।।दक्षा वैदकर।।
12वीं कक्षा की परीक्षा देनेवाली एक लड़की ने परीक्षा का अपना अनुभव सुनाया. उसने बताया कि परीक्षा के दो हफ्ते पहले उसे ख्याल आया कि उसने फिजिक्स विषय के 10वें अध्याय को बिल्कुल नहीं पढ़ा है. वह बार-बार भगवान से एक ही प्रार्थना करती, ‘प्लीज, परीक्षा में सभी अध्याय से प्रश्न पूछना, लेकिन 10वें से मत पूछना.’ तभी उसे ख्याल आया कि अगर किसी खड़ूस ने पेपर तैयार किये होंगे, तो वह जरूर 10वें अध्याय का प्रश्न पूछ सकता है. उसने तुरंत 10वां अध्याय खोला और उसे समझने-पढ़ने लगी. उसे बहुत परेशानी हुई. उसने फिर भगवान से कहा, ‘अगर 10वें अध्याय का एक भी सवाल नहीं आया, तो मैं आपको नारियल चढ़ाऊंगी.’ आखिरकार परीक्षा का दिन आ गया. वह बस एक ही रट लगाये हुए थे कि 10वें अध्याय से सवाल न हो.. 10वें अध्याय से सवाल न हो. जिस बात का डर था, वही हुआ. उसकी नजर सबसे पहले उसी सवाल पर पड़ी, जो 10वें अध्याय का था. इसे ‘नजर पड़ी’ नहीं कहेंगे. दरअसल उसने जान-बूझ कर यही देखने की कोशिश की. बस फिर क्या था. उसने सिर पकड़ लिया. उसने इस बात का इतना तनाव ले लिया कि जो बाकी नौ अध्याय उसे अच्छे से आते थे, वह उन्हें भी हल करना भूल गयी.
आप इस किस्से को सुन कर कहेंगे कि उस बच्ची को इतना तनाव नहीं लेना चाहिए था, लेकिन यह दूसरों को कहना आसान है. हम में से कई लोग हैं, जो इसी तरह तनाव में वर्तमान बिगाड़ते हैं. मेरी एक मित्र साक्षी ने भी यही किया. बॉस ने उसे तीन रिपोर्ट बनाने को दी और कहा कि कल सुबह 12 बजे तक मुङो तीनों चाहिए. साक्षी ने उस प्रोजेक्ट पर काम करना तो शुरू कर दिया, लेकिन उसके दिमाग में यह डर आ गया कि यदि प्रोजेक्ट न दे पायी तो? बस उसने काल्पनिक दृश्य बनाना शुरू कर दिया कि उसे नौकरी से ही निकाल दिया गया. वह इस दृश्य को इतनी गंभीरता से लेने लगी कि उसके सिर में दर्द हो गया, बुखार आ गया. उसने आंखें बंद कीं और वह सो गयी. सीधे सुबह उसकी नींद खुली. बॉस ने कॉल करके पूछा कि प्रोजेक्ट हुआ? उसने माफी मांगते हुए कहा कि सर, नहीं हो पाया. बॉस ने कहा, कोई बात नहीं. बाद में दे देना.
बात पते की:
वर्तमान में जीना सीखें. कल क्या होगा, इस बात की ज्यादा फिक्र करेंगे, तो जो काम आपके हाथ में आज है, वह भी बिगाड़ लेंगे.
-पढ़ाई के दौरान, काम के दौरान अपने दिमाग को एकदम शांत रखें, क्योंकि तनाव के साथ कोई भी काम बेहतर तरीके से नहीं किया जा सकता है.