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जमीन में धंसे घर को ऊपर उठा देते हैं गजेंद्र

मध्यम वर्गीय परिवारों में कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की पूरी कमाई का आधा हिस्सा अपनी हैसियत के अनुसार घर बनाने में लगा देता है. अगर घर जमीन में धंस जाय, तो फिर उसे तोड़ने के अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आता है. ऐसे लोगों के बीच आशा की किरण बनें हैं गजेंद्र विश्‍वकर्मा. […]

मध्यम वर्गीय परिवारों में कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की पूरी कमाई का आधा हिस्सा अपनी हैसियत के अनुसार घर बनाने में लगा देता है. अगर घर जमीन में धंस जाय, तो फिर उसे तोड़ने के अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आता है. ऐसे लोगों के बीच आशा की किरण बनें हैं गजेंद्र विश्‍वकर्मा. वे अपनी जुगाड़ तकनीक की सहायता से जमीन में धंसी इमारतों को ऊपर उठा सकते हैं.

गजेंद्र का यह हैरतअंगेज प्रयोग दूर-दूर तक उनकी ख्याति बिखेर रहा है. स्थानीय लोग तो उन्हें कलयुग के हनुमान के नाम से बुलाने लगे हैं. गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक व नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल के मकान को भी गजेंद्र जमीन से तीन फिट ऊपर उठा चुके हैं. गजेंद्र का यह प्रयोग थोड़ा खर्चीला है, लेकिन जमीन में धंस चुके मकान की लागत का 20 फीसदी भी नहीं है.

इस तरह की शुरुआत
गजेंद्र नवगछिया अनुमंडल के कोसी पार कदवा गांव के रहनेवाले हैं. करीब चार साल पहले रोजी-रोटी के जुगाड़ में लुधियाना गये. वहां पर एक किराये का मकान लिया, जो जमीन में काफी धंसा हुआ था. जब बरसात होती, तो कमरे में पानी आ जाता था. गजेंद्र ने कमरे में पानी आने की शिकायत मकान मालिक से की. मकान मालिक ने मजाक में ही बोल दिया कि तुम मकान को जमीन से ऊपर उठा लो, तुम्हें एक पैसा किराया नहीं लगेगा. यही मजाक गजेंद्र को जुगाड़ करने पर विवश कर दिया. गजेंद्र के अनुसार, एक बार वे सड़क के किनारे से गुजर रहे थे, तो देखा कि एक लोड ट्रक को जैक की सहायता से उठाया जा रहा है. यहीं पर उनके दिमाग में आइडिया आया. उन्होंने सोचा कि जब जैक से भारी-भरकम ट्रक को उठाया जा सकता है, तो मकान को क्यों नहीं?

गजेंद्र ने अपने किराये के मकान को जैक की सहायता से ऊपर उठाने की सोची. इस बात को मकान मालिक से कहा, तो वे हंसने लगे. इस पर गजेंद्र ने कहा कि अगर मकान टूट गया, तो मैं नया मकान बना दूंगा और अगर मकान को मैंने उठा दिया, तो जब तक रहूंगा किराया नहीं दूंगा. मकान मालिक ने गजेंद्र के प्रस्ताव को मान लिया. गजेंद्र ने आठ जैक की सहायता से मकान मालिक के उस छोटे से मकान को ऊपर उठा दिया. इस हैरतअंगेज जुगाड़ तकनीक के नमूने ने मकान मालिक सहित आसपास के लोगों को अचंभित कर दिया. इसके बाद वहीं पर गजेंद्र ने अपनी एक टीम बनायी और मकान उठाने का कारोबार शुरू कर दिया. कुछ दिन के बाद ही गजेंद्र को अपने गांव की याद आयी और सोचा कि वे गांव में रह कर भी इस तरह का काम कर सकते हैं.

गजेंद्र ने घर आने के बाद अपने संबंधी इस्माइलपुर प्रखंड के परबत्ता महादेवपुर टोला निवासी परमानंद मंडल को जानकारी दी और कुछ फोटोग्राफ भी दिखाये. परमानंद मंडल ने कुछ वर्ष पहले ही सड़क के किनारे छह लाख रुपये की लागत से एक मकान बनाया था. बगल में मिट्टी भड़ाई होने के कारण उनका मकान जमीन में तीन फीट नीचे चला गया था. इससे हो रही परेशानियों के बारे में परमानंद मंडल ने गजेंद्र को बताया. गजेंद्र ने 15 दिनों में 616 वर्ग फीट के मकान को 80 जैक की सहायता से सफलतापूर्वक ऊपर उठा दिया. इसमें कुल 80 हजार रुपये खर्च आये थे.

इसके बाद गजेंद्र की चर्चा गोपालपुर विधानसभा के विधायक के पास पहुंची. उन्होंने भी जमीन में धंसे अपने मकान को ऊपर उठाने के लिए गजेंद्र से कहा. पिछले वर्ष ही श्री मंडल के मकान को भी गजेंद्र ने जमीन से ऊपर उठा दिया. अभी गजेंद्र इस वर्ष भर तक बुक हैं. वे पूर्णिया, कटिहार, खगड़िया जिले में घरों को उठाने का काम कर रहे हैं. इस काम के लिए गजेंद्र अपने गांव के लोगों के साथ ही अपनी पूरी टीम बना चुके हैं.

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