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अपनी गलतियों से काफी कुछ सीखा : शाहिद

एक साल के अंतराल के बाद अभिनेता शाहिद कपूर राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ में नजर आ रहे हैं. अपनी अब तक की फिल्मों से शाहिद इसको अलग करार देते हैं. वे मानते हैं कि एक एक्टर के तौर पर अब वे ज्यादा-से-ज्यादा फिल्मों में नजर आयेंगे. उर्मिला से हुई बातचीत के […]

एक साल के अंतराल के बाद अभिनेता शाहिद कपूर राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ में नजर आ रहे हैं. अपनी अब तक की फिल्मों से शाहिद इसको अलग करार देते हैं. वे मानते हैं कि एक एक्टर के तौर पर अब वे ज्यादा-से-ज्यादा फिल्मों में नजर आयेंगे. उर्मिला से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

आप एक साल बाद फिल्मों में नजर रहे हैं क्या सोच समझ कर आपने फिल्मों से दूरी बनायी थी?

अरे! बिल्कुल भी नहीं. मैं तो चाहता था कि मैं फिल्में करूं, लेकिन हर चीज टलती जा रही थी. मुझे लगता है, बॉलीवुड में हर कलाकार की जिंदगी में ऐसा वक्त आता है, जब चीजें बनते-बनते बिगड़ जाती हैं.

बनने-बिगड़ने की बात कहीं आप ‘शुद्ध देसी रोमांस’ के लिए तो नहीं कह रहे हैं?

मैं ‘शुद्ध देसी रोमांस’ नहीं कर सका क्योंकि वह फिल्म डिले होती गयी, लेकिन इसका मुझे अफसोस नहीं है. मुझे खुशी है कि मेरी अगली फिल्म ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ है. यह बहुत ही इंटरटेनिंग फिल्म है. मैंने अब तक ऐसी मसाला और कॉमेडी से भरी फिल्म कभी नहीं की थी.

अपने किरदार विश्वास राव के बारे में क्या कहेंगे?

विश्वास राव हीरो बनने के चक्कर में नकली पुलिस वाला बन जाता है. वह अक्सर लड़ाई-झगड़े से बचने की कोशिश करता है. उसे लगता है, कि अगर उसके चेहरे पर चोट आ गयी, तो उसका कैरियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जायेगा. वह लड़ाई-झगड़े के फेवर में नहीं है, फिर भी न चाहते हुए भी उसे लड़ना पडता है और यही विश्वास राव की सबसे बड़ी खासियत है.

‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ यह टाइटल आपको कैसा लगा?

टाइटल मुझे बहुत अच्छा लगा. फिल्म एनज्रेटिक है, तो यह टाइटल बहुत जच रहा है. सच कहूं तो पोस्टर फाड़ने में मेरी हवा निकल गयी थी. वो पोस्टर फट ही नहीं रहा था. तीन दिन बाद आखिर वह पोस्टर फटा था.

फिल्म के दौरान राजकुमार संतोषी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

बहुत अच्छा रहा. उनकी फिल्में देख-देख कर ही बड़ा हुआ हूं. अंदाज अपना-अपना चालीस बार देख चुका हूं, मगर आज भी नयी लगती है. कॉमेडी ही नहीं एक्शन में भी उन्हें महारत हासिल है. ‘घायल’ और ‘दामिनी’ से बेहतर और क्या हो सकता है. उनके बारे में मैं क्या कह सकता हूं. वह जितने अच्छे निर्देशक हैं, उससे कहीं अच्छे इनसान हैं. अगर विश्वास राव को दर्शक सराहते हैं तो इसका पूरा श्रेय राज जी को जायेगा, क्योंकि मैंने वही किया जो उन्होंने कहा.

आपने कहा कि पहली बार आप कुछ अलग कर रहे हैं, ऐसे में क्या आप दबाव महसूस कर रहे हैं?

प्रेशर एक्टर पर ही होता है. मैं भी अलग नहीं हूं. इंडस्ट्री का नियम है. हर शुक्रवार एक कलाकार की कहानी लिखी जाती है. मैंने ‘कमीने’ में भी कुछ अलग करने की कोशिश की थी. वैसे अब तक का रिस्पांस अच्छा है.

इंडस्ट्री में एक दशक के बाद भी आप उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाये हैं, आखिर गलतियां कहां हुईं?

गलती किसने नहीं की? मैंने भी की है. अपने कैरियर के शुरुआती दौर में मैंने कई गलत फिल्में चुनीं, क्योंकि उस समय मुझे गाइड करनेवाला कोई नहीं था, लेकिन इन गलतियों से मैंने काफी कुछ सीखा भी है.

क्या आपका भाई ईशान भी फिल्मों में आनेवाला है?

अरे! अभी वह बच्चा है. 17 साल का है. उसे छोड़ दीजिये. मैं भी ऐसी खबरें सुनता रहता हूं.

आपकी आनेवाली फिल्में कौन-कौन सी हैं?

रैंबो राजकुमार व हेमलेट हैं. अलावा भी एक अनाम फिल्म कर रहा हूं.

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