।।दक्षा वैदकर।।
आपने कई ऐसे बच्चों को देखा होगा, जो बचपन से लगातार क्लास में फस्र्ट आ रहे होते हैं और बड़ी क्लास में जाने पर अचानक उनकी परफॉर्मेस गिरने लगती है. वे क्लास में सेकेंड आना शुरू हो जाते हैं, फिर थर्ड और फिर ज्यादा नीचे जाने लगते हैं. ऐसे में बच्चों के माता-पिता और शिक्षक क्या करते हैं? वे उस बच्चे को उसकी पुरानी क्षमताओं को याद दिलाते हैं. वे उसे पिछली कक्षाओं का रिजल्ट दिखाते हैं और कहते हैं कि ये परफॉर्मेस तुम्हारी ही थी. तुम इतने अच्छे नंबर लाया करते थे. क्या हो गया है तुम्हें? अपनी पुरानी क्षमताओं को पहचानो. तुम ये कर सकते हो. बस तुम अपनी राह से भटक गये हो. तुम थोड़ा-सा ध्यान दोगे, तो तुम दोबारा फस्र्ट आने लगोगे.
आज हम बड़े भी उस बच्चे की ही तरह हो गये हैं. हम भी अपनी क्षमताओं को भूल गये हैं. इसे अन्य उदाहरण से समङों. जिस तरह हम कोई यात्रा शुरू करने के पहले अपनी गाड़ी को पेट्रोल पंप पर ले जाते हैं, उसके टैंक को फ्यूल से फुल कर देते हैं और रोड मैप ले कर यात्रा पर निकल पड़ते हैं. ठीक उसी तरह हमें अपने शरीर व दिमाग की ऊर्जा टंकी को भी पूरी तरह भरना होगा. हमें सफर पर निकले सालों हो गये हैं. पेट्रोल भी खत्म होने की कगार पर है. हमसे रोड मैप खो गया है और हम भ्रमित हो गये हैं कि इधर जाऊं या उधर जाऊं. हम अपने आसपास वालों से पूछ रहे हैं कि मुझे रास्ता दिखाओ. दरअसल, हमें किसी से रास्ता पूछने की जरूरत नहीं. हमें बस दोबारा पेट्रोल पंप पर जाना है, फ्यूल भरवाना है और रोड मैप ले कर दोबारा यात्रा पर निकलना है.
अब आप पूछेंगे कि पेट्रोल पंप और फ्यूल से मतलब क्या है? हमारे संदर्भ में पेट्रोल पंप का अर्थ है एकांतवास. ऐसी जगह, जहां हम अपने बारे में सोच सकें. योग कर सकें. शांत हो सकें. अध्यात्म से जुड़ सकें. अपनी पसंद का कोई काम करें जो हमें आनंदित करे और हम ऊर्जा से दोबारा लबरेज हो जायें. वर्तमान में हमने पेट्रोल पंप पर जाना ही बंद कर दिया है. हमें यह अहसास ही नहीं है कि फ्यूल खत्म हो गया है और हम रास्ता भटक गये हैं. इस बारे में सोचें. गाड़ी को बेवजह दौड़ाना बंद करें. कुछ देर शांत, प्रकृति के बीच समय गुजारें. बच्चों के साथ, परिवार के लोगों के साथ हंसी-खुशी समय गुजारें और दोबारा रिचार्ज हो जाएं.
बात पते की..
-हर मशीन के काम करने की सीमा होती है. एक वक्त पर उसे भी मरम्मत करने व तेल डलवाने की जरूरत होती है. इनसान भी मशीन ही तो है.
-ऑफिस में घंटों काम करना आपकी क्षमताओं को कम करता है. बेहतर यही होगा कि बीच-बीच में ब्रेक लें और कुछ वक्त खुद के लिए निकालें.