आजादी हर किसी को प्यारी होती है.शायद इसीलिए दासता से मुक्ति के दिन को हर वह देश जश्न मना कर याद करता है, जिसने लंबे संघर्षो के बाद आजादी पायी है. लेकिन हर देश की अपनी एक अलग संस्कृति और जीवनशैली होती है, इसलिए उनके जश्न मनाने का रंग और ढंग भी अलग–अलग होता है. दुनियाभर में आजादी का जश्न मनाने की रवायतों पर नजर डाल रहे हैं एयू–एशिया न्यूज के नयी दिल्ली संपादक पुष्परंजन.
एशिया
एशिया में अगस्त माह को आजादी का महीना कहें, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. एशिया के कम से कम छह देशों में अगस्त माह में स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया जाता है. 15 अगस्त दक्षिण कोरिया के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना भारत के लिए. कोरिया लंबे समय तक जापान का उपनिवेश रह चुका है. 15 अगस्त, 1945 को कोरिया जापान से आजाद हुआ. 15 अगस्त को उनके घरों में (ताइगुकी) राष्ट्रध्वज का टंगे रहना इस बात का प्रतीक है कि दक्षिण कोरिया के लोग दिलो–जान से स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं. इस दिन दक्षिण कोरिया का म्यूजियम देश के नागरिकों के देखने के लिए मुफ्त रहता है. ग्वांगबोजोजिसे प्रकाश का परावर्तनकहा जाता है, को दक्षिण कोरियाई अपना राष्ट्रगीत समझते हैं और उसे बड़ी शान से गाते हैं.
9 सितंबर, 1948 को सोवियत रूस की सरपरस्ती से उत्तर कोरिया एक अलग देश बना. दक्षिण कोरिया से अलग हुआ उत्तर कोरिया 9 सितंबर को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है. सैन्य शक्ति का प्रदर्शन और किम शासकों के प्रति समर्पण उत्तर कोरिया की आजादी के मायने हैं. अगस्त में आजादी के बाद सिर्फ भारत–पाकिस्तान ही अलग नहीं हुए, उत्तर और दक्षिण कोरिया को भी उपनिवेशवादी ताकतों ने बांट दिया.
पाकिस्तान
पाकिस्तान में 14 अगस्त को मसजिद में अजान से आजादी वाले दिन का आगाज होता है. जिस तरह भारत में 15 अगस्त को 21 तोपों की सलामी होती है, पाकिस्तान 31 तोपों से गोले छोड़ कर यह बताने की चेष्टा करता है कि हम आजादी मनाने में भारत से दस तोपआगे हैं. यह भी दिलचस्प है कि पाकिस्तान के जवाब में बांग्लादेश भी 26 मार्च को 31 तोपों की सलामी के साथ स्वतंत्रता दिवस का स्वागत करता है. 1971 के शहीदों के लिए बने स्मारक जातीय स्मृति सौद्यो पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.
खैर, पाकिस्तान में आजादी के दिन खवातीनों हजरात अपने हाथों में मेहंदी लगा कर आजादी का इजहार करती हैं, तो बच्चे–युवा सफेद व हरे रंगवाले पाकिस्तानी ध्वज अपने चेहरे पर उकेरे घूमते हैं. रैलियां और पारंपरिक नृत्य करके पाकिस्तानी युवा आजादी की खुशियां बिखेरते हैं, लेकिन सत्ता और सेना में बैठे लोग इस दिन परेड निकाल कर अपनी ताकत दिखाना अवश्य पसंद करते हैं.
इंडोनेशिया
इंडोनेशिया 17 अगस्त, 1949 को डच और जापानियों की गुलामी से आजाद हुआ था. 17 अगस्त के दिन सफेद और लाल रंगवाले इंडोनेशियाई ध्वज को हर घर में टंगा देख कर आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां के नागरिक कितने देशभक्त हैं. लेकिन देशभक्ति को समारोह के रूप में देखना हो तो आप इंडोनेशिया जाकर ही उसका लुत्फ उठा सकते हैं. जकार्ता शहर में सर्प नृत्य और ड्रैगन डांस अनोखी छटा बिखेरता है. बूढ़े से बच्चे तक बोरी में घुस कर दौड़ लगाते हैं. ताड़ और खजूर के पेड़ों पर तेजी से चढ़ने की प्रतियोगिता होती है. इन पेड़ों को तेल और चिकनाई से तर कर दिया जाता है और सबसे ऊपरी सिरे पर टीवी, मोबाइल फोन, किताबें, केरूपुक (मछली के स्वादवाले चिप्स) के पैकेट बांध दिये जाते हैं. जाहिर है, ये चीजें जीतनेवाले को ही मिलती हैं.
इंडोनेशिया में स्वतंत्रता का दूसरा स्वरूप धार्मिक स्थलों पर दिखाई देता है, जहां तास्याकुर नामक पूजा–अर्चना करकेआजादी के लिए ईश्वर का आभार व्यक्त किया जाता है. इसके उपरांत पारंपरिक परिधान में इंडोनेशिया के लोग जुलूस (कार्निवल) निकालते हैं, और फिर विभिन्न प्रांतों के भोजन व पेय पदार्थों का स्वाद लेने के लिए मेला लगता है.
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान 19 अगस्त को अपनी आजादी का दिवस मनाता है. 19 अगस्त, 1919 को एंग्लो–अफगान समझौते के तहत अफगानिस्तान को आजादी हासिल हुई थी. सेना की परेड, आतिशबाजियों से आजादी की रस्म–अदायगी भर अफगानिस्तान में होती है. पर अफगानिस्तान से बाहर जहां भी अफगान नागरिक रहते हैं, वे इस दिन जश्न मना कर उसे यादगार बनाते हैं.
थाईलैंड
थाईलैंड को 1896 में अंगरेजों से आजादी मिली थी. विचित्र यह है कि थाई जनता स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाती, बल्कि हर वर्ष 5 दिसंबर को वहां राजा का जन्मदिन मनाने की परंपरा है, जिसे ‘राष्ट्र दिवस’ के रूप में रेखांकित किया जाता है.
मलयेशिया
मलयेशिया 31 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस (हारी मरडेका) मनाता है. 31 अगस्त, 1957 को मलयेशिया को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्ति मिली थी. राजधानी क्वालालंपुर से लेकर मलयेशिया के हर गांव में आजादी के समारोह का समां हर साल बदल जाता है. वहां पर हर साल स्वतंत्रता समारोह की थीम बदल दी जाती है. 2011 में मलयेशिया का सफल रूपांतरण और शांति को स्वतंत्रता समारोह का विषय बनाया गया था. 2013 में मलयेशिया की एकता वहां के स्वतंत्रता समारोह का विषय है.
.. और एक सवाल
यहां सवाल यह है कि बदलते वक्त के साथ क्या भारत में भी आजादी के समारोह में परिवर्तन नहीं होना चाहिए? सोशल मीडिया पर अब यह बहस चल पड़ी है कि क्यों नहीं हम भी हर साल एक नये नारे के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाएं? हर हाथ को रोटी हर हाथ को काम हर व्यक्ति को शिक्षा स्वस्थ भारत–मस्त भारत नारी को समान हक जैसे नारे हमारा इंतजार कर रहे हैं. मलयेशिया जैसा देश जब हर साल आजादी के मायने बदल सकता है, तो भारत क्यों नहीं? इस पर आप भी गंभीरता से सोचिए और अपनी प्रतिक्रियाएं दीजिए!
श्रीलंका
श्रीलंका 4 फरवरी, 1948 को ब्रिटेन से आजाद हुआ था. 4 फरवरी को पूरे देश में ध्वजारोहण, परेड वहां की परंपरा है. मुख्य परेड कोलंबो में होता है, जहां राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं, और टीवी पर राष्ट्र को संबोधित करते हैं.
इराक
एशिया में इराक ऐसा देश है, जिसे विधिवत रूप से स्वतंत्रता दिवस की घोषणा करना बाकी है. 2006 में सद्दाम हुसैन के शासन की समाप्ति से पहले 3 अक्तूबर को इराक की जनता स्वतंत्रता दिवस मनाती थी. इराक सद्दाम हुसैन के बाद आजाद हुआ, या अंगरेजों से मुक्ति के बाद इस पर बहस समाप्त नहीं हुई है.
मालदीव
मालदीव को ब्रिटेन से आजाद हुए 48 साल हो गये. हर साल 26 जुलाई को मसजिद में अजान के साथ मालदीव के स्वतंत्रता दिवस का आगमन होता है. सुबह राष्ट्रपति द्वारा झंडा फहराने के बाद परेड होती है और देश भर में जश्न मनाया जाता है.
म्यांमार
बर्मा (म्यांमार) हर साल 4 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाता है. इस दिन बर्मा को ब्रिटिश शासन से मुक्ति मिली थी. 4 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूरे बर्मा में खेल प्रतियोगिताएं होती है, संगीत का आयोजन होता है, और मेले लगते हैं. म्यांमार में स्वतंत्रता दिवस का मयार एशिया के बाकी देशों से थोड़ा अलग है. इस दिन के सरकारी परेड में सजधज कर निकले हाथियों को देखने के लिए दूसरे देशों के पर्यटक भी खास तौर पर बर्मा पधारते हैं.
फिनलैंड
हेलसिंकी का वह सर्द भरा सप्ताह था, जब पहली बार वहां जाना हुआ. छह दिसंबर, 2004 की शाम फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी का नजारा लगभग दीवाली जैसा था, जब लोगों ने अपने घरों की खिड़की पर दो मोमबत्तियां जला रखी थीं. सिर्फ दो मोमबत्तियां! तीसरी मोमबत्ती बिल्कुल नहीं. पर दुकानों में रंग–बिरंगे बल्ब और शहर भर में जश्न जैसी चहल–पहल. फिनलैंड में स्वतंत्रता दिवस ऐसे ही मनाया जा रहा था. वहां के राष्ट्रध्वज से मिलते–जुलते रंग वाले नीले और सफेद क्रॉस के आकार के केक, पेस्ट्री, चॉकलेट इसी खास अवसर पर तैयार किये जाते हैं.
4 दिसंबर, 1917 को रूस से फिनलैंड को आजादी मिली थी. दो दिन बाद संसद ने इसकी मंजूरी दी थी कि फिनलैंड अब आजाद है. फिर तय हुआ कि हर साल छह दिसंबर को फिनलैंड के नागरिक दो मोमबत्तियों के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे.
दो मोमबत्तियां जला कर स्वतंत्रता दिवस मनाने का यह फंडा फिनलैंड को दुनिया के बाकी देशों से अलग करता है. दो मोमबत्तियां रूसी दमन के विरुद्ध प्रतिरोध दशार्ती हैं. इसकी रवायत फिनलैंड के राष्ट्रकवि जोहान लुडविग रूनेबर्ग के जमाने से थी. 1877 में मृत्यु से पहले कवि जोहान लुडविग रूस के विरुद्ध अपनी खिड़की पर दो मोमबत्तियां जला कर बागियों को संकेत भेजते थे कि वे उनके यहां छुप सकते हैं. बाद के दिनों में शेष देश कवि जोहान लुडविग के नक्शे कदम पर चल पड़ा.
1970 से पहले फिनलैंड में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर चर्च में स्पेशल सर्विस होती थी. उसके उपरांत देश के महत्वपूर्व जगहों, चौक–चौराहों पर आजादी के तराने गाये जाते थे और देशभक्ति से ओत–प्रोत भाषण होते थे. पिछले तीन दशकों में फिनलैंड में आजादी के तराने बदलते चले गये, उनकी जगह अब रॉक स्टार ने संभाल लिया है.
इजरायल
आजादी को अजीब तरह से मनाने के मामले में इजरायल भी कम नहीं है. 14 मई, 1948 को इजरायल आजाद हुआ था. यहूदियों के कैलेंडर माह इयार के पांचवें दिन जेरूसलम के माउंट हर्जेल पर स्वतंत्रता दिवस समारोह का आगाज होता है. वहां झंडारोहण होता है. देशभक्ति के भाषण दिये जाते हैं और 12 मशालों के साथ एक जुलूस निकलती है. ये 12 मशालें इजराइल के 12 कबीलों का प्रतिनिधित्व करती हैं. ये मशालें हर साल इजराइली समाज के लिए महत्वपूर्ण योगदान करनेवाले 12 लोगों के हाथों में होती हैं.
ग्रीस
तुर्की के ओटोमन साम्राज्य (सल्तनते उस्मानिया) से ग्रीस (यूनान) को 25 मार्च, 1821 को आजादी मिली थी. ग्रीस की आजादी की उद्घोषणा चर्च द्वारा होती है. ग्रीस के रूढ़ीवादी कैलेंडर के अनुसार इस दिन स्वर्ग से उतरे फरिश्ता गेब्रिएल ने कुंआरी कन्या मेरी के गर्भवती होने की सूचना दी थी. ग्रीस में स्वतंत्रता दिवस की शुरुआत चर्च में प्रार्थना से होती है और फिर पूरे दिन परेड, जुलूस और पार्टियों में देश की जनता व्यस्त होती है.
ग्रीस की आजादी को अमेरिकी राष्ट्रपति भी मनाते हैं, यह जानना दिलचस्प है. बोस्टन, न्यूयॉर्क सिटी में हर साल अमेरिका में बसे ग्रीक मूल के लोग परेड निकालते हैं. व्हाइट हाउस से उन्हें विशेष संदेश प्राप्त होता है. कई बार ऐसा भी हुआ कि अमेरिकी राष्ट्रपति ग्रीस स्वतंत्रता दिवस के परेड में शामिल हुए.
अमेरिका
अमेरिका, जिसे पूरी दुनिया पर हुकूमत बजाने और अपनी हेकड़ी दिखाने की आदत है, भी कभी गुलाम हुआ करता था. 4 जुलाई, 1776 को ब्रिटेन की गुलामी से अमेरिका को आजादी मिली थी. अमेरिकी जनता इस दिन को ‘फेमिली इवेंट’ के रूप में मनाती है. घरों और वाहनों पर अमेरिकी झंडे उनकी देशभक्ति का प्रतीक है, लेकिन बदलते समय के साथ इसे मौज–मस्ती में भी तब्दील करने की पहल की गयी. दो दिनों तक पिकनिक पार्टियां, खेलकूद, डांस, बार्बिक्यू, आतिशबाजियां और बैंडबाजों का मौसम रहता है. जहां बेहतरीन आतिशबाजियां होती हैं, उसका टीवी पर प्रसारण किया जाता है. आजादी के 48 घंटे पूरे अमेरिका में तरबूजे और हॉटडाग खाने की प्रतियोगिता होती है. जो सबसे बड़ा खाऊ साबित होता है, उसे पुरस्कारों से लाद दिया जाता है.
अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस आवश्यकता पड़ने पर आगे–पीछे भी किया जाता है. यदि 4 जुलाई को शनिवार है, तो स्वतंत्रता दिवस एक दिन पीछे खिसका कर 3 जुलाई शुक्रवार को मनाने की परंपरा है. यदि 4 जुलाई को रविवार पड़ जाये, तो उसे एक दिन आगे कर 5 जुलाई सोमवार को अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस मनाने का आदेश होता है. यह सब इसलिए, ताकि पूरा अमेरिका आजादी के इस जश्न को पारिवारिक समारोह के रूप में मनाये और एक दिन आराम भी करे.
यह ध्यान में रखनेवाली बात है कि अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस 4 जुलाई की बजाय 3 जुलाई 1992, 5 जुलाई 1993, 3 जुलाई 1998, 4 जुलाई 1999, 5 जुलाई 2004, 3 जुलाई 2009 और 5 जुलाई 2010 को मनाया गया. इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति दो साल बाद 3 जुलाई 2015 को होगी.
न्यूयॉर्क के हडसन नदी के द्वीप पर जिस स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को देखने के लिए नौका, जहाजों और हेलीकॉप्टर से सैलानी चक्कर लगाते हैं, वह दरअसल पूरी दुनिया को याद दिलाने के लिए है कि अमेरिका ब्रिटिश कालोनी रहा है. यह स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (स्वतंत्रता की मूर्ति) 28 अक्तूबर, 1886 को फ्रांस की जनता की ओर से अमेरिका को भेंट की गयी थी. इस मूर्ति को स्थापित करने से पहले विशाल प्लेटफॉर्म और वहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनानी थी, जिसके लिए बैंक ऑफ अमेरिका के पास पैसे के टोटे पड़ गये थे.
यह जानना दिलचस्प है कि इसके लिए सबसे बड़ी पहल एक अखबार के संपादक जोसेफ पुलित्जर ने की थी. पुलित्जर ने अपने संपादकीय पन्ने के जरिये फंड जुटाने का अभियान छेड़ दिया था. ये वही जोसेफपुलित्जर थे, जिनके नाम से पुलित्जर अवार्ड जारी होता है.
कोलंबिया
कोलंबिया अपना स्वतंत्रता दिवस जश्न और जोश के साथ 20 जुलाई को मनाता है. उत्तरी अमेरिका के इस देश को 20 जुलाई, 1810 को स्पेन की गुलामी से मुक्ति मिली थी. कोलंबिया के जितने भी प्रमुख कबीले हैं, वे अपने पारंपरिक डांस का प्रदर्शन स्वतंत्रता दिवस पर करते हैं. कोलंबिया में स्वतंत्रता दिवस समारोह जंगल से शहर को जोड़ने का जरिया बना हुआ है.
मैक्सिको
1810 में आजाद हुआ मैक्सिको अपना स्वतंत्रता दिवस (सिंको द मायो) दो दिनों तक मनाता है. वहां हर साल 15 सितंबर की शाम ‘ग्रीटो द डोलरेस चर्च से स्वतंत्रता दिवस की शुरुआत होती है. यह वही जगह है जहां से मैक्सिको की आजादी का आह्वान किया गया था.
इस चर्च में मैक्सिको के राष्ट्रपति आते हैं और बेल बजा कर सूचना दी जाती है कि स्वतंत्रता दिवस का आगाज हो चुका है. दूसरे दिन 16 सितंबर को परेड का आयोजन होता है.
ब्राजील
सबसे रंगारंग स्वतंत्रता दिवस समारोह ब्राजील में होता है. सात सितंबर को सांबा डांस का आनंद लेना हो तो ब्राजील जाइये. इसी दिन 1822 में ब्राजील को पुर्तगाल से आजाद किये जाने की घोषणा हुई थी.
अफ्रीकी देश
लाइबेरिया 1847 में आजाद हुआ था. यह अफ्रीका का पहला देश था, जिसे गुलामी से मुक्ति मिली थी. इथियोपिया को छोड़ कर, 17वीं सदी में यूरोपीय देशों का गुलाम बना अफ्रीका, आजादी का सूरज द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ही ठीक से देख पाया. यों इथियोपिया को गुलाम बनाने का प्रयास 1880 और 1930 में इटली ने दो बार किया था. इटली का गुलाम बने लीबिया को 1951 में आजादी मिली. 18 जून, 1953 को ब्रिटेन से मिस्र को मुक्ति मिली. 1956 में ट्यूनीशिया और मोरक्को, फ्रांस से मुक्त हुए.
1957 में घाना सब सहारा का पहला देश था जो स्वतंत्र हुआ. अफ्रीका में आजाद हुए देशों का पहला सम्मेलन 1958 में हुआ था. उस समय तक अफ्रीका के केवल आठ देश स्वतंत्र हुए थे.
1960 के बाद अफ्रीका के 17 देश बारी–बारी से यूरोपीय देशों से आजाद होते चले गये. आज की तारीख में अफ्रीका के 54 देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं. इनमें से मोरक्को को छोड़ कर 53 देश अफ्रीकन यूनियन (एयू) के सदस्य हैं, जिसकी स्थापना 9 जुलाई, 2002 को दक्षिण अफ्रीका में की गयी थी. इससे पहले 32 देशों ने 25 मई, 1963 को इथियोपिया की राजधानी आदिस अबाबा में ‘आगेर्नाइजेशन ऑफ अफ्रीकन यूनिटी’ (ओएयू) की स्थापना की थी. 25 मई को ही अफ्रीका दिवस मनाया जाता है. दुनिया भर में यह तारीख अफ्रीकी जनता की आजादी का प्रतीक है.
अफ्रीका के ज्यादातर देशों में स्वतंत्रता दिवस राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर अफ्रीकी वनवासी अपनी संस्कृति का प्रदर्शन अवश्य करते हैं.वैचारिक बहस होती है. अफ्रीका के विभिन्न देशों में नेता और समाज के महत्वपूर्ण लोग भाषण देते हैं. कविता पाठ होता है. रैलियां निकलती हैं. अफ्रीका वालों के लिए यह गौरव का विषय है कि 25 मई को इस महादेश से बाहर भी दुनिया के कई देशों में अफ्रीका दिवस मनाया जाता है.
अमेरिका और भारत में भी 25 मई को अफ्रीका दिवस मना कर उपनिवेशवाद और गुलामी के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन किया जाता है. नयी दिल्ली के कूटनीतिक हलकों में इस दिन अफ्रीका को लेकर अच्छी–खासी बौद्धिक बहस होती है और दूतावासों से लोग आमंत्रित किये जाते हैं.