अग्नि की सफलता पर तत्कालीन रक्षामंत्री केसी पंत ने पूछा कि आप पुरस्कार में क्या लेंगे? हमें रोपने के लिए एक लाख पौधे उपहार में दिला दें- ये कथन 15 अक्तूबर को जन्मे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के हैं.
अब्दुल कलाम पहले वैज्ञानिक हैं, जो भारत के राष्ट्रपति बने. उन्हें बचपन से ही काल्पनिक कहानियां पढ़ने में आनंद आता था. पिता नाविक थे. अब्दुल कलाम सयुंक्त परिवार में रहते थे. स्वयं पांच भाई व पांच बहन थे. इनकी दादी एवं मां द्वारा ही पूरे परिवार की परवरिश की जाती थी. इनके घर में खुशियां भी थीं, तो मुश्किलें भी थी. अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा.
जब मां के गले से लिपट गये
एक दिन वे भाई-बहनों के साथ खाना खा रहे थे. उनके घर में चावल अधिक होने की वजह से खाना में रोटी कम दिया जाता था. उस दिन खाने के समय इनकी मां ने इनको रोटियां ज्यादा दे दीं. बाद में जब कलाम को यह पता चला कि मां के लिए एक भी रोटी नहीं हैं, तो दौड़कर मां के गले से लिपट गये और भविष्य में जिम्मेवार बनने का प्रण लिये. उनका बचपन अभाव में बीता. उनके घरों में बिजली नहीं थी और केरोसिन तेल के दीपक जला करते थे, जिनका समय रात्रि 7 से 9 तक नियत था. लेकिन अपनी माता के अतिरिक्त स्नेह के कारण पढ़ाई करने के लिए रात के 11 बजे तक दीपक का उपयोग करते थे.
पढ़ाई के साथ कमाई
इतिहास में बहुत कम लोग होते हैं, जो गरीब परिवार में पैदा हो कर भी शिखर पर पहुंचते हैं. अब्दुल कलाम जब आठ-नौ साल के थे, तब से सुबह चार बजे उठते थे और स्नान करने के बाद गणित के अध्यापक के पास गणित पढ़ने चले जाते थे. जो विद्यार्थी स्नान करके नहीं आता था, वह उसे नहीं पढ़ाते थे. अब्दुल कलाम ट्यू्शन पढ़ कर आने के बाद पिता के साथ नमाज पढ़ते थे. फिर कुरान शरीफ का अध्ययन करने के लिए मदरसा जाते थे. इसके पश्चात अब्दुल कलाम रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे. इस प्रकार इन्हें तीन किलोमीटर जाना पड़ता था. अब्दुल कलाम अखबार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़ कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे. शाम को स्कूल से लौटने के बाद पुन: रामेश्वरम जाते थे, ताकि ग्राहकों से बकाया पैसा प्राप्त कर सकें.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिये उन्हें बहन का गहना तक गिरवी रखना पड़ा. इस घटना के बाद से उन्हें यह सीख मिली कि यदि इरादे बुलंद हों, संकल्प सच्च हो, तो भगवान कहीं-न-कहीं मदद अवश्य भेजते हैं. अब्दुल कलाम एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आये, तो इसके पीछे इनके पांचवीं कक्षा के अध्यापक सुब्रहमण्यम अय्यर की प्रेरणा थी. उन्होंने समुद्र के किनारे मौजूद पक्षियों के उड़ने के संबंध में प्रत्येक क्रिया को साक्षात अनुभव के आधार पर समझाया. उसी समय वे भी उड़ान में कैरियर बनाने का सपना देखने लगे.