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प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर बड़ी जवाबदेही

मित्रों,हम प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के बारे में बात कर रहे हैं. आप जानते हैं कि शिक्षा विभाग पहले श्रम विभाग के साथ था. 1988 में इसे अलग किया गया और मानव संसाधन विकास विभाग बनाया गया. बिहार में सितंबर 2011 में समान स्कूल प्रणाली आयोग एवं छठा वेतन आयोग की सिफारिशों पर शैक्षणिक प्रशासन के […]

मित्रों,
हम प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के बारे में बात कर रहे हैं. आप जानते हैं कि शिक्षा विभाग पहले श्रम विभाग के साथ था. 1988 में इसे अलग किया गया और मानव संसाधन विकास विभाग बनाया गया. बिहार में सितंबर 2011 में समान स्कूल प्रणाली आयोग एवं छठा वेतन आयोग की सिफारिशों पर शैक्षणिक प्रशासन के ढांचे में बड़ा बदलाव किया गया है. ऐसा इसलिए किया गया कि विभाग में शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कायरें तथा दफ्तारों की संख्या बढ.ी. जिला स्तर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, जन शिक्षा पदाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षिका तथा अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी के अलग-अलग दफ्तर थे. यह ढांचा पुराना था. इसलिए बिहार शिक्षा सेवा (निरीक्षी शाखा) के स्थान पर बिहार शिक्षा सेवा (प्रशासन शाखा) बनाया गया. इसके अंतर्गत बिहार शिक्षा सेवा के 299 पुराने पद समाप्त किये गये और राज्य मुख्यालय से जिला स्तर तक 489 नये पद सृजित किये गये. अब जिला से राज्य मुख्यालय तक 569 पदाधिकारी तैनात हैं, लेकिन प्रखंड स्तर पर अभी पुरानी व्यवस्था कायम है. अब भी सर्व शिक्षा अभियान हो या शिक्षा का अधिकार कानून, माध्यमिक शिक्षा का सर्वव्यापीकरण करना हो या नये विद्यालय की स्थापना, सब में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की सीधी और बड़ी भागीदारी है. मध्याह्न् भोजन व सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन, शिक्षा संबंधी प्रशासनिक व्यवस्था का संचालन और नियंत्रण इन सब के लिए प्रखंड स्तर पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जिम्मेवार हैं.

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी राज्य शिक्षा सेवा का पदाधिकारी है. विद्यालय से प्रखंड स्तर तक शिक्षा विभाग के जितने भी संस्थान और कर्मी हैं, उन पर इस पदाधिकारी का सीधा नियंत्रण होता है. सरकार की योजनाओं एवं कार्यक्रमों को प्रखंड स्तर पर संचालित करने में यह सीधी भूमिका निप्रभाता है.

इन योजनाओं को जानें
मुख्यमंत्री पोशाक योजना : राज्य में यह योजना वर्ष 2009-10 से चल रही है. इसके तहत सभी राजकीय, राजकीयकृत तथा सहायता प्राप्त स्कूलों में तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के सभी छात्र-छात्राओं को स्कूली पोशाक के लिए साल में एक बार पांच सौ रुपये दिये जाते है. यह रुपये बो के अभिभावक को दिये जाते हैं, ताकि ने बो या बी के लिए दो सेंट स्कूल ड्रेस और एक जो.डे जूते खरीद सकें. अगर इस खरीद के बाद भी पैसा बच जाता है, तो योजन में इस बात का प्रावधान है कि अभिभावक बचे हुए पैसे से उस बो या बी के लिए लिखने-पढ.ने के सामान खरीद सकते हैं. पहली और दूसरी कक्षा में पढ.ने वाली सभी बालिकाओं तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व बीपीएल परिवार के बालकों को स्कूल ड्रेस के लिए 400 रुपये मिलते हैं. छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व बीपीएल परिवार के लड़कों को भी स्कूली पोशाक के लिए चार-चार सौ रुपये मिलते हैं. उन्हें सर्व शिक्षा अभियान के तहत यह राशि दी जाती है.

मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना
यह योजना वर्ष 2008-09 से चल रही है. इसके तहत राजकीय, राजकीयकृत तथा सहायता प्राप्त स्कूलों में छठी कक्षा से आठवीं कक्षा तक की नामांकित सभी बालिकाओं को पोशाक के लिए 700 रुपये की दर से नकद राशि दी जाती है. यह राशि उनके अभिभावक को दी जाती है. यह राशि विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से सरकार उपलब्ध कराती है. इस राशि से बो या बी के लिए दो सेट पोशाक और एक जो.डे जूते खरीदे जाने हैं. इतनी खरीदारी के बाद भी अगर पैसा बचता है, तो अभिभावक उससे उस बो या बी के लिए लिखने-पढ.ने के सामान खरीद सकते हैं.

शैक्षणिक परिभ्रमण कार्यक्रम
राज्य सरकार प्राथमिक विद्यालय स्तर से उच्‍च विद्यालय स्तर तक के छात्र-छात्राओं में अपने प्रदेश के ऐतिहासिक, पुरातात्विक, भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों के बारे जागरूकता तथा जानकारी के प्रसार के लिए शैक्षणिक परिभ्रमण कार्यक्रम चला रही है. इसके तहत सरकार विद्यालय शिक्षा समिति के खाते में हर साल 10000 रुपये हस्तांतरित करती है. विद्यालय समिति छात्र-छात्राओं की अभिरुचि, सुविधा और महत्व के हिसाब से परिभ्रमण के कार्यक्रम तय करती है. प्राथमिक, मध्य और उा विद्यालय के छात्र-छात्राओं को विद्यालय शिक्षा समिति और विद्यालय परिवार द्वारा शैक्षणिक परिभ्रमण के लिए ले जाया जाता है.

बिहार बाल भवन ‘किलकारी’ योजना
यह योजना बच्चियों में मूल रूप से उनकी अभिरुचि के अनुरूप सृजनात्मक क्षमता का विकास करने के लिए है. यह ऐसा बाल भवन है, जिसमें खेल-खेल में और आनंददायी तरीके से बच्‍चों को विभित्र विधाओं में प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें उन्हें वह सुविधाएं उन्हें उपलब्ध करायी जाती हैं, जो सामान्य तौर पर घर या स्कूल में उन्हें उपलब्ध नहीं हैं. हर साल छह अप्रैल को बिहार बाल भवन के लिए बच्‍चों का निबंधन होता है. निबंधित बच्‍चों को उनकी अभिरुचि वाली विधा में नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है, जैसे लेखन, खेल, चित्रांकन, हस्तशिल्प, शास्त्रीय संगीत व नृत्य, लोक संगीत और नृत्य, अभिनय आदि.

मुख्यमंत्री साइकिल योजना
यह योजना 9वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए है. इसकी शुरूआत वर्ष 2008-09 में की गयी थी. शुरू के दो साल तक गैर योजना मद से इसका संचालन हुआ था. उसके बाद से यह योजना मद से संचालित है. इसके तहत वैसे सभी छात्र-छात्राओं को साइकिल खरीदने के लिए 2500 रुपये नकद उपलब्ध कराये जाते हैं, तो राजकीय, राजकीयकृत या प्रोजेक्ट स्कूल, मदरसा या संस्कृत विद्यालय या फिर वित्त रहित माध्यमिक विद्यालय में नामांकित हैं. यह राशि शिविर लगा कर दी जाती है. शिविर में विद्यालय शिक्षा समिति एवं पंचायत समिति के सदस्य, ग्रामीण, अभिभावक और बो रहते हैं. सभी के सामने राशि का वितरण किया जाता है, ताकि इसमें पूरी पारदर्शिता रहे.

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