22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

निजी जिंदगी में कई चीजों के शौकीन हैं अमिताभ

अमिताभ बच्चन जिंदगी को पूरी शिद्दत से जीते हैं. वे अपनी जीवनशैली और खानपान में भले ही सादगी पसंद करते हो, लेकिन निजी जिंदगी में कई चीजों के शौकीन भी हैं. चांदी के बरतन में भोजनअमिताभ अपने घर आये मेहमान का स्वागत बेहद पारंपरिक अंदाज में करते हैं. वे चांदी के बरतन में ही भोजन […]

अमिताभ बच्चन जिंदगी को पूरी शिद्दत से जीते हैं. वे अपनी जीवनशैली और खानपान में भले ही सादगी पसंद करते हो, लेकिन निजी जिंदगी में कई चीजों के शौकीन भी हैं.

चांदी के बरतन में भोजन
अमिताभ अपने घर आये मेहमान का स्वागत बेहद पारंपरिक अंदाज में करते हैं. वे चांदी के बरतन में ही भोजन परोसते हैं. उनका मानना है कि इससे भोजन का स्वाद बढ़ जाता है. अमिताभ घर आये खास मेहमानों को खुद अपने हाथों से खाना परोसते हैं. अमिताभ की यह कोशिश होती है कि वे पूरे दिन में कम-से-कम एक बार पूरे परिवार के साथ भोजन जरूर करें.

कलाई की घड़ी
अमिताभ बच्चन को कलाई घड़ियां कलेक्ट करना बेहद पसंद हैं. उनका पसंदीदा ब्रांड लॉनजिनेंस हैं. अमिताभ ने एक बार दोनों कलाइयों में घड़ी पहन ली थी, मगर वो भी किसी स्टाइल स्टेटमेंट से कम नहीं था. उनके घर में बकायदा घड़ियों के कलेक्शन के लिए बिल्कुल अलग जगह बनायी गयी है, जहां वे अपनी घड़ियों को सजा कर रखते हैं.

कार
बिग बी कार के भी बड़े शौकीन हैं. उनके पास लगभग 14 कारें हैं. अमिताभ जब कोलकाता में जॉब करते थे और उन्हें महज 500 रुपये तनख्वाह मिला करती थी, तब भी उनके पास सेकेंड हैंड फियेट थी. अमिताभ को हमेशा से कार का शौक रहा है. फियेट हमेशा उनका पसंदीदा ब्रांड रहा. इसके अलावा उन्हें लेक्सेस कार भी पसंद है. अमिताभ के पास लगभग तीन बीएमडब्ल्यू व तीन मर्सिडीज कार हैं. जगह न रहने के कारण अमिताभ अपनी कई कारें होटल जे डब्ल्यू मैरियट में पार्क करते हैं. उनकी कई कारें बुलेटप्रूफ भी हैं.

कलम

अमिताभ को कलम एकत्रित करने का भी हमेशा से शौक रहा है. वे बचपन से ही कलम इकट्ठा करते थे. उनके पास दुनिया के विभिन्न देशों के अदभुत कलम हैं. वे जिस शहर में भी जाते हैं, वहां की कलम जरूर खरीदते हैं. उनके पास लगभग हजार से भी ज्यादा कलमों का संग्रह है.

शॉल
अमिताभ को शॉल एकत्रित करने में भी काफी दिलचस्पी है. आमतौर पर वे घर पर कुरता-पायजामा और शॉल ओढ़ना ही पसंद करते हैं. कई कार्यक्रमों में भी उन्हें शॉल ओढ़े देखा जा सकता है. फिल्म ‘सत्याग्रह’ में भी वे शॉल ओढ़े नजर आये थे.

सूट

अमिताभ बच्चन सूट के भी शौकीन हैं. उन्हें सबसे ज्यादा गबाना के सूट पसंद हैं. वे पिछले 30 साल से उनके सूट पहनते आ रहे हैं. उनके सूट को तैयार करने के लिए फैबरिक्स इटली से मंगाये जाते हैं. इस पर फ्रांस के धागों और इंग्लैंड के बटन का इस्तेमाल होता है.

घूमना-फिरना

अमिताभ को लंदन घूमना बेहद पसंद है. वे लंदन जाने पर वहां के सबसे महंगे होटल ‘संत जेम्स कोर्ट’ में ठहरना पसंद करते हैं.


रेस्टोरेंट

अमिताभ जब नॉन वेजीटेरियन थे तो जूहू स्थित महेश लंच होम उनका पसंदीदा रेस्टोरेंट था. वहां वे सी फूड खाना पसंद करते थे.

पुरानी चीजों का संग्रह

अमिताभ अपनी जिंदगी को पूरी तरह व्यवस्थित तरीके से रखना पसंद करते हैं. वे पुरानी चीजों को कबाड़ नहीं मानते. उन्होंने अपने पिता की सारी रचनाओं को संग्रहित किया है. वे अपने माता-पिता से जुड़ी छोटी-से-छोटी वस्तु को संजो कर रखते हैं. इसके अलावा अमिताभ को उनके फैन जो भी वस्तु या तोहफे प्यार से देते हैं, उन्हें भी वह अपने ऑफिस या घर की दीवारों पर सजाना पसंद करते हैं.

इलाहाबाद टू मुंबई वाया कोलकाता

अमिताभ बच्चन का जन्म इलाहाबाद में हुआ. उन्होंने अपना बचपन यही बिताया. बाबूजी हरिवंशराय बच्चन व मां तेजी बच्चन की परवरिश में उन्होंने दुनिया देखी. वह बाबूजी के साथ साइकिल पर बैठ कर स्कूल जाया करते थे. इसके बाद अमिताभ दिल्ली चले आये, जहां उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज से उच्च शिक्षा की डिग्री ली. कॉलेज में उन्होंने कई नाटकों में हिस्सा लिया, जहां से उनका रुझान अभिनय की तरफ बढ़ा. दिल्ली में उनका अपना पुस्तैनी मकान भी है, जिसका नाम ‘सोपान’ है. आज भी अमिताभ दिल्ली जाते हैं, तो अपने घर में वक्त बिताना पसंद करते हैं. इसके बाद अमिताभ को जिंदगी कोलकाता ले आयी, जहां उन्होंने शिपिंग फर्म में काम करना शुरू किया. उन्हें यहां 500 रुपये वेतन मिलता था. उन्होंने कोलकाता में ही अपनी जिंदगी की पहली कार ली, जो सेकेंड हैंड फियेट थी. कोलकाता के बाद उन्होंने मुंबई की तरफ रुख किया, जो उनकी कर्मभूमि बनी. अमिताभ ने मुंबई में आकर एक लंबे संघर्ष का दौर देखा. धीरे-धीरे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को उनकी प्रतिभा का ज्ञान हुआ और मुंबई शहर ने ही उन्हें ‘शहंशाह’ का ताज पहना दिया. आज मुंबई का जुहू इलाका अमिताभ के बंगले केकारण शहर का सर्वाधिक लोकप्रिय स्थल है.

महमूद से टीनू तक ने की मदद

अमिताभ इस लिहाज से काफी भाग्यशाली रहे कि उन्हें हमेशा अच्छे दोस्तों का साथ मिला. अमिताभ के भाई अजिताभ बच्चन ही वह पहले शख्स थे, जिन्होंने अमिताभ की तसवीर ख्वाजा अहमद अब्बास तक पहुंचायी थी. उन्होंने ही अमिताभ को अपनी फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ में पहला ब्रेक दिया. हालांकि फिल्म नहीं चली. इसके बाद भी उनकी कई फिल्में आयीं, मगर कमाल नहीं दिखा सकीं. ऐसे बुरे वक्त में उन्हें मशहूर कॉमेडियन महमूद का साथ मिला. महमूद ने अपनी फिल्म ‘बांबे टू गोवा’ में न सिर्फ अमिताभ को मौका दिया, बल्कि उन्हें अपने घर में भी शरण दी. दरअसल, महमूद के भाई अनवर अली और अमिताभ काफी अच्छे दोस्त थे. अनवर के कहने पर ही महमूद ने उनकी मदद की. अमिताभ को मिली कामयाबी का काफी श्रेय उनकी पत्नी जया बच्चन को भी जाता है. उन्होंने अमिताभ का साथ उस वक्त दिया जब वह कामयाब नहीं थे. जया बच्चन के कहने पर ही अमिताभ को ऋषिकेश मुखर्जी की कई फिल्मों में काम करने का मौका मिला. जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ बॉलीवुड के शीर्ष पर जा पहुंचे. 90 के दशक में एक बार फिर उन्हें नाकामयाबियों ने घेर लिया. उस वक्त उन्हें टीनू आनंद ने सहारा दिया. अमिताभ जब आर्थिक रूप से काफी बुरी स्थिति में थे, उस वक्त नेता अमर सिंह ने उनका साथ निभाया. अमिताभ भी मानते हैं, कि उनकी सफलता में परिवार व दोस्तों का काफी अहम रोल है. वह सफलता में माता-पिता के संस्कारों का भी योगदान मानते हैं.

इनकलाब से विजय तक

अमिताभ की जिंदगी में नामों का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है. अमिताभ का जन्म 1942 में हुआ था. वह दौर अंगरेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई का था. उनकी मां तेजी बच्चन गर्भवती होने के बावजूद स्वतंत्रता आंदोलनों में भागीदारी करती थीं, इसी कारण अमिताभ का नाम पहले इनकलाब रखा गया. हालांकि बाद में हरिवंश राय बच्चन के मित्र और प्रसिद्ध कवि सुमित्र नंदन पंत के सुझाव पर उनका नाम अमिताभ रख दिया गया. अधिकतर फिल्मों में उनका नाम विजय रखा गया. बॉलीवुड में अमिताभ को कई उपनाम भी दिये, इसमें बिग बी, शहंशाह, सदी का महानायक जैसे कई नाम शामिल हैं.

बिग बी के डायलॉग्स

आज खुश तो बहुत होगे तुम. जो आज तक तुम्हारे मंदिर की सीढ़ियां नहीं चढ़ा, जिसने कभी तुम्हारे सामने हाथ नहीं जोड़े वो आज तुम्हारे सामने हाथ फैलाये खड़ा है.

– दीवार (जावेद अख्तर)

हम भी वो हैं, जो कभी किसी के पीछे खड़े नहीं होते. जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है.

– कालिया (इंदर राज आनंद)

विजय दीनानाथ चौहान पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उमर 36 साल, नौ महीना, आठ दिन, सोलहवां घंटा चालू है.

– अग्निपथ (कादर खान)

जब तक बैठने को ना कहा जाये, शराफत से खड़े रहो. ये पुलिस स्टेशन है, तुम्हारे बाप का घर नहीं.

– जंजीर (सलीम-जावेद)

तुम लोग मुझे ढूंढ़ रहे हो और मैं तुम्हारा यहां इंतजार कर रहा हूं. इसे अपनी जेब में रख ले पीटर, अब ये ताला मैं तेरी जेब से चाबी निकाल कर ही खोलूंगा.

– दीवार (जावेद अख्तर)

मूछें हो तो नत्थूलाल जैसी, वरना ना हो.

-शराबी (कादर खान)

डॉन का इंतजार, तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है, सोनिया मगर एक बात समझ लो, डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

– डॉन (सलीम-जावेद)

तुम्हारा नाम क्या है.. बसंती.

– शोले (जावेद अख्तर)

मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता.

– दीवार (जावेद अख्तर)

रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं, नाम है शहंशाह.
– शहंशाह (इन्दर राज)

सही बात को सही वक्त पे किया जाये, तो उसका मजा ही कुछ और है, और मैं सही वक्त का इंतज़ार करता हूं.

– त्रिशूल (जावेद अख्तर)

आपने जेल की दीवारों और जंजीरों का लोहा देखा है, जेलर साहब. कालिया की हिम्मत का फौलाद नहीं देखा.

-कालिया (इंदर राज आनंद)

बचपन से है सर पर अल्लाह का हाथ, और अल्लाह रखा है मेरे साथ. बाजू पर है 786 का बिल्ला, बीस नंबर की बीड़ी पीता हूँ, काम करता हूं कुली का और नाम है इकबाल.

– कुली (कादर खान)

मर्द को कभी दर्द नहीं होता.

– मर्द

ये टेलीफोन भी अजीब चीज़ है. आदमी सोचता कुछ है, बोलता कुछ है और करता कुछ है.

– अग्निपथ (कादर खान)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें