।।दक्षा वैदकर।।
क्या आपने कभी सोचा है कि जिस तरह हम कैटलॉग देख कर खाना ऑर्डर करते हैं, उसी तरह ऑफिस के कर्मचारियों का भी ऑर्डर कर सकते, तो कितना अच्छा होता. चयन प्रक्रिया कितनी आसान हो जाती. अगर सचमुच ऐसा होता, तो हम कौन-कौन-से गुणोंवाला कर्मचारी चुनते. वह ईमानदार व मेहनती हो, आदेशों का पालन करे, सकारात्मक सोच रखे, काम में दक्ष हो, समय का पाबंद हो और जो काम दिया जाये, उसे निपुणता से कर दे. बस यही न! लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदर्श कर्मचारी भी तभी इन सारे गुणों के साथ काम कर पायेगा, जब उसके आसपास का माहौल उसे अच्छा मिलेगा. अगर आप लीडर हैं, तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप उस कर्मचारी से कैसा बरताव करते हैं.
यदि आप शालीन व विचारशील हैं, तो वह देर रात तक और मेहनत से काम करेगा. अगर आप अभद्र और निष्ठुर हैं, तो वह जिद्दी और विद्रोही हो जायेगा. आप उसकी तारीफ कीजिए कि वह कितना चतुर है, तो वह और चतुराई से काम करेगा. आप उसे सुस्त, मूर्ख या गैर जिम्मेवार कह कर पुकारिये, तो वह और विद्रोही हो जायेगा. उसे कहिए कि आप उससे प्यार करते हैं, तो वह पूरी रात आपकी समस्याएं सुलझाता रहेगा. आप उसे बेवजह परेशान करें और कहें कि आप उसे प्यार नहीं करते, तो वह इतना कुंठित हो जायेगा कि वह आपको एक दिन का भी समय नहीं देगा.
अब बारी है कैटलॉग से बॉस चुनने की. आप कैसा बॉस चाहते हैं? वह आपकी समस्याएं सुने. आपको फ्री हो कर काम करने दे. आपसे गलती हो जाये, तो सबके सामने आप पर चिल्लाये नहीं. आपकी छुट्टी पर रोक न लगाये. प्रोमोशन दे. इन गुणों के बारे में एक बार सोचे. बॉस आपके साथ कैसा व्यवहार करता है, यह भी आप पर निर्भर करता है. यदि आप सहकर्मियों के साथ मिल कर बॉस की बुराई करेंगे, उनको कर्मचारियों में भेदभाव करनेवाला कहेंगे, उनका नाम सेक्रेटरी के साथ जोड़ेंगे, ऐसा कहेंगे कि खुद को तो कुछ आता नहीं और बस ऑर्डर चलाता है, आप गलती करेंगे और उसे मानने की बजाय बहाने गिनायेंगे, तो आपको क्या लगता है आपका बॉस आपसे अच्छा व्यवहार कर पायेगा?
बात पते कीः
हमें कैसे कर्मचारी मिलते हैं, यह भी हम पर निर्भर करता है और हमें कैसा लीडर मिलता है, यह भी हम पर ही निर्भर करता है. बेहतर है खुद को सुधारें.
कोई भी इनसान परफेक्ट नहीं होता. उसे परफेक्ट माहौल बनाता है. आपको जैसा गुण सामनेवाले इनसान में चाहिए, वैसा माहौल उसे देना होगा.