कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा ऐप विकसित किया है जो आपके मूड को भांपकर बताता है कि आप कितने खुश हैं और कितने गुमसुम.
हालांकि यूजर्स के मूड का पता लगाने वाले कुछ ऐप पहले से मौजूद है. मगर कैम्ब्रिज कंप्यूटर लेबोरेट्री की इस टीम का मानना है कि यह ऐसा पहला ऐप है जो यूजर्स का मिजाज जानने के लिए उनके बारे में फोन में डाली गई जानकारियों और फोन के सूचना स्रोत का एक जगह एक साथ इस्तेमाल कर रहा है. स्मार्टफोन के डाटा का इस्तेमाल करते हुए इस ऐप में मौजूद ‘इमोशनसेंस’ यूजर के बारे में अलग अलग जानकारियां जुटाता है.
‘इमोशनसेंस’ में मौजूद ऑप्शन के जरिए यूजर से कई सवाल पूछे जाते हैं.जैसे कि वह कहां मौजूद है, उसके आस पास का माहौल शांत है या शोरगुल भरा और किन लोगों के साथ उसकी बातचीत चल रही है.यह ऐप एक खास तरह के प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
इस प्रोजेक्ट का मकसद यह पता लगाना है कि मोबाइल फोन के जरिए किसी व्यक्ति की खुशी और सेहत को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है.
हाउ डू यू फील?"हम कभी खुश होते हैं, कभी दुखी, कभी गुमसुम तो कभी उदासीन. हमारा मकसद ये बताना है कि लोगों का मूड अलग-अलग हो सकता है. हमारे ऐप की यही खूबी है.”"
डॉ जेसन रेंटफ्रो, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
ऐप में यूजर का मूड भांपने के लिए एक ऑप्शन है, "हाउ डू यू फील?"कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सीनियर लेक्चरर डॉ जेसन रेंटफ्रो बताते हैं, "हम कभी खुश, कभी दुखी, तो कभी गुमसुम और कभी तो बिलकुल उदासीन होते हैं. यहां हमारा मकसद ये बताना है कि लोगों का मूड अलग-अलग हो सकता है. हमारे ऐप की यही खूबी है."जब ऐप को पहली बार ऑन किया जाता है तो इसमें मौजूद एक सेंसर शोधकर्ता को इस बात की जानकारी देता है कि फोन दिन में कब कब खोला गया.
यह ऐप करीब करीब एक हफ्ते तक सेंसर से इन जानकारियां को इकट्ठी करता है.
ये सेंसर मोबाइल यूजर्स के मूड की थाह लगाते हैं.जैसे कि वह कितना मिलनसार है, दिन भर में कितने मैसेज भेजता है, या कितने कॉल करता है, उसकी गतिविधियां और ठिकाने कौन से हैं.और अपने मोबाइल फोन से वह कितनी बात करता है.
टीम के प्रमुख शोधकर्ता डॉ नील लाथिया कहते हैं, "यह ऐप यूजर्स को कदम कदम पर गाइड करता है कि कौन सी बातें उसके मूड में उतार चढाव ला रही हैं."डॉ नील आगे कहते हैं, "इससे हमें दोनों बातें समझने में सहूलियत होती है. पहला यह कि यूजर सोचता क्या हैं और दूसरी कि व्यावहारिक स्तर पर वह कैसे बर्ताव करता है."
मनोवैज्ञानिक इलाज
यूजर दो हिस्सों में अपने मूड के बारे में जानकारी डाल सकता है.डॉ नील बताते हैं कि उदाहरण के लिए कई बार तो यूजर कहता तो है कि वह खुश है मगर उसी समय उसने अपने दोस्तों से बातचीत बंद कर रखी होती है.इस तरह की दो विपरीत सूचनाओं के बीच एक पुल बनाना होता है.
इस ऐप में जिस सिस्टम के जरिए यूजर अपने बारे में जानकारियां डालता है उसे एक मनोविज्ञानी ने डिजाइन किया है.दिन भर में अलग अलग समय पर यह ऐप नोटिफिकेशन भेज कर यूजर के मूड के बारे में पूछता रहता है.यूजर्स को दो हिस्सों में अपने मूड के बारे में जानकारी डालनी होती है. पहली में अच्छी और बुरी फीलिंग तो दूसरी में दिन भर की गतिविधियां.
ऐप में इकट्ठी की गई इन जानकारियों का इस्तेमाल यूजर के डॉक्टर द्वारा उसके मनोवैज्ञानिक इलाज के लिए किया जा सकता है.इन्हीं जानकारियों के आधार पर यूजर को भी पता चल जाता है कि वह किस समय सबसे ज्यादा मानसिक दबाव में होता है.शुरुआत में ऐप की ये सुविधा केवल एन्ड्रॉयड फोन पर उपलब्ध होंगी. मगर इसे तैयार कर रही टीम इस कोशिश में है कि यह सुविधा दूसरे स्मार्टफोन्स के लिए भी तैयार की जा सकेगी.
साभार बीबीसीहिंदी