पचास लाख वर्ष पूर्व ग्लोबल वार्मिग की वजह से अंटार्कटिका का बर्फ पिघला था, जिससे समुद्र का स्तर तकरीबन 20 मीटर तक बढ़ गया था. इंपीरियल कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं और उनके अकादमिक सहयोगियों ने पूर्वी अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों का अध्ययन करने के बाद ऐसा होना मुमकिन बताया है.
उन्होंने इस बात का पता लगाया है कि तकरीबन 30 से 50 लाख वर्ष पूर्व की भूगार्भिक अवधि में यहां लगातार बर्फ पिघला था, जिसे प्लिओसेंस युग कहा जाता है. ‘साइंस डेली’ में छपी एक खबर के हवाले से बताया गया है कि इसी वजह से समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी हुई होगी. अब तक वैज्ञानिक इस बात को मान रहे थे कि उस युग में पश्चिमी अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के आंशिक हिस्सों में बर्फ पिघले होंगे. इंपीरियल कॉलेज, लंदन के पृथ्वी विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग के डॉ टीन वान डी फ्लायर्ट का कहना है कि उस समय का तापमान मौजूदा समय से तकरीबन दो से तीन डिग्री अधिक था और वायुमंडल में कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्र भी आज की तुलना में बहुत ज्यादा हो गयी थी.
इस अध्ययन में व्यापक तादाद में बर्फ के पिघलने के कारणों और उसके चलते समुद्र के स्तर में होनेवाली उल्लेखनीय बढ़ोतरी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से शामिल गया है. पूर्वी अंटार्कटिका में फैली बर्फ की चादर इस धरती पर बर्फ का सबसे बड़ा इलाका है, जो तकरीबन ऑस्ट्रेलिया के भौगोलिक आकार जितना बड़ा है. माना जा रहा है कि करीब तीन करोड़ वर्ष पूर्व बर्फ की इन चादरों का गठन हुआ था.