चीन के गांसू प्रांत में आये भयावह भूकंप के बाद 28 साल की ल्याव जॉ ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा. ल्याव जॉ, ख़ुद साल 2008 में सिचुआन प्रांत में आये भयानक भूकंप में अपने दोनों पैर गंवा चुकी हैं, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं हारा और तय किया कि वो भूकंप से प्रभावित लोगों की हर संभव मदद करेंगी और राहत कार्यो में अपना योगदान देंगी. ल्याव के बारे में एक और खास बात यह है कि वह एक डांसर भी हैं और दोनों पैर न होने के बावजूद भी वह बेहद ख़ूबसूरत नृत्य पेश करती हैं, लेकिन इसके पीछे उनके संघर्ष की एक लंबी दास्तान है.
काफी संघर्ष किया
साल 2008 में आये भूकंप में उन्होंने अपने दोनों पैरों के साथ–साथ, अपनी सास और अपनी बेटी को भी खो दिया. ल्याव की जान बचाने के लिए उनके दोनों पैरों को काटना पड़ा. वह कहती हैं, मैंने बिना सोचे–समङो कागजों पर साइन कर दिया क्योंकि अगर मैं डॉक्टरों को अपने पैर काटने की अनुमति नहीं देती, तो मेरी जान भी जा सकती थी. मैं जिंदा रहना चाहती थी. मैंने ख़ुद कई लोगों को अपने सामने मरते देखा इसलिए अपने जिंदा बच जाने के लिए मैंने भगवान का शुक्रि या अदा किया. अपनी बेटी की कमी मैं आज भी महसूस करती हूं. मुझे दुख है कि मैं उसकी जान नहीं बचा पायी.
अपनी गरिमा के लिए संघर्ष
ल्याव कहती हैं कि दोनों पैर खोने के बाद उन्हें कृत्रिम पैर लगाये गये, लेकिन शुरुआती दिनों में उन्हें इनके साथ खासी तकलीफ हुई. वह कई बार अवसाद का शिकार भी हुईं, लेकिन फिर उन्होंने तय किया कि दोबारा गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए उन्हें इन कृत्रिम पैरों को स्वीकार करना होगा. उन्होंने तय किया कि अपने असल पैरों के साथ वह जितने पारंगत तरीके से नृत्य करती थीं वह उसी दक्षता को हासिल करेंगी. वह कहती हैं कि, मैं संगीत बजा कर नृत्य करने का अभ्यास करने लगी. शुरु आत में मुझे संतुलन बनाने में बड़ी तकलीफ होती थी. फिर मैंने डांस में ऐसे मूवमेंट निकाले, जिनसे मैं आसानी से संतुलन बना सकूं . अक्तूबर 2008 में उन्होंने अपने कृत्रिम पैरों के साथ पहला परफॉर्मेस दिया. शुरुआत में तो दर्शक मेरे मूवमेंट देख कर हंसने लगें, फिर मैंने अपने पैरों को अलग कर दिया, मेरी इस हरकत से दर्शक चौंक पड़े और उन्होंने जम कर तालियां बजायीं.
भूकंप पीड़ितों का सहारा
ल्याव उसके बाद कई शोज सफलतापूर्वक कर चुकी हैं. वह बताती हैं कि अब उनके अंदर इतना आत्मविश्वास आ चुका है कि नृत्य के अलावा वह पर्वतारोहण और तैराकी भी कर लेती हैं. नृत्य के अलावा ल्याव भूकंप राहत कार्यो में भी बढ़–चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. वह बताती हैं कि उन्होंने जिस तरह से भूकंप के मलबे में कई घंटे तक दबे रहने के बाद भी मौत को मात दी अपने उस अनुभव का इस्तेमाल वह दूसरे भूकंप पीड़ितों की मदद में करना चाहती हैं. वह चीन के भूकंप प्रभावित इलाकों में जाती हैं और लोगों की मदद करती हैं.
दूसरों के लिए प्रेरणादायी
(बीबीसी से साभार)