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हम सबके प्यारे बापू

महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि शांति और अहिंसा के प्रतीक हैं. महात्मा गांधी ने जिस प्रकार अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंगरेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, वैसा उदाहरण इतिहास में विरले ही मिलता है. यही कारण है कि टाइम मैगजीन ने उन्हें 1930 में ही ‘मैन ऑफ द इयर’ […]

महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि शांति और अहिंसा के प्रतीक हैं. महात्मा गांधी ने जिस प्रकार अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंगरेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, वैसा उदाहरण इतिहास में विरले ही मिलता है. यही कारण है कि टाइम मैगजीन ने उन्हें 1930 में ही ‘मैन ऑफ द इयर’ की उपाधि दी थी. गांधी जी सभी के प्यारे थे. यही कारण है कि बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी उन्हें प्यार से ‘बापू’ कहते हैं. गांधी जयंती (दो अक्तूबर) के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों से आपको जोड़ रहे हैं विजय झा.

ऐसे महापुरुष विरले ही मिलेंगे, जो मरने के कई दशकों बाद भी लोकप्रियता के शिखर को छू रहे हैं. महात्मा गांधी ऐसी ही शख्सियतों में एक हैं. हाल ही में 16वें ग्लोबल सीइओ सर्वे ने गांधी जी को दुनिया के टॉप थ्री शख्सीयतों में रखा है. यह बताता है, कि दुनिया आज भी गांधी जी के आदर्शो व सिद्धांतों से प्रभावित है. महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा भी था कि हजार साल बाद आनेवाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इनसान धरती पर कभी आया था.

104 देशों में डाक टिकट के हीरो
डाक टिकटों के मामले में गांधी जी विश्व के सबसे बड़े हीरो है. विश्व में अकेले गांधी ही ऐसे लोकप्रिय शख्सीयत हैं, जिन पर लगभग 104 देशों ने डाक टिकट जारी किया है. ब्रिटेन ने जब पहली बार किसी महापुरुष पर डाक टिकट निकाला तो वह महात्मा गांधी ही थे. इससे पहले ब्रिटेन में डाक टिकट पर केवल राजा या रानी के ही चित्र छापे जाते थे. गांधी जी पर डाक टिकट जारी करने का फैसला सबसे पहले साल 1948 में लिया गया था.

युवाओं के बने आदर्श
आज हर युवा गांधी जी के आदर्शो पर चलना चाहता है. उनका संघर्ष हर युवा को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. इंटरनेट के युग में भी उनकी प्रासंगिकता घटने के बजाय बढ़ रही है. इंटरनेट पर जन्म दिवस के दिन गांधी जी सबसे अधिक सर्च किये जाते हैं. उस दिन हर सोशल साइट पर गांधी जी ही छाये रहते हैं. युवावस्था में साधनहीन होने के बावजूद बेहतर रिजल्ट लाने में वे हमेशा आगे रहे. वे कहते थे कि अगर ईमानदारी से लक्ष्य बनाया जाये और उस पर सही से अमल किया जाये तो कोई कार्य असंभव नहीं. आत्मबल मजबूत हो तो एक पत्थर की भी तकदीर संवर सकती है. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि महान संत महात्मा गांधी हम सबके लिए प्रासंगिक हैं, कल भी थे और आनेवाले कल में भी बने रहेंगे. महान वही होते हैं, जिनका महत्व हर युग में रहे.

बचपन एक पाठशाला है
वैसे तो हर महान लोगों से बच्चे सीख लेते हैं, लेकिन महात्मा गांधी इनमें सबसे अधिक लोकप्रिय व आकर्षक हैं. उनका बचपन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा. पढ़ने में मेधावी न होने के बावजूद उन्होंने वह सब कुछ आत्मबल से प्राप्त किया, जो हर मेधावी का सपना होता है. एक परीक्षा के परिणाम में गांधी जी को अंगरेजी में अच्छा, अंकगणित में ठीक-ठाक, भूगोल में खराब, चाल-चलन में बहुत अच्छा, लिखावट में खराब बताया गया था.

वह पढ़ाई व खेल, दोनों में ही अच्छे नहीं थे. बीमार पिता की सेवा करना, घरेलू कामों में मां का हाथ बंटाना और समय मिलने पर दूर तक अकेले सैर पर निकलना, उन्हें पसंद था. वह किशोरावस्था में शरारत भी खूब करते थे. लेकिन उनमें अच्छी बात यह थी कि हर ऐसी नादानी के बाद वह स्वयं वादा करते ‘ फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा’ और अपने वादे पर अटल रहते. उनमें आत्म सुधार की भावना थी. उनके आदर्श प्रहलाद और राजा हरिश्चंद्र थे. इंग्लैंड में गांधी जी ने अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लिया और लंदन यूनिवर्सिटी की मैट्रिकुलेशन परीक्षा में बैठ कर अंगरेजी तथा लैटिन भाषा को सुधारने का प्रयास किया.

यह भी जानो
इसी साल ग्लोबल सीइओ सर्वे में गांधीजी विश्व के टॉप थ्री शख्सीयत में थे.
1930 में टाइम मैगजीन ने इन्हें ‘मैन ऑफ द इयर’ के लिए चुना.
विश्व में जोहान्सबर्ग ही ऐसी जगह है, जहां युवा महात्मा गांधी की प्रतिमा है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर सर्वाधिक डाक टिकट उनके जन्म शताब्दी वर्ष 1969 में जारी हुए थे.
अमेरिका ने टिकट -चैंपियंस ऑफ लिबर्टी सीरीज के तहत जारी किये थे.
गांधी को महात्मा की उपाधि सबसे पहले रवींद्र नाथ टैगोर ने दी.
गांधी जी ने ही टैगोर को गुरुदेव की उपाधि दी थी.

गांधी जी के जन्मदिवस को भारत में नेशनल होली डे के रूप में मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की. नरसी मेहता ने ही ‘वैष्णव जन ते तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणो रे’ भक्ति गीत की रचना की थी, गांधी जी का प्रिय भजन है.

सब काजै हाथ लगाई मोरा
एक बार गांधी जी टैगोर से मिलने शांति निकेतन गये. टैगोर के शांति निकेतन की व्यवस्था से वे संतुष्ट नहीं थे. वहां कार्य करने के लिए कई तरह के नौकर थे. गांधी जी चाहते थे कि स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ-साथ अपना काम स्वयं करे. तभी वह खुद का विकास कर सकते हैं. जब यह बात टैगोर को बतायी गयी, तो वे तुरंत इसके लिए राजी हो गये और बोले- ‘सब काजै हाथ लगाई मोरा’. यह घोषणा 10 मार्च,1915 को की गयी, इस दिन को टैगोर आश्रम ने गांधी दिवस के रूप में घोषित किया.

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