मॉडलिंग से अभिनय में आनेवाले जॉन अब्राहम को बतौर अभिनेता खुद को साबित करने में एक लंबा अरसा गुजरा है. लेकिन देर से ही सही उन्होंने इंडस्ट्री में न सिर्फबतौर अभिनेता, बल्कि सफल निर्माता के तौर पर भी अपनी एक अलग जगह बना ली है. जॉन हमसे साझा कर रहे हैं, अपने सिनेमाई सफर के खास पल.
खास पल:जॉन अब्राहम
सिनेमा का पहला ख्वाब कब देखा ?
सिनेमा के बारे में शुरुआत में नहीं सोचा था. ग्लैमर वर्ल्ड में मैंने मॉडलिंग से एंट्री की थी. मैं एक मिडिल क्लास परिवार से हूं, इसलिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए काम को नहीं छोड़ सकता था. मैंने एमबीए किया था और एक फर्म में मीडिया प्लानर की जॉब भी करता था. उसी समय मैंने एक बड़े मॉडल हंट में जाने की सोची, लेकिन मैंने नौकरी नहीं छोड़ी थी. मैंने उनसे कहा कि आप मुझे कुछ महीनों की छुट्टी दे दीजिए बिना तनख्वाह दिये हुए. वे मान गये. मैं नहीं चाहता था कि मॉडलिंग हंट में असफल होने के बाद मैं बेरोजगार घूमूं. मिडिल क्लास से हूं, इसलिए प्लान करके ही जिंदगी को जिया. लेकिन मैं कामयाब रहा. पहले मॉडलिंग, फिर एड और फिर फिल्म- एक के बाद एक मैं सबका हिस्सा बनता चला गया.
सिनेमा की ओर पहला कदम कब उठाया ?
भट्ट साहब ने मुझे एक जींस के विज्ञापन फिल्म में देखा. इसके बाद उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि ‘मैं एक फिल्म बना रहा हूं, जिसमें अभिनेता के तौर पर तुम सटीक हो.’ वह फिल्म ‘जिस्म’थी.
क्या असफलताओं का भी सामना किया ? पहली असफलता ?
‘जिस्म’ मेरी पहली फिल्म थी, जो सुपरहिट रही थी. कैरियर के शुरुआत में ही मैंने सफलता का स्वाद चख लिया था, लेकिन उसके बाद चीजें बदलीं. ‘साया’, ‘ऐतबार’,‘पाप’ और ‘लकीर’ एक के बाद एक मेरी चार फिल्में फ्लॉप हुईं. 2006 मेरा सबसे बुरा साल था. बाइक एक्सीडेंट हुआ. प्रॉपर्टी के मामले में भी बहुत बड़ा धोखा खाया था. मुझे याद है एक बहुत बड़े निर्माता-निर्देशक ने मुझे ‘जिस्म’ की सफलता के बाद साइन किया था. फिल्म के लिए पैसे भी दिये थे. लेकिन जब लगातार मेरी तीन फिल्में फ्लॉप हो गयीं, तो उसने मेरे मैनेजर का फोन तक लेना बंद कर दिया. चौथी फिल्म भी जब असफल हो गयी, तो मैं खुद उनसे मिलने गया और उनके दिल की बात समझते हुए मैंने कह दिया कि आप मेरे साथ मत काम करो और मैंने उनका टोकन मनी लौटा दिया. वह बहुत खुश हुए कि मेरे जैसे अभिनेता को अपनी फिल्म में लेने से बच गये. मेरी फिल्में चलें या न चलें, मैंने अपने हिस्से की ईमानदारी हमेशा बरती है.
पहला सेलिब्रिटी एक्सपीरियंस.
मैं मुंबई की चॉल का रहने वाला हूं. बहुत उतार-चढ़ाव से भरा रहा है मेरा सफर. मॉडलिंग बैकग्राऊंड से हूं इसलिए खुद को एक्टर के तौर पर साबित करने में ही बहुत मेहनत करनी पड़ी. मगर ‘धूम’ और फिर ‘दोस्ताना’ ने सबकुछ बदल दिया. इन दोनों फिल्मों की सफलता से मैं रातोरात स्टार का दर्जा पा गया. एक्टिंग से ज्यादा मेरे लुक और बॉडी पर चर्चा होने लगी. बाइक लेकर जब बाहर निकलता तो लड़के मेरा पीछा करने लगते थे. अच्छा लगता था. लोकप्रियता का एहसास वाकई सुकून देता है.