रांची:झारक्राफ्ट के सभी कार्यालय एवं शोरूम में एक से बढ़ कर एक इको फ्रेंडली ज्वेलरी का अनोखा कलेक्शन देखा जा सकता है. इन कलेक्शन को पेश किया है झारखंड की सुदूरवर्ती गांवों की गरीब महिलाओं ने. झारक्राफट में पहले कई प्रकार की ज्वेलरी देखी तो जाती थी, पर इन दिनों बांस एवं लाह को नया स्वरूप देने का काम गांव की इन महिलाओं ने किया है.
मात्र 11 महिलाओं की टीम : फैशनेबल एवं ट्रेंडी ज्वेलरी बनाने का काम मात्र 11 महिलाओं की टीम ने किया है, जिनमें से आठ महिलाएं देवघर व दो महिलाएं हजारीबाग के सुदूरवर्ती गांवों की हैं. रांची की प्रतिभा सिंह ने इन्हें सुपरवाइज किया है और इनकी प्रतिभा सामने लाने में मदद की है.
जयपुर से ली ट्रेनिंग : झारक्राफ्ट से जुड़ी इन महिलाओं ने लाह के गहने बनाना सिखाने के लिए लाह जयपुर के आवाज मोहम्मद (हस्तकला के लिए नेशनल अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं) से प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण पूरा करने में महिलाओं को एक महीने लगे. एक महीने अपने परिवार व बच्चों से दूर रह कड़ी मेहनत से लाह का काम सीखा. यह काम काफी जोखिम भरा है. इसके तहत लाह को गरम कर उसे विभिन्न आकार में ढाला जाता है. यह काम बहुत ही सावधानी से किया जाता है. ये प्रशिक्षित महिलाएं अब अपने गांव की महिलाओं को अपने तरीके से लाह व अन्य प्रकार की ज्वेलरी बनाना सिखा रही हैं. शोरूम में पेश इन कलेक्शन की खूब डिमांड हो रही है. डिमांड पूरी करने के लिए लाह ज्वेलरी में दक्ष ये महिलाएं जोर-शोर से लगी हुई हैं. इन दिनों झारक्राफट के कार्यालय व शोरूम में लाइव डेमो चल रहा है, जहां टेराकोटा, डोकरा, जिंक, पर्ल, सिल्वर, बांस व धान की ज्वेलरी देखी जा सकती है.
ज्वेलरी के प्रकार दर (रुपये में )
टेराकोटा 35 से 350
डोकरा 35 से 200
जिंक 35 से 500
ट्राइबल ज्वेलरी 25से 500
सिल्वर 600 से 5000
पर्ल 600 से 5000
बांस ज्लेवरी 35 से 299
हम 11 महिलाओं की टीम जयपुर के लाह के गहनों के प्रसिद्ध कलाकार से लाह की ज्वेलरी बनाना सीख कर आये हैं. इससे हम महिलाओं में गजब का आत्मविश्वास आया है. टीम में गांव की महिलाएं थीं. जयपुर से सीख कर अब झारखंड के लिए ज्वेलरी बना रही हैं. इसे वे अपने गांव की महिलाओं को भी सिखायेंगी.
प्रतिभा सिंह, सैंपलिंग यूनिट मैनेजर