चिंता :नारियों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा मनोरोग
रांची : हाल के कुछ वर्षो में महिला मनोरोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. मनोरोगियों की संख्या पिछले 12 साल में पांच गुना बढ़ी है. वहीं महिला मनोरोगियों की संख्या छह गुना बढ़ी है. 2001-02 में झारखंड सरकार के एकमात्र मनोचिकित्सा संस्थान रिनपास के ओपीडी में 4144 महिला मनोरोगी आयी थीं. इसकी तुलना में 2012-13 में करीब 26 हजार महिला मनोरोगी इलाज के लिए रिनपास आयीं. रिनपास में राज्य गठन के समय 16 हजार 175 मनोरोगी इलाज के लिए ओपीडी में आये थे. पिछले साल यह संख्या बढ़कर 90 हजार 710 हो गयी. 2001-02 में इनडोर में 30 महिला मनरोगियों को भरती किया गया था. 2
012-13 में 615 मनरोगियों को भरती किया गया. रिनपास के साइकेट्रिक सोशल विभाग की प्रमुख डॉ मनीषा किरण का कहना है कि पहले मनोरोग को लेकर काफी भ्रांतियां थीं. यह दूर हो रही है. लोग पहले इस बीमारी के इलाज के लिए सामने नहीं आना चाहते थे. यह धारणा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है. एक प्रकार से नकारात्मक सोच कम हो रही है. दूसरा कारण सामान्य जनजीवन में तनाव भी है. लोगों में तनाव इतना बढ़ रहा है कि मानसिक बीमारी की शिकार हो रही है.