।। केडी सिंह ।।
– वियतनाम, एक गौरवशाली देश, सादगी ऐसी कि हर को अपनी ओर खींचे. लेकिन इसके पीछे है एक लंबा संघर्ष, इसकी झलक यहां की संस्कृति में देखने को मिलती है. पिछले दिनों अखिल भारतीय किसान सभा की झारखंड राज्य इकाई के महासचिव केडी सिंह वियतनाम फारमर्स यूनियन के आमंत्रण पर वियतनाम यात्रा पर गये थे. इस दौरान वहां की विरासत से रू -ब-रू होने के साथ उन्होंने किसान आंदोलन को भी समझा , जो आधुनिक वियतनाम का आधार है. पेश है यात्रा की पहली किस्त. –
हमलोग इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली से जेट एयरवेज से रवाना हुए और हांगकांग पहुंचे. वहां आठ घंटे तक रहा. हांगकांग इंटरनेशनल हवाई अड्डा समुद्र के किनारे और दुनिया के सुंदरतम हवाई अड्डों में एक है. आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस है. एक मिनट में औसतन 10 जहाज उड़ान भरते हैं और लैंड करते हैं. यहां कार्बन उत्सजर्न को सोख लेने की भी तकनीक लगी है. हवाई अड्डे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का बाजार और होटल है. नमाज अदा करने के लिए कमरा है. इमारत पर एक तरफ चित्रकला और लेखन के माध्यम से हांगकांग का इतिहास उकेरा गया है. यह हवाई अड्डा अपने आप में एक दुनिया है.
इसे ग्रीन गेटवे भी कहा जाता है. शाम को वियतनामी एयरवेज से हनोई के लिए हमलोग रवाना हुए. जहाज की सीट में लगे स्क्रीन के माध्यम से ‘आनंद’ फिल्म देखी. शाम 7.30 बजे वियतनाम की राजधानी हनोई में थे. वहां ‘हा’ एवं ‘चुंग’ ने हमलोगों का स्वागत किया. पौन घंटे के अंदर हमलोग हनोई के सनसेट वेस्टलेक होटल में थे.
दूसरे दिन प्रात: हमलोगों को दस दिन का प्रोग्राम दिया गया. आठ बजे प्रात: हमलोगों को वियतनाम के महानायक, पूर्व राष्ट्रपति हो ची मिन्ह के मकबरा पर ले जाया गया. यह एक विशाल मैदान से जुड़ा हुआ था. वहां देखनेवालों की भारी भीड़ जमा हो रही थी. तीन लाइन थी. बच्चों की, बुजुर्गो की और जेनरल लाइन. एक बिंदु जांच घर पर पहुंच कर सभी लाइन एक-से हो जाते थे.
हालांकि हमलोग वीआइपी लाइन में थे. उस समय झंडा बदलने और माल्यार्पण का वक्त था. विशेष उजले रंग के यूनिफार्म में फौजी लोग झंडा उतार कर माल्यार्पण कर रहे थे. उस समय एक साधारण पैरेड हुआ और सलामी गारद की औपचारिकता पूरी की गयी. हमलोगों ने भीतर पहुंच कर महानायक का दर्शन किया और भारतीय संस्कृति और मार्क्सवादी तहजीब में सलाम किया.
वियतनामी अपने अंदाज में और विदेशी अपने अंदाज में सलाम कर रहे थे. मकबरा देखने के बाद हमलोगों को राष्ट्रपति भवन ले जाया गया जहां एक सुशिक्षित गाइड ने वियतनाम के संक्षिप्त इतिहास से परिचय कराया. हमें हो ची मिन्ह के साधारण कमरा को भी दिखाया, जहां जीवनर्पयत छोटे-से कमरे में रह कर उन्होंने राष्ट्रपति का भी काम किया. चूंकि वर्तमान राष्ट्रपति भवन 1906 में फ्रांसीसियों ने बना कर तैयार किया था. हो ची मिन्ह इसे फ्रांसीसी उपनिवेश का प्रतीक मानते थे, इसलिए उसमें रहने नहीं गये. उनका छोटा पुस्तकालय भी देखा.
म्यूजियम : कुछ देर के बाद हमलोग हो-ची मिन्ह म्यूजियम में थे. हो ची मिन्ह म्यूजियम वियतनामी जनजीवन और उनके संघर्षो की गाथा का जीवंत चित्रण है. म्यूजियम के अवलोकन से उनकी भाषा संस्कृति और संघर्षो का इतिहास साफ-साफ झलकता है. विशेष कक्ष में स्थापित हो ची मिन्ह की आदमकद मूर्ति – संघर्ष, सादगी और विकसित सांस्कृतिक विरासत की झलक देता है.
वहां भी एक पदाधिकारी राष्ट्रीय परिधान में आयी और बतौर गाइड सब कुछ दिखाने और बताने लगी. बता रही थी कि इस महानायक ने किस प्रकार एक होटल के बैरा से लेकर राष्ट्रपति पद तक की यात्रा की. उसे फ्रांसीसी उपनिवेश से तो लड़ना ही पड़ा, अमेरिकी साम्राज्यवाद से भी टक्कर लेनी पड़ी. वियतनामी जनता के संघर्षो के बुनियाद पर अमेरिका को हरा दिया.
फ्रांस के क्रांति का नारा लिबर्टी, इक्वैलिटी एंड फ्रैटरनिटी (आजादी, समानता और भ्रातृत्व) के नारो से मिन्ह बहुत प्रभावित हुए थे. वह ब्रिटेन के कैल्टन होटल में, जहां हो ची मिन्ह बैरा थे – इस्कोफियर ने (जो होटल कर्मचारी था) इनके विचारों को बदल दिया और इन्हें क्रांतिकारियों का दर्शन और दिग्दर्शन कराया. उस ब्रिटिश वकील के बारे में भी बताया, जिन्होंने हो ची मिन्ह को फांसी चढ़ने से बचाया. ब्रिटेन और फ्रांस ने सामूहिक रूप से उन पर मुकदमा चलाया था और मौत की सजा दी थी.
हो ची मिन्ह ने किसानों को संगठित कर अमेरिकी साम्राज्यवाद से टक्कर ली. देश की आजादी व विकास में किसानों की भूमिका को लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू और हो ची मिन्ह मिले थे, इसे भी वह बताना नहीं भूली थी. वह किसानों और सैनिकों के औजार और टैंक भी दिखा रही थी. संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनेस्को ने 1985 में हो ची मिन्ह को ‘मैन ऑफ द कल्चर’ डिकलेयर किया और उनका सेंटेनरी मनाने के लिए वियतनाम को कहा.
यह वर्ष 1990 में बन कर तैयार हुआ. उस म्यूजियम में एक बड़ी लाइब्रेरी भी थी और बिक्री के लिए किताब का एक स्टॉल भी. म्यूजियम के बाहर मैदान में बड़ा स्क्रीन लगा हुआ था, जिस पर उनके संघर्ष की गाथा की फिल्म दिखाई जा रही थी. देशी-विदेशी पर्यटक देख रहे थे. मालूम हुआ कि हो ची मिन्ह के मुसोलियम (मकबरा) पर औसत से 6000 देशी विदेशी लोग प्रतिदिन आते हैं.
* वियतनामी फारमर्स यूनियन : वियतनामी फारमर्स यूनियन (वीएनएफयू) की स्थापना 14 अक्तूबर 1930 में हुई थी, जब वियतनाम फ्रांस का उपनिवेश था. फारमर्स यूनियन का लक्ष्य था और है – किसान आंदोलन को बढ़ावा देना. साथ-साथ गांव का नवनिर्माण करना. खेती वन रोपण मछली पालन, नमक निर्माण, हस्तकला, दस्तकारी, छोटे उद्योग इन सब पेशा का शुमार किसानी पेशा में किया जाता है. इसलिए कि वीएनएफयू का कार्य क्षेत्र इन क्षेत्रों में बढ़ावा देना है.
फ्रांसीसी उपनिवेश के खिलाफ संघर्ष में यूनियन की महत्वपूर्ण भूमिका थी. यह कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीतिक और सामाजिक संस्था थी. आज यह केंद्र सरकार के मातहत – सामाजिक और राजनीतिक संस्था है. किसानों की खेती के साथ उनका जीवन स्तर को ऊपर उठाना इनका लक्ष्य है. यह यूनियन केंद्रीय स्तर, राज्य स्तर, जिला स्तर और कम्यून स्तर (पंचायत स्तर) पर है. किसान को गोलबंद करना, किसान आंदोलन विकसित करना, सामाजिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय सुरक्षा तथा किसानों के आध्यात्मिक जीवन को सुरक्षित रखना मुख्य कार्य हैं.
(जारी)