नयी दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जीवनसाथी में मनोविकार की मौजूदगी विवाह विच्छेद का आधार नहीं हो सकता है, लेकिन यदि बीमारी इस तरह की हो जिसकी वजह से एक साथ जिंदगी गुजारना मुश्किल हो, तो तलाक दिया जा सकता है.
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा की खंडपीठ ने कहा, ‘यह न्यायालय आगाह करता है कि हिंदू विवाह कानून की धारा 13 (1) महज मनोविकार की मौजूदगी कानून के तहत विवाह विच्छेद को न्यायोचित ठहराने का पर्याप्त आधार नहीं है.’
न्यायालय ने आंध्रप्रदेश हाइकोर्ट का निर्णय सही ठहराते हुए कहा कि चिकित्सकों के दल की रिपोर्ट का विवरण विवाह विच्छेद के लिए पति के इस दावे का समर्थन नहीं करता है कि उसकी पत्नी गंभीर मनोविकार से ग्रस्त है.