रू-ब-रू:दीपक डोबरियाल
‘ओंकारा’ में खुद को डॉली का दूल्हा मानने वाला राजू हो या ‘दिल्ली-6’ का मुसलिम दुकानदार मामडू, जो हनुमान जी की पूजा करता है या फिर ‘तनु वेड्स मनु’ का पप्पीजी, अभिनेता दीपक डोबरियाल ने अपने हर किरदार के साथ परदे पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी और नयी पीढ़ी के नये तरह के अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बना ली. लेकिन अपनी इस पहचान से दीपक संतुष्ट नहीं हैं. दीपक का मानना है कि इस मायानगरी में संघर्ष कभी खत्म ही नहीं होता है, पहले काम के लिए संघर्ष करो फिर अच्छे काम के लिए. यह कभी न खत्म होने वाली जर्नी है. दीपक डोबरियाल से उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश.
एक लंबे अंतराल के बाद आप फिल्म ‘चोर चोर सुपरचोर’ से वापसी करने जा रहे हैं. क्या वजह रही, जो आप चरचा से गायब थे?
मैं बेवजह की चर्चाओं में नहीं रहना चाहता हूं. मैं चाहता हूं मेरा काम बोले. जहां तक बात अंतराल की है, तो मैं घर पर नहीं बैठा था. लगातार फिल्में कर रहा था, लेकिन फिल्में किसी न किसी वजह से रिलीज नहीं हो पायीं. जब से लोगों ने नोटिस कर लिया है, मेरी जिम्मेदारी बढ़ गयी है. कुछ भी काम नहीं कर सकता. जैसे रोल चाहिए, वैसे नहीं आ रहे थे. अब भी उन्हीं लोगों के लिए रोल लिखे जाते हैं, जो टिकट खिड़की पर 200 करोड़ का कारोबार करवा दें. छोटे बजट की फिल्मों में हम जैसे एक्टर अच्छे से फिट हो सकते हैं. मुझे इसकी शिकायत नहीं है, लेकिन ऐसी अच्छी फिल्मों का थोड़ा इंतजार तो करना ही पड़ता है. वैसे ‘चोर चोर सुपरचोर’ के बाद मेरी दो और फिल्में जल्द ही रिलीज होंगी.
‘चोर चोर सुपरचोर’ की कहानी और इस फिल्म में आपका किरदार क्या है?
‘चोर चोर सुपरचोर’ कॉमेडी फिल्म होते हुए काफी अलग है, यह व्यंग्यात्मक कॉमेडी है. इस फिल्म में मैं चोर की भूमिका में हूं, जिसे लगता है कि उसका पेशा गंदा है. लोग उससे नफरत करते हैं, लेकिन जब वह चोरी छोड़ कर शराफत की जिंदगी में आता है, तो वहां उसे उससे बड़े चोर नजर आते हैं. जिसके बाद वह फिर से अपने चोरीवाले काम को शुरु कर देता है. इसी किरदार की जर्नी ‘चोर चोर सुपरचोर’ है. इस फिल्म में ज्यादातर ऐसे चेहरे हैं जिन्हें लोगों ने देखा तक नहीं है. इस फिल्म की जरूरत स्टार नहीं, कलाकार थे इसलिए इतने मंजे हुए किरदारों के साथ फिल्म करने का अनुभव बहुत शानदार रहा.
आपकी पिछली फिल्म ‘दबंग 2’ थी, जिसमें आपने गेंदा का किरदार निभाया था. फिल्म में आपकी भूमिका बहुत छोटी थी. आप उस फिल्म से खुश थे?
‘दबंग 2’ चुलबुल पांडे की फिल्म थी यानी सलमान खान की, तो उस फिल्म में मेरा किरदार छोटा होना ही था. यह मुझे पहले से ही पता था. अरबाज भाई के कहने पर मैंने वह फिल्म की थी, इसके साथ ही वह मेरी पहली कमर्शियल फिल्म थी.अब तक मैं ऐसी किसी भी कमर्शियल फिल्म का हिस्सा नहीं बना था. मुझे लगता है कि वह मेरे अब तक के कैरियर की सबसे बड़ी फिल्म है, जिसे इतनी तदाद में लोगों ने देखा होगा. इसलिए मुझे उस फिल्म का हिस्सा बन कर कोई शिकायत नहीं है. ऐसा ही कुछ अलग करने का मौका फिल्म ‘नॉट ए लवस्टोरी’ ने दिया था. मैंने वह फिल्म रामू की वजह से साइन की थी. मेरी अब तक की फिल्मों से बिल्कुल अलग किरदार था. मैं अपने दर्शकों को चौकाना चाहता हूं.
‘ओंकारा’, ‘गुलाल’,‘तनु वेड्स मनु’ और ‘दिल्ली-6’, इन फिल्मों से आप इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम बन कर उभरे, लेकिन क्या वजह रही जो आप उस कामयाबी के सिलसिले को बरकरार नहीं रख पाए?
आप इस बात को मानते हैं कि आपने खुद को साबित कर लिया है ?
मैंने अब तक खुद को साबित नहीं किया है. मैंने अभी सिर्फ अपने परिवार और रिश्तेदारों के सामने खुद को साबित किया है, जिन्हें लगता था कि मैं अभिनय नहीं कर पाऊंगा. इस इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं बन पाऊंगा. मेरे घरवाले चाहते थे कि मैं सरकारी नौकरी करूं. लेकिन इसके विपरीत मैं यहां संघर्ष कर रहा था. उम्र बढ़ती जाती, तो घरवाले कहते कि अब सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. तू अब किसी काम का नहीं रहा. लेकिन मैंने खुद को साबित कर दिया अपने घरवालो की नजर में. हां, अपने आप को साबित करना अभी बाकी है. पहले काम के लिए संघर्ष था, अब अच्छे किरदार के लिए. यह कभी न खत्म होने वाला संघर्ष है. मैं हर तरह का किरदार निभा सकता हूं. अपने अंदर के अभिनेता को मुझे यही साबित करना है.
थिएटर से फिल्मों तक की जर्नी कैसी और कितनी अलग थी ?
‘ओंकारा’ की रिलीज के बाद जिंदगी कितनी बदल गयी?
आप परदे पर कुछ अलग करने की ख्वाहिश रखते हैं. ऐसे में अब आपका ड्रीम रोल क्या है ?