सम्मान से मिलेगी सुरक्षा
16 दिसंबर की रात चलती बस में एक लड़की से गैंग रेप के बाद देश ने सबसे बड़ा गुस्सा देखा. लोगों ने राष्ट्रपति भवन को घेर लिया. पुलिस ने गुस्से को कुचलने की कोशिश की. सरकार ने कड़े कानून बनाने और आरोपियों को सख्त सजा दिलाने का भरोसा दिया. नेता से अभिनेता तक रो पड़े. लोगों ने नारी की सुरक्षा की कसमें खायीं. फिर भी देश के किसी कोने में महिला सुरक्षित नहीं है, क्यों? अब तक सबसे सुरक्षित माने जानेवाले शहर मुंबई में भी पत्रकार से गैंग रेप क्यों हुआ. दिल्ली गैंग रेप के आरोपियों को फांसी की सजा से सब प्रसन्न हैं.
कह रहे हैं कि नारी के सम्मान से खिलवाड़ करनेवाले अब खौफ खायेंगे. लेकिन, इसी समाज ने नेताओं के बेतुके बयान सुने हैं, जो लड़कियों को कभी रात में अकेले निकलने से, तो कभी भड़काऊ कपड़े पहनने से मना करते हैं.समाज में आसाराम को देखा है, जो अपने भक्त की अस्मत से खिलवाड़ करता है. न जाने ऐसे कितने दरिंदे देश में घूम रहे हैं. एक को सजा मिलने से बाकी सुधर जायेंगे, यह कहना बेमानी है. समाज सुधार की शुरुआत घर से करनी होगी. बच्चों को नारी का सम्मान करना सिखाना होगा. उनमें संस्कार भरने होंगे, ताकि वे गलत रास्ते पर न जायें.
1,121 बलात्कार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं 16 दिसंबर की घटना बाद से अगस्त तक
405 रेप की रिपोर्ट दर्ज हुई 16 दिसंबर, 2011 से अगस्त, 2012 तक
13 दिन बाद पीड़िता की सिंगापुर में मौत
मामलों में अभियुक्त दोषी ठहराये गये
सितंबर को सुनायी गयी सजा
कानून के रखवाले
दयान कृष्णन
सरकारी वकील सुप्रीम कोर्ट के वकील दयान कृष्णन को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया गया. पैरवी में राजीव मोहन और एपी अंसारी उनके साथ थे.
कोर्ट में जो दलील दी
अभियोजन के वकील ने कोर्ट से अपील की कि अभियुक्तों को फांसी की सजा दी जाये, क्योंकि इन्होंने न केवल सामूहिक बलात्कार किया, बल्कि बर्बरता से उस पर और उसके पुरुष मित्र पर जानलेवा हमला किया.
जज योगेश खन्ना
संतुलित, समर्पित और योग्य. ये गुण हैं जस्टिस योगेश खन्ना के. मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद फरवरी, 2013 में उनके माता-पिता दोनों की मौत हो गयी. उन्हें 27 फरवरी, 2013 को सभी सुनवाई रद्द करनी पड़ी, लेकिन श्रद्ध कर्म खत्म होते ही चार मार्च को वह काम पर लौट आये. यह दर्शाता है कि वह काम के प्रति कितने समर्पित हैं. वर्ष 1992 में वकालत शुरू करनेवाले योगेश खन्ना इस वर्ष हाइकोर्ट के लिए प्रोन्नत होनेवाले जजों की दौर में अग्रिम पंक्ति में हैं. उनकी खासियत है कि वह किसी मामले की सुनवाई बड़े धैर्य से करते हैं. सोच-समझ कर फैसला देते हैं. केस को तर्क की कसौटी पर कसते हैं, फिर फैसला देते हैं, भावना में बहकर कोई निर्णय नहीं सुनाते.
2009-10 : 00 केस
2011 : 07 केस, सभी बरी
2012:10 केस, सभी बरी
2013 : 15 केस में कोई दोषी नहीं. दिल्ली गैंग रेप के आरोपियों को फांसी
बचाव पक्ष के वकीलों की दलील बेकार
वीके आनंद
मुकेश के वकील ने कहा कि वह अन्य मुजरिमों के लिए ऐसे फैसले की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन मुकेश के लिए नहीं. वह सिर्फ बस चला रहा था.
एपी सिंह
विनय, अक्षय के वकील ने कहा कि जज ने राजनीतिक दबाव में फैसला दिया. मेरे मुवक्किल निदरेष हैं.
विवेक शर्मा
पवन के वकील. कहा कि वह फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. इसके खिलाफ हाइकोर्ट में अपील करेंगे.
यदि नया कानून पहले बना होता
भारतीय दंड संहिता की जिन 13 धाराओं के तहत आरोपियों को दोषी ठहराया गया है, यदि वे कानून पहले से लागू होते, तो बलात्कारियों को क्या सजा मिलती.
धारा | अपराध | सजा | नये कानून में सजा का प्रावधान |
376(2)(जी) | सामूहिक बलात्कार |
10 वर्ष जेल से उम्रकैद तक की सजा |
कम से कम 20 साल की कैद या |
302 | हत्या | उम्रकैद से लेकर मृत्युदंड तक |
यदि बलात्कार के बाद पीड़िता की मौत हो जाती है, तो 20 साल जेल या ताउम्र जेल अथवा मृत्युदंड |
377 | अप्राकृतिक यौन संबंध | 10 वर्ष जेल से उम्रकैद तक | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |
201 | साक्ष्य को नष्ट करना | सात साल कैद से उम्रकैद तक | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |
307 | हत्या की कोशिश | 10 वर्ष से उम्रकैद तकनहीं |
पीड़िता को बहुत ज्यादा चोट पहुंची हो या पीड़िता निष्क्रिय हो जाये, तो 20 साल की सजा या ताउम्र कैद |
365 | गलत इरादे से अपहरण | सात साल तक जेल | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |
394 | डकैती के दौरानहत्या की कोशिश | 10 वर्ष जेल से उम्रकैद तक | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |
396 | डकैती और हत्या | 10 वर्ष जेल से मृत्युदंड तक | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |
34 | डकैती और हत्या | 10 वर्ष जेल से मृत्युदंड तक | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |
102बी | अपराधिक साजिश | दो वर्ष से लेकर उम्रकैद तक | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |
412 | चोरी की संपत्ति से डकैती | 10 वर्ष जेल से लेकर उम्रकैदतक की सजा | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |
34 | गलत इरादे से अगवा | एक साल की सजा | ऐसा कोई प्रावधान नहीं |