से बाहर रहने वाले बिहार के लोग इससे बेहद निराश हैं.
1999 में मैंने लॉ की पढ़ाई के लिए बिहार छोड़ा था. बाद में यहीं वकालत शुरू की. तब बिहार की शिक्षा व्यवस्था में जो गिरावट थी, वह अब भी पूरी तरह ठीक नहीं हुई. वहां रोजगार की संभावनाएं अब भी सीमित हैं.
वहां के लोग छोटे-छोटे रोजगार के लिए भी दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं. अपने राज्य में ही अगर उन्हें यह काम मिले, तो वे पलायन करना कभी नहीं चाहेंगे. मेरा मानना है कि सभी दलों और नेताओं को चुनाव में अपनी राजनीति को विकास के मुद्दे पर केंद्रित रखना चाहिए. इस बार के चुनाव में विकास ही मुद्दा होगा, यह उम्मीद भी की जा रही थी, लेकिन गंठबंधनों की जो राजनीतिक दिशा वहां बनी है, उसमें विकास की अनदेखी हो रही है.
बिहार के एक बार फिर कास्ट या कॉम्यूनल पॉलिटिक्स की दिशा में बढ़ने का अंदेशा है. इसने राज्य का पहले ही इतना नुकसान किया है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है. बिहार विकास चाहता है.
मेरी तो राय होगी कि सरकार कोई भी बनाये, बस, बिहार का विकास उसका एजेंडा हो. आज बिहार हर दृष्टि से पिछड़ा है. शिक्षा का स्तर बेहद नीचे है. वहां के जो लड़के देश-दुनिया में अच्छा कर रहे हैं, यह उनकी खुद की प्रतिभा के कारण है. राज्य की शिक्षा व्यवस्था का इसमें कोई योगदान नहीं है. परीक्षा में कदाचार और भ्रष्टाचार ने देश में बिहार की छवि खराब की.
इस पर काम करने की जरूरत है. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का हाल तो और भी बुरा है. जैसे-तैसे अनुबंध पर बहाल शिक्षकों के भरोसे बच्चों के भविष्य को छोड़ दिया है. इस व्यवस्था में गुणवत्तापूर्णा शिक्षा की कल्पना तक नहीं की जा सकती. आज बिहार को हर हाल में विकास की जरूरत है. गुवत्तापूर्ण शिक्षा यहां की सबसे बड़ी चुनौती है.
इसके लिए किस दल के पास क्या ब्लू प्रिंट है, यह उन्हें जनता को बताना चाहिए और जनता को उसके गुण-दोषों को परखने के बाद ही वोट का निर्णय लेना चाहिए. कानून व्यवस्था में सुधार और उद्योगों की स्थापना ये उसके बाद के बड़े मुद्दे हैं. आज वहां न तो बड़ा कारखाना है, न अन्य ऐसा उद्योग, जो रोजगार पैदा करता हो. वहां पूंजी निवेश की माहौल नहीं है.
फिलहाल इस पर सभी दलों को सोचना चाहिए. जब बड़े उद्योगपति बिहार में पूंजी निवेश करेंगे, तो रोजगार के अवसर पैदा होंगे. लोगों की आर्थिक दशा में सुधार आयेगा. रोगजार के लिए पलायन रूकेगा और बिहार का मानव संसाधन अपने राज्य के विकास में लग सकेगा.
इसके लिए तमाम पार्टियों को उस चुनावी और राजनीतिक पैटर्न से बाहर निकलना होगा, जिसने सिर्फ उन्हें ही फायदा पहुंचाया है. राज्य को केवल नुकसान हुआ. मैं समझता हूं कि राज्य की जनता इस बात को शिद्दत से महसूस कर रही है. कास्ट पॉलिटिक्स की बजाय विकास के एजेंडे में उसे वोट करना चाहिए. यही राज्य तथा वहां के लोगों के वर्तमान व भविष्य के लिए जरूरी है.
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