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सोच, सपनों और गुणों से बनता है व्यक्तित्व

।। दक्षा वैदकर ।।अकसर इस कॉलम के पाठक अपनी एक समस्या बताते हैं. वह है ‘खुद को बहुत छोटा महसूस करना’. वे कहते हैं कि कॉलेज में दोस्तों की भीड़ में, किसी पार्टी में, ऑफिस की मीटिंग में, फेयरवेल व फ्रेशर्स पार्टी में वे खुद को बहुत हल्का व छोटा महसूस करते हैं. उन्हें अपने […]

।। दक्षा वैदकर ।।
अकसर इस कॉलम के पाठक अपनी एक समस्या बताते हैं. वह है ‘खुद को बहुत छोटा महसूस करना’. वे कहते हैं कि कॉलेज में दोस्तों की भीड़ में, किसी पार्टी में, ऑफिस की मीटिंग में, फेयरवेल व फ्रेशर्स पार्टी में वे खुद को बहुत हल्का व छोटा महसूस करते हैं. उन्हें अपने आसपास के सभी लोगों का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक लगता है.

सारे लोग बहुत सुंदर दिखते हैं, आत्मविश्वास के साथ बातें करते हैं, चुटकुले सुनाते हैं और लोगों से घिरे रहते हैं. जबकि उन्हें कोई नहीं पूछता. ऐसी परिस्थिति में वे लोग हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि सारे लोग उनके ढीले व्यक्तित्व, अजीब कपड़ों, चेहरे की बनावट, हाइट-हेल्थ को ले कर मजाक बना रहे हैं. ऐसा महसूस होते ही उनके चेहरे से मुस्कुराहट गायब हो जाती है और वे खुद को भीड़ से अलग कर लेते हैं.

ऐसे लोगों को समझना होगा कि किसी का व्यक्तित्व उसके चेहरे, हाइट-हेल्थ, रंग-रूप, पद-पेशे, डिजाइनर व महंगे ड्रेसेस, बातचीत के तरीके से नहीं बनता. ये सारी चीजें केवल दैहिक सज्जा हैं. यह आप नहीं हैं. ये चीजें आपने खुद नहीं बनायी हैं. आपका नाम आपके माता-पिता ने रखा है. यह शरीर आपको भगवान ने दिया है. ड्रेसेस जो आप पहनते हैं, वो बाजार में मिल जाती हैं. इन्हें कोई भी खरीद सकता है. बातचीत का तरीका, आत्मविश्वास, इंगलिश का ज्ञान, यह तो आप किसी भी पर्सनालिटी डेवलपमेंट क्लास को ज्वॉइन कर पा सकते हैं.

दोस्तो, आप हीन भावना से निकलने के लिए खुद से एक सवाल पूछें, ‘मैं क्या हूं?’ याद रखें कि बालों का स्टाइल बदलना, महंगे कपड़े पहनना, प्लास्टिक सजर्री करवाना, आकर्षक व्यक्तित्व पाने का तरीका नहीं है. ना ही ये आकर्षक व्यक्तित्व जांचने का सही पैमाना हैं.

आपका व्यक्तित्व तो आपके गुणों से बनता है. आपको खुद को गुणी बनाना होगा. आपका व्यक्तित्व इस बात से बनता है कि आपके सपने कितने बड़े हैं, आपकी खुद से अपेक्षाएं कितनी हैं, आप उनके लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं. आप अपने जीवन में क्या कर रहे हैं, क्या करना चाहते हैं, इन बातों से मिल कर बनता है आपका व्यक्तित्व. इसलिए खुद को पहचानें. ‘मैं’ को तलाशें.

– बात पते की
* अपने ऊपरी आवरण की चिंता छोड़ें, भीतरी गुणों को निखारने के लिए मेहनत करें. जब वो बड़े हो जायेंगे, तो सारी चीजें फीकी पड़ जायेंगी.
* खुद को कपड़े, लुक व पैसों से न तौलें. अपने बहुआयामी व्यक्तित्व को पहचानें. खुद को अपनी खूबियों और खामियों के साथ अपनायें.

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