भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने गुजरात से दिल्ली की ओर भले कूच कर दिया हो, लेकिन उनकी राह में अभी कई मुश्किलें हैं. इन मुश्किलों को दूर करने और मोदी के ख्वाब को हकीकत में बदलने का दारोमदार उनके कुछ अहम सिपहसालारों के कंधे पर है. मोदी के ऐसे ही नौ खास सिपहसालारों पर केंद्रित विशेष आवरण कथा.
भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने मिशन-2014 की राह सियासी कांटों से भरी है. आगामी चुनावी महासमर में इन कांटों से पार पाने के लिए मोदी ने अपने खास सिपहसालारों को जिम्मेवारियां सौंपी हैं. टीम मोदी के ‘नवरत्नों’ की एक झलक.
अरुण जेटली
मोदी की मजबूत ढाल
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली और नरेंद्र मोदी के बीच खूब जमती है. मोदी के सद्भावना उपवास कार्यक्रम के दौरान जेटली ने सार्वजनिक तौर पर मंच से कहा था कि उनके और मोदी के बीच हर दिन फोन पर बातचीत होती है. उल्लेखनीय है कि जेटली गुजरात से ही राज्यसभा सांसद हैं. गुजरात विधानसभा चुनावों में भी जेटली की काफी सक्रिय भूमिका रही है. इशारों ही इशारों में सबसे पहले जेटली ने ही मोदी की पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए माहौल बनाया था और बाद में अन्य शीर्ष नेताओं को मोदी के पक्ष में लामबंद किया. 2002 के दंगे के बाद से ही वह मोदी की मजबूत ढाल बने हुए हैं.
आनंदी बेन
सीएम इन वेटिंग
राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के बढ़ते कदम के बीच गुजरात की राजस्व मंत्री आनंदी बेन पटेल को ‘सीएम इन वेटिंग’ के तौर पर देखा जा रहा है. आगामी विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव के मद्देनजर नरेंद्र मोदी पार्टी के प्रचार के लिए अब ज्यादा वक्त गुजरात से बाहर गुजार रहे हैं. उनकी अनुपस्थिति में आनंदी बेन राज्य के राज-काज एवं अहम निर्णयों में सक्रिय भूमिका निभाती नजर आ रही हैं. हाल के दिनों में आनंदी बेन ने ही कैबिनेट बैठक की अगुवाई की और राज्य के शहरी गरीबों के लिए 22 लाख आवास योजना को हरी झंडी दी. राज्य की राजनीति पर पैनी निगाह रखनेवाले राजनीतिक विश्लेषक मणिलाल पटेल कहते हैं, ‘आनंदी बेन नरेंद्र मोदी के लिए वैसी ही हैं, जैसे सोनिया गांधी के लिए मनमोहन सिंह.’ तीन दशक से मोदी की भरोसेमंद रहीं आनंदी बेन को शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, शहरी विकास एवं राजस्व विभाग की कमान दी गयी, ताकि उनका ग्रासरूट स्तर पर संपर्क बढ़ सके. वैसे आनंदी बेन के अलावा, राज्यसभा सांसद पुरुषोत्तम रूपाला, वित्त मंत्री नितिन पटेल, ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल भी मोदी के भरोसेमंद सिपहसालार के तौर पर जाने जाते हैं. अगर किसी कारणवश आनंदी बेन का नाम कटता है, तो इनमें से कोई चेहरा आगे बढ़ सकता है.
वी सतीश
संगठन का दारोमदार
भाजपा के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री वी सतीश मोदी के कुछ भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं. मोदी की अगुवाई वाली चुनाव प्रचार समिति के सदस्य वी सतीश संघ से बीजेपी में आये हैं. मोदी का सतीश पर भरोसे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे में वह अहम भूमिका निभाते नजर आये थे. टिकट बंटवारे को लेकर मोदी सहित पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उनकी सिफारिशों को तवज्जो दी. वी सतीश से मोदी के रिश्ते बेहद मधुर हैं, लिहाजा वह संगठन के मामलों की जिम्मेवारी काफी हद तक निभाते नजर आ रहे हैं.
अमित शाह
मोदी के हनुमान
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अमित शाह का गुजरात के बाहर पार्टी का महासचिव बनना कोई संयोग नहीं, बल्कि मोदी के राष्ट्रीय फलक पर आने की तैयारी थी. मोदी के चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभालते ही शाह को लोकसभा सीटों के हिसाब से सबसे बड़े राजनीतिक सूबे उत्तर प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताने की जिम्मेवारी सौंपी गयी. 2002 में गुजरात में गृह मंत्रालय के साथ ही 10 अहम विभागों की कमान संभालनेवाले अमित शाह मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं और पार्टी के नेता उन्हें मोदी का हनुमान कहते हैं. दरअसल, अमित शाह को सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ में हत्या, आपराधिक षड्यंत्र व अन्य धाराओं में आरोपी होने के कारण मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री पद नहीं मिल सका. जानकार बताते हैं जैसे महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र ने शरद पवार को राजनीतिक तौर पर मजबूत किया, ठीक उसी तरह गुजरात में शाह को. देखना दिलचस्प होगा कि गुजरात में चुनावी प्रबंधन में सफल रहे अमित शाह यूपी में पार्टी को कितनी सफलता दिला पाते हैं.
राजेश जैन
सोशल मीडिया के सेनापति
पिछले गुजरात चुनाव में मोदी के हाइटेक अंदाज से देश परिचित हो चुका है. मोदी अपनी बातों को रखने और विरोधियों को साधने के लिए सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के प्रचार अभियान की कमान और पीएम पद की उम्मीदवारी संभालने के बाद वह इस माध्यम को एक मजबूत राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं. मोदी ने 2014 आम चुनाव के लिए सोशल मीडिया के जरिये प्रचार अभियान चलाने की जिम्मेवारी राजेश जैन की दी है. जैन के साथ ही बीजी महेश की भी भूमिका अहम है. ये दोनों डॉटकॉम के पोस्टर बॉय के तौर पर प्रसिद्ध हैं. इन्होंने बेंगलुरु में सौ तकनीकी दक्ष लोगों के साथ एक टीम गठित की है, जो मोदी के सोशल मीडिया के जरिये प्रचार अभियान को प्रभावी बना रही है.
मोदी में विजन के साथ ही उसे क्रियान्वित करने की काबिलीयत है. उन्हें हरेक समस्या का सामाधान पता है. उनके हर भाषण में हर क्षेत्र के बारे में उनकी जानकारी सामने आ रही है. वे कामचलाऊ नेता नहीं हैं. उनके खिलाफ नकारात्मक दुष्प्रचार को पहले गुजरात ने झुठलाया और अब पूरे देश की जनता झुठलाती नजर आ रही है.
मधु किश्वर, वरिष्ठ पत्रकार व मोदीनामा किताब की लेखक