भुरकुंडा :दृढ़ निश्चय, अटल विश्वास, मेहनत और लगन से क्या नहीं हो सकता. भुरकुंडा कोयलांचल की अंजलि हलदर इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. स्वावलंबी अंजलि आज अपने द्वारा स्थापित अंजू महिला गृह उद्योग के मार्फत 30 से अधिक महिलाओं को रोजगार से जोड़ कर महिला स्वावलंबन की कहानी गढ़ रही हैं. इस सफलता के पीछे अंजलि के पास प्राथमिक पूंजी के रूप में उनकी घरेलू हुनर रही.
1993 में पति के असामयिक निधन के कुछ वर्षो बाद कैंसर से छोटे पुत्र की भी मौत हो गयी. अंजलि आर्थिक-मानसिक तौर पर दुखों से घिर चुकी थी. फिर भी हौसला नहीं खोया. गली-मुहल्लों में गठरी उठा कर साड़ी बेचने का काम शुरू किया. इस प्रयास से आमदनी इतनी नहीं होती कि एक बेटे की सही ढंग से परवरिश हो सके. फिर अंजलि ने इस काम को छोड़ कर अपनी घरेलू हुनर के सहारे नया व्यवसाय शुरू किया. अचार, पापड़, बरी आदि बना कर बाजारों में बेचना शुरू किया. अंजलि का यह प्रयास परवान चढ़ने लगा.
उत्पाद में स्वाद व शुद्धता की बदौलत इसकी मांग रोजाना बढ़ने लगी. तब अंजलि ने क्षेत्र की अन्य असहाय महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ कर इस उद्योग को बड़ा रूप दिया. इस प्रयास से जुड़ी बड़ी बात यह है कि इस उद्योग की बदौलत वैसी महिलाएं, जो विभिन्न कारणों से सरकारी योजनाओं से वंचित हैं, आज आत्मनिर्भर बन कर दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं.