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गर्भवती महिलाओं के लिए मोबाइल मॉम्स

पहाड़ी इलाकों में सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य सुविधाओं की होती है. अगर जच्चा–बच्चा का मामला हो तो हालत और खराब है, लेकिन ईस्ट तिमोर ने मोबाइल एसएमएस से इसका तोड़ निकाला है. ईस्ट तिमोर के पहाड़ी इलाके में गर्भवती महिलाओं की मुश्किल आसान करने के लिए एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, लीगा इनान, […]

पहाड़ी इलाकों में सबसे ज्यादा समस्या स्वास्थ्य सुविधाओं की होती है. अगर जच्चाबच्चा का मामला हो तो हालत और खराब है, लेकिन ईस्ट तिमोर ने मोबाइल एसएमएस से इसका तोड़ निकाला है. ईस्ट तिमोर के पहाड़ी इलाके में गर्भवती महिलाओं की मुश्किल आसान करने के लिए एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, लीगा इनान, जो भविष्य की मांओं और दाइओं को मोबाइल फोन के जरिये जोड़ता है.

सेम नाम के गांव में प्रिंस ऑफ मोनाको मैटर्निटी अस्पताल में जब कोई जाता है, तो पहली चीज जो दिखायी देती है वह है इलेक्ट्रॉनिक औजारों का अभाव. कोई कंप्यूटर है, इकेजी मॉनिटर और ही एसी कमरे. मशीन और तकनीक के नाम पर है, तो बस मोबाइल फोन और एसएमएस.

मरीज को लाने की पूरी सुविधा

मना जुस्ता उन लोगों में से एक है, जो 20 वर्षो से गर्भवती महिलाओं की सेवा कर रही हैं. मना यहां मिडवाइफ यानी दाई का काम कर रही हैं. वह कहती हैं, कि उन्हें एक महिला के प्रसव के लिए जाना है. वह अपने साथियों को पूरी जानकारी देती है. महिला का नाम, पहचान नंबर देती हैं. कुछ ही मिनटों में पूरी टीम गर्भवती महिला की मेडिकल हिस्ट्री देखती है. क्लिनिक का स्टाफ गर्भवती महिला को फिर फोन करेगा, ताकि उसे लाने ले जाने की सुविधा हो सके. हाल के सालों तक गर्भवती महिलाओं को इस स्थिति से अकेले ही जूझना पड़ता था.

मुश्किलों में राहत देता मोनाको क्लिनीक

पूर्वी तिमोर अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर करने की कोशिश 2002 से कर रहा है. 11 साल पहले देश को इंडोनेशिया से आजादी मिली. सरकारी स्वास्थ्य सुविधा मुफ्त है, लेकिन फिर से देश में प्रसव के दौरान मरनेवाली महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है. 12 लाख लोगों के देश में प्रति एक लाख प्रसव के दौरान 557 महिलाओं की मौत हो जाती है. इनमें से सिर्फ 48 फीसदी प्रसव ही कुशल कर्मियों की मौजूदगी में होते हैं और 32 फीसदी क्लीनिक में. जबकि अधिकतर गर्भवती महिलाएं, 93 प्रतिशत प्रसव के बाद एक बार ही जांच के लिए गयी हैं.

गर्भवती महिलाओं के लिए जीवनदायी

लीगा इनान सेवा की शुरु आत मानुफाही जिले से हुई. वहां पंजीकरण के बाद महिलाओं को हफ्ते में दो बार एसएमएस मिलता कि गर्भधारण के किस महीने क्या सावधानी रखनी चाहिये. इसके जरिये दाई अपने मरीजों को गांव में होनेवाले टीकाकरण की जानकारी दे सकती है. गर्भवती महिला भी मुफ्त में सेवा केंद्र पर एसएमएस कर सकती है.

(साभार : डॉयशे वेले)

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