जो लोग बड़ी मुसीबत आने पर घबरा जाते हैं और मुसीबत का सामना करने की बजाय अपनी ही तबीयत खराब कर लेते हैं, उनके लिए एक उपाय. रोज सुबह उठ कर खुद से एक वादा करें कि आज भले ही कुछ भी हो जाये, मैं गुस्सा नहीं करूंगा. अपना दिमाग स्थिर रखूंगा.याद रखें कि यह वादा खुद तक ही सीमित रखें, किसी को बतायें नहीं, वरना लोग जान-बूझ कर आपको गुस्सा दिलाने की कोशिश करेंगे.
उदाहरण के तौर पर मान लें कि आपके पास दिनभर में ऐसे 10 मौके आते हैं, जो आपको चिड़चिड़ा बना सकते हैं, दिल की धड़कन तेज कर सकते हैं या आपको गुस्सा दिला सकते हैं. यदि आपने इन छोटी-छोटी परिस्थितियों में अपना दिमाग स्थिर रख लिया, तो आप बड़ी समस्या आने पर बहुत शांत तरीके से उस पर विचार कर सकेंगे और उस समस्या से उबर जायेंगे. वहीं अगर आप दिन की पहली छोटी समस्या पर ही चिड़चिड़ाने लगे, तो आपका मन अस्थिर हो जायेगा. आपके संयम का ग्राफ 10 तक पहुंच जायेगा और ऊर्जा 100 से घट कर 90 हो जायेगी. जब दूसरी छोटी घटना होगी, तो संयम का ग्राफ 20 पर पहुंच जायेगा और ऊर्जा 90 से घट कर 80 हो जायेगी.
इस तरह 10वीं समस्या तक आपका संयम 100 तक पहुंच कर टूट चुका होगा और ऊर्जा शून्य हो चुकी होगी. अब आपके ऊपर जब कोई बड़ी समस्या आयेगी, जिस पर ध्यान देने की सचमुच बहुत जरूरत है, तो आपका दिमाग इस दबाव को ङोल नहीं कर पायेगा, क्योंकि आपने पहले ही छोटी-छोटी समस्या से उसे असंतुलित कर दिया था.
बेहतर है कि दिनभर की छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर खुद पर नियंत्रण रख कर अपनी ऊर्जा बचा कर रखें. यदि आप फाइल ठीक से रखी न होने के कारण, कॉफी खराब होने के कारण, किसी कर्मचारी के देर से आने के कारण, बच्चों द्वारा कोई चीज तोड़ दिये जाने के कारण ही अपना आपा खो देंगे, तो बड़ी समस्या जैसे बिजनेस में बड़ा घाटा या परिवार में किसी के अस्पताल में भरती होने के मौके पर परिस्थिति को संभाल नहीं पायेंगे. हमें चाहिए कि हम अपनी ऊर्जा छोटी-छोटी चीजों में बेकार न खर्च करें.
बात पते कीः
-हर छोटी बात पर प्रतिक्रिया देना जरूरी नही होता है. अपनी ऊर्जा बड़े व अच्छे कामों के लिए संभाल कर रखें.
-जब आप गुस्सा न करने के वादे को कुछ दिन निभा लेंगे, तो आप अपने अंदर एक बड़ा बदलाव महसूस करेंगे. आपकी कार्यक्षमता भी बढ़ जायेगी.