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कभी यह न कहें कि ‘मैं बहुत व्यस्त हूं’

।।दक्षा वैदकर।।हम सभी एक वाक्य बहुत इस्तेमाल करते हैं, ‘मैं बहुत व्यस्त हूं’. केवल आप ही नहीं, मैं भी इसे दिन में कई बार कहती हूं. हमें लगता है कि यह वाक्य तो बहुत साधारण–सा है. इसमें कोई नयी बात नहीं, लेकिन इसी बात पर पिछले दिनों मैंने एक लेख पढ़ा. इसके अनुसार यह वाक्य […]

।।दक्षा वैदकर।।
हम सभी एक वाक्य बहुत इस्तेमाल करते हैं, मैं बहुत व्यस्त हूं. केवल आप ही नहीं, मैं भी इसे दिन में कई बार कहती हूं. हमें लगता है कि यह वाक्य तो बहुत साधारणसा है. इसमें कोई नयी बात नहीं, लेकिन इसी बात पर पिछले दिनों मैंने एक लेख पढ़ा. इसके अनुसार यह वाक्य हमारे अंदर आसपास नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है. हम ऑफिस में सभी को कहते हैं कि मैं व्यस्त हूं.

हम दोस्तों को कहते हैं कि मैं बिजी हूं. हम घर में भी यही कहते हैं कि मैं बिजी हूं. कई बार हम खुद की भलाई के लिए भी कुछ वक्त नहीं निकाल पाते, यह सोच कर कि हमारे पास वक्त नहीं है. लेकिन, क्या आपको पता है कि व्यस्त होने का मतलब क्या है? इसका मतलब है कि मैं आपके लिए उपलब्ध नहीं हूं. अब हमें यहां रुक कर एक सवाल खुद से पूछना होगा कि जब हम दोस्तों, परिवारवालों और खुद के लिए भी वक्त नहीं निकाल पा रहे हैं, तो आखिर हम वक्त लगा कहां रहे हैं? आखिर हम ऐसा क्यों करते हैं? जिस इनसान के पास परिवार और अपने लिए वक्त नहीं है, वह जीवन जी ही क्यों रहा है?

आप में से कई लोग इस सवाल का जवाब यही देंगे कि हम रुपये कमाने में व्यस्त हैं. अपने परिवार के लिए ही सुख-सुविधा के साधन जुटाने में व्यस्त हैं, लेकिन एक बार खुद से पूछें कि क्या हमारा परिवार हमारे व्यस्त रहने से खुश है? आप अपने परिवार वालों के पास जाकर उनसे यह पूछें कि आपको सुख-सुविधा के साधन चाहिए या आप चाहते हैं कि मैं आपके साथ अधिक समय रहूं. निश्चत रूप से आपके परिवार वाले आपको ही चुनेंगे. कोई बच्च यह नहीं कहेगा कि पापा आप भले ही घर मत आओ, लेकिन खूब रुपये कमाओ. अभी वर्तमान में यह हो रहा है कि बच्च पापा से कह रहा है कि पापा मेरे साथ समय गुजारो और पापा कह रहे हैं कि तुम्हारे लिए मेरे पास वक्त नहीं, तुम इसके बदले में रुपये ले लो. आप कहेंगे कि हम जो भी रुपये कमा रहे हैं, वह बच्चों के लिए ही कमा रहे हैं. लेकिन याद रखें कि करीब 20 साल बाद यही बच्चे, जिनके लिए आपने दिन-रात ऑफिस में काम किया, वे कहेंगे कि ‘आपने हमें वह तो दिया ही नहीं, जो हमें चाहिए था. आपके पास हमारे लिए वक्त ही कहां था.’ इसलिए अपने परिवार के लिए थोड़ा सा ही सही वक्त निकालें.

बात पते की..

-आप अपने परिवारवालों को कितनी भी सुविधाएं दे दें, लेकिन अगर आपने उन्हें वक्त नहीं दिया, तो आपका सारी चीजों को देना बेकार हो जायेगा.

-हम रुपये इसलिए कमाना चाहते हैं, ताकि परिवार खुश रहे. लेकिन सच तो यह है कि परिवार रुपयों से नहीं, आपके साथ रहने से खुश होगा.

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