इंटरनेट का प्रयोग आज हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है. इसने ऑफिस से लेकर रोजमर्रा तक के कई कामों को आसान बना दिया है. तकनीक के इस आविष्कार पर लोगों की निर्भरता दिन-ब-दिन बढ़ रही है. लेकिन जब बात आती है इंटरनेट के प्रति अपने विचार व्यक्त करने की, तो हर सात में से एक उपभोक्ता सोचता है कि काश! दुनिया में इस प्रकार का आविष्कार कभी न हुआ होता.
इसमें कोई दोराय नहीं कि इंटरनेट ने हमारे जीवन को काफी आसान बना दिया है. आज हम यात्र के लिए टिकट बुक कराने और मोबाइल का बिल भरने से लेकर शॉपिंग करने तक जैसे कई छोटे-बड़े काम इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे ही कर लेते हैं. इसी के चलते इंटरनेट पर लोगों की निर्भरता दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है, लेकिन बात जब इस तकनीक के आविष्कार के प्रति अपने विचार व्यक्त करने की आती है तो इंटरनेट पर निर्भर रहनेवाले उपभोक्ता भी इसके प्रयोग को अपनी पसंद बनाने से इनकार कर देते हैं. इतना ही नहीं, उपभोक्ताओं के मन में यह बात भी रहती है कि दुनिया में कभी भी इस प्रकार की तकनीक का आविष्कार नहीं होना चाहिए था.
निर्भरता ने बना दिया है लापरवाह
दिल्ली की एक प्राइवेट फर्म में काम करनेवाली विभा शर्मा उन इंटरनेट उपभोक्ताओं में से एक हैं, जो रोजाना इसका इस्तेमाल करती हैं. फिर भी इंटरनेट से लगाव के बारे में वे इसका पक्ष नहीं लेना चाहतीं. विभा कहती हैं कि तकनीक का यह आविष्कार हमें लापरवाह बनाता जा रहा है. यह सच है कि इंटरनेट हमें एक ही जगह पर बैठे हुए दुनिया भर से जोड़ देता है, लेकिन इस पर हमारी निर्भरता इतनी बढ़ती जा रही है कि हम छोटे-छोटे प्रश्नों के उत्तर भी अपने ज्ञान के बल पर नहीं ढ़ूंढ़ना चाहते. दिमाग पर जोर देने से बेहतर लगता है कि इंटरनेट से तुरंत जवाब ढ़ूंढ़ लो.