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समय और पैसे का होता है निवेश

बिजनेस का फॉर्मूला या मॉडल ऐसा होना चाहिए, जो कंपनी के शेयरहोल्डर्स को फायदा पहुंचा सके. कंपनी के कर्मचारियों और निवेशकों को फायदा तो पहुंचे ही, साथ ही कंपनी की साख भी इतनी मजबूत हो कि जब चाहे उसे मार्केट में मुंह मांगे मूल्य पर कैश कराया जा सके. स्ट्राइड्स आर्कोलैब के सीइओ अरुण कुमार […]

बिजनेस का फॉर्मूला या मॉडल ऐसा होना चाहिए, जो कंपनी के शेयरहोल्डर्स को फायदा पहुंचा सके. कंपनी के कर्मचारियों और निवेशकों को फायदा तो पहुंचे ही, साथ ही कंपनी की साख भी इतनी मजबूत हो कि जब चाहे उसे मार्केट में मुंह मांगे मूल्य पर कैश कराया जा सके.

स्ट्राइड्स आर्कोलैब के सीइओ अरुण कुमार का यही बिजनेस मॉडल है, जिसके बलबूते उन्होंने न केवल फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनायी, बल्कि नये-नये बिजनेस में भी हाथ आजमाये और सफल भी हैं.

अरुण कुमार स्ट्राइड्स आर्कोलैब के सीइओ हैं. दो माह पहले जब वित्त मंत्री बजट भाषण पढ़ रहे थे, तभी एक खबर आयी कि स्ट्राइड्स ने अपनी सर्वाधिक लाभ देनेवाली यूनिट ‘एजिला स्पेशलाइटीज’ को अमेरिकी फार्मा कंपनी माइलन को 1.6 बिलियन डॉलर (9000 करोड़ रुपये) में बेच दिया है.

यह खबर चौंकाने वाली थी. डील में यह भी तय हुआ था कि कुछ समय बाद अतिरिक्त 250 मिलियन डॉलर स्ट्राइड्स को दिये जायेंगे. यह करार कई मायनों में महत्वपूर्ण था. पहला यह कि एजिला का करार 2012 में उसके मार्केट वैल्यू से 18.7 गुना था. यही नहीं इसका आकार स्ट्राइड्स के मार्केट वैल्यू से भी अधिक था. यह डील तब हुई, जब स्ट्राइड के लिए यह सबसे ज्यादा लाभ देनेवाली इकाई थी.

कंपनी को 60 प्रतिशत लाभ इसी इकाई से होता था. पर स्ट्राइड्स ने कंपनी को माइलन के हाथों बेच दिया. यह जानना दिलचस्प होगा कि एजिला को बेचने से पहले जनवरी, 2012 में एसेंट फॉर्माहेल्थ (ऑस्ट्रेलिया और साउथ इस्ट एशिया में कामकाज चलानेवाली एक सब्सिडियरी) के 94 प्रतिशत शेयर 393 मिलियन डॉलर में वाटसन फार्मास्यूटिकल्स को बेच दिये गये.

स्ट्राइड्स ने शुरुआत में एसेंट में 75 मिलियन डॉलर का निवेश किया था. एजिला को जब बेचा गया, तब स्ट्राइड्स के शेयर 18 प्रतिशत तक गिर गये. निवेशकों को स्ट्राइड्स का यह फैसला ठीक नहीं लगा. पर अरुण कुमार ने अपने फैसले को सही ठहराया. अब वह अपना सारा ध्यान अफ्रीका पर केंद्रित कर रहे हैं, जहां वह फार्मास्यूटिकल बिजनेस को बढ़ाना चाहते हैं.

मुंबई से हुई थी शुरुआत : अरुण केरल से हैं. वह ऊटी में पले-बढ़े. उनके पिता सरकारी अधिकारी रहे हैं. अरुण जब 21 साल के थे, तब 1982 में अपना भाग्य आजमाने मुंबई निकल पड़े. शुरू में उन्होंने बांबे ड्रग हाउस और ब्रिटिश फार्मास्यूटिकल लेबोरेटरीज के लिए काम किया.

1990 में नवी मुंबई के वशी में स्ट्राइड्स की स्थापना की. 1996 से 2006 के बीच उनकी कंपनी का तेजी से विस्तार हुआ. अरुण बताते हैं कि शुरुआत में हमारे यहां प्रबंधन ठीक नहीं था. हम एक साथ बेतरतीब तरीके से कई चीजें कर रहे थे. फिर हमने कई चीजों को एक साथ करने के बजाय कुछ चीजों को बेहतर तरीके से करने का फैसला लिया.

एक चतुर उद्यमी : बायोकॉन की चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर किरण मजूमदार शॉ अरुण को एक चतुर उद्यमी बताती हैं. वह समय को पहचानते हैं और फिर उसी अनुसार रिएक्ट करते हैं. यही उनका बिजनेस मॉडल है.

अरुण ने एजिला को इसलिए बेचा, ताकि समय के रुख को भांपते हुए बायोटेक जेनरिक्स बिजनेस को फैलाया जा सके. स्ट्राइड्स ने अभी हाल ही में इनबायोप्रो सोल्यूशंस का अधिग्रहण किया है, जिसे स्ट्राइड्स बायोटेक नाम दिया जायेगा. अरुण कहते हैं कि अगले तीन सालों में कंपनी वर्तमान राजस्व स्तर को छू लेगी.

कई बड़ी कंपनियों के साथ साङोदारी : पिछले कुछ वर्षो में स्ट्राइड्स ने फ्रेजर, जीएसके, नोवार्टिस और इली लिली जैसी कंपनियों के साथ साङोदारी की है. अरुण कहते हैं कि हालांकि इन कंपनियों के साथ डील का आकार कम हो सकता है, पर वास्तव में उन्होंने इन साङोदारियों में अपना समय और पैसा निवेश किया है.

इसलिए जब वह बायोटेक जेनेरिक्स में निवेश की बात करते हैं, तो कोई आश्चर्य नहीं होता. दुनिया भर में बायोटेक या बायो सिमिलर्स का कारोबार दो अरब से तीन अरब डॉलर का है. जबकि अनुमान लगाया जा रहा है कि 2017 तक पेटेंट की हुई बायोटेक दवाइयों का कारोबार 200 अरब डॉलर के ग्राफ को छू लेगा. स्ट्राइड्स ने इसी की पहचान की है. बायोटेक बिजनेस को देखते हुए ही बायोकॉन और स्ट्राइड्स कुआलालंपुर में अपना मैनुफैरिंग प्लांट लगा रहे हैं.
इनपुट : फोर्ब्स

स्ट्राइड्स आर्कोलैब के सीइओ अरुण कुमार अब बायोटेक बिजनेस के विस्तार में

– एजिला स्पेशलाइटीज स्ट्राइड्स की सर्वाधिक महत्वपूर्ण इकाई थी, जिसे अरुण ने अमेरिकी कंपनी माइलन को बेच दिया
– जेनरिक इंजेक्शन बनाने के कारोबार में अहम स्थान
– वर्तमान में स्ट्राइड्स का सबसे बड़ा कारोबार ओरल मेडिसिन में है
– स्ट्राइड्स ने पीएलडीपी में 60} शेयर खरीदे हैं. अब यह सिक्वेंट नाम से जाना जाता है.
– सिक्वेंट भारत में वेटरनेरी जेनेरिक दवाइयों का निर्यात करनेवाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी है
– को फाउंडर हैं केआर रविशंकर

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