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शब्दों के बाणों से बचना है, तो ढाल साथ रखें

।। दक्षा वैदकर ।। हमारे आसपास ऐसे कई लोग होते हैं, जो शब्दों के बाणों से हमारे दिल को छलनी कर देते हैं. ये होते तो हमारे प्रिय हैं, लेकिन कभी-कभी इनका व्यवहार बहुत अजीब हो जाता है. ऐसे लोग ऑफिस में भी होते हैं और घर में भी. जब ये हम पर चिल्लाते हैं, […]

।। दक्षा वैदकर ।।

हमारे आसपास ऐसे कई लोग होते हैं, जो शब्दों के बाणों से हमारे दिल को छलनी कर देते हैं. ये होते तो हमारे प्रिय हैं, लेकिन कभी-कभी इनका व्यवहार बहुत अजीब हो जाता है. ऐसे लोग ऑफिस में भी होते हैं और घर में भी. जब ये हम पर चिल्लाते हैं, आरोप लगाते हैं, ताने मारते हैं, तो हम समझ नहीं पाते कि क्या किया जाये. नौकरी छोड़ें या रिश्ता तोड़ें.

यदि उस इनसान के साथ रहना हमारी मजबूरी है, तो हमारे पास तीन विकल्प होते हैं ऐसी परिस्थिति को संभालने के लिए. 1- उनकी बातों को सोख (अवशोषित) लेना. 2- सामनेवाले पर उसी रूप में प्रतिक्रिया देना और 3- सामनेवाले द्वारा भेजी गयी नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक रूप में बदल देना.

सोचनेवाली बात है कि जब कोई बच्चा अपनी मां पर कोई चीज फेंकता है, तो क्या मां वह चीज उल्टा उस पर फेंकती है? नहीं. वह बच्चे को समझाती है, उसके दिमाग को समझती है और बदले में प्यार देती है.

जब हम बच्चे के साथ यह कर सकते हैं, तो सभी इनसानों के साथ क्यों नहीं? जब हम लोगों के साथ बिल्कुल वैसा ही व्यवहार करते हैं, जैसा उन्होंने हमारे साथ किया, तो हमारे में और उन में अंतर क्या रह जायेगा? इस तरह तो हम भी उसी इनसान जैसे बन जाते हैं, जिसे हम गलत समझते हैं.

इसके विपरीत अगर आप उनकी बातों का जवाब नहीं देते, ताने बस सुनते रहते हैं, तो यह चीज हमारे अंदर नफरत, गुस्सा भरती जाती है, जो बाद में बड़ी बीमारी का रूप ले लेती है. क्योंकि इस तरह हम नकारात्मक ऊर्जा को सोख रहे होते हैं. हमें यह समझना होगा कि सामनेवाला दर्द में है. उसे भावनात्मक चोट लगी है, तभी वह ऐसा व्यवहार कर रहा है. उसे चिकित्सा, प्यार व मदद की जरूरत है.

यदि आपको लगता है कि सामनेवाला ऐसा ही रहेगा, बदलेगा नहीं. तब अंतिम उपाय है खुद को बचाना. आप यह मान लें कि सामने वाला हाथ में एक धार वाला हथियार (कठोर शब्द) लिये पैदा हुआ है. अब हमारे पास तीन विकल्प हैं. या तो हम बार-बार उस इनसान को उस हथियार से हमें चोट पहुंचाने दें, या हम भी वैसा ही हथियार उठा लें और दोनों एक-दूसरे को जख्मी कर दें या आप अपने आसपास एक ढाल बना लें, ताकि वह जब भी हथियार चलाये हमें चोट न पहुंचे.

– बात पते की

* यदि आपके बॉस की आदत ही है बार-बार चिल्लाने की, तो उन्हें एक भावनात्मक रूप से बीमार व्यक्ति समझ कर माफ कर दें. शांत रहें.

* खुद को इतना मजबूत बनायें कि सामनेवाले के चिल्लाने, ताना मारने का आप पर असर ही न हो. आप बस अपने चेहरे पर मुस्कुराहट बनाये रखें.

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