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संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में खास बात यह है कि इसमें बीमा राशि के दस प्रतिशत अनुदान के अलावा सरकार का और कोई वित्तीय दायित्व नहीं है. अगर किसान की फसलों को प्राकृतिक आपदा से नुकसान होता है, तो क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान बीमा कंपनी करती है. इस योजना […]

संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना
संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में खास बात यह है कि इसमें बीमा राशि के दस प्रतिशत अनुदान के अलावा सरकार का और कोई वित्तीय दायित्व नहीं है. अगर किसान की फसलों को प्राकृतिक आपदा से नुकसान होता है, तो क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान बीमा कंपनी करती है. इस योजना की बाकी शर्तें एवं बातें करीब-करीब वही हैं, जो राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना की हैं. जैसा कि हम चर्चा कर चुके हैं, यह राज्य के कुछ ही जिलों में संचालित हैं.
मौसम आधारित फसल बीमा योजना
यह योजना मौसम में अचानक बदलाव से किसानों को फसलों के नुकसान से होने वाले घाटे से उबारने के लिए है. इस योजना के तहत जिन किसानों की फसलों का बीमा होता है, उन्हें क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान बीमा कंपनी करती है. इस योजना में सरकार केवल प्रीमियम अनुदान का भुगतान करती है. यह योजना 2007 में शुरू की गयी.
क्या है मौसम का आधार : अचानक तापमान में परिवर्तन, असमय वर्षा और पाला से फसलों को होने वाले नुकसान के मामले में यह योजना लागू है. इस योजना की अन्य शर्तें व बातें करीब-करीब वही हैं, जो दूसरी फसल बीमा योजनाओं में है.
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
यह योजना वर्ष 2007-08 के राष्ट्रीय विकास परिषद की अनुशंसा पर शुरू हुआ. इसका उद्देश्य कृषि उत्पाद यानी अनाज आदि के वैज्ञानिक तरीके से और ज्यादा सुरक्षित तरीके से संचय की सुविधा विकसित करना है. इस सुविधा के तहत अलग-अलग क्षमता के गोदामों और कोल्ड स्टोरेज का निर्माण कराया जा रहा है. इसके अलावा लैंपस/ पैक्स एवं व्यापार मंडलों को औद्योगिक विकास के लिए गैसीफायर के साथ चावल मिलों को स्थापित करना है. यह काम सहकारिता क्षेत्र को सौंपा गया है. इन गोदामों का उपयोग अनाज के अलावा खाद-बीज का भी भंडारण में भी होना है. राज्य में 500 मैट्रिक टन क्षमता वाले एक तथा 100 मैट्रिक टन क्षमता वाले 283 ग्रामीण गोदामों का निर्माण कराया गया है. यह काम 11वीं पंचवर्षीय योजना में हुआ. 12वीं पंचवर्षीय योजना में भी इस तरह के निर्माण कार्य होने हैं.
पुराने गोदामोंं का जीर्णोद्धार : राज्य के 120 पुराने और जर्जर गोदामों की मरम्मत की गयी है. इनकी क्षमता एक -एक सौ मैट्रिक टन की है. इन गोदामों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार से किसानों को फसल के मौसम में औने-पौने दाम पर अपने कृषि उत्पाद को बेचने या जैसे-तैसे अनाज के भंडारण की मजबूरी से मुक्ति मिल सकेगी.
अल्पकालीन सहकारी ऋण योजना
राज्य के किसानों और वेतनभोगी व कमजोर तबके के लोगों को अल्पकालीन सहकारी ऋण देने की योजना सहकारिता क्षेत्र की महत्वपूर्ण योजना है. यह किसानों और ग्रामीणों की आर्थिक जरूरत को पूरा करने वाली सहकारिता की पारंपरिक योजना है. लघु एवं सीमांत किसानों को खेती के मौसम में बोआई के समय उनकी जरूरत के मुताबिक लैंपस/ पैक्स के माध्यम से कर्ज उपलब्ध कराया जाता है. यह कर्ज अल्प अवधि के लिए होता है. यह ऋण प्राप्त करना किसानों का अधिकार है.
किसान क्रेडिट कार्ड
अल्पकालीन कृषि ऋण का लाभ लेने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड का होना जरूरी है. इसलिए लैंपस/ पैक्स के माध्यम से ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण किया जाना है. इसके लिए कैंप भी लगाये जाने हैं.
सहकारिता सदस्यता अभियान
ग्रामीण अर्थव्यस्था को मजबूत करने के लिए सहकारी संस्थाओं को अधिक क्रियाशील बनाने पर जोर है. इसके लिए लैंपस, पैक्स एवं समितियों का सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है. इसका उद्देश्य है कि ज्यादा-से-ज्यादा लोग लैंपस/ पैक्स से जुड़ें और इसकेे जनाधार का विस्तार हो. इस अभियान को पूरा करने में सहकारिता प्रसार पदाधिकारी की जिम्मेवारी अधिक है. सरकार का जोर है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, अन्य कमजोर वर्ग और महिलाओं को लैंपस/ पैक्स से ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में जोड़ा जाये. इसके लिए उनके सदस्यता शुल्क और हिस्सा पूंजी का भुगतान सरकार कर रही है. जिन किसानों को कृषि विभाग की किसी भी योजना के तहत व्यक्तिगत अनुदान मिला है, उन्हें लैंपस/ पैक्स का सदस्य बनाने का प्रावधान किया गया है. अल्पसंख्यकों को सदस्यता देने पर भी सरकार का फोकस है. सदस्यता अभियान में यह कोशिश है कि हर लैंपस में कम-से-कम एक हजार नये सदस्य बनाये जायें तथा प्रत्येक परिवार से कम-से-कम एक व्यक्ति को इससे जोड़ा जाये. इसके तहत हर माह के दूसरे रविवार को सदस्यता शिविर लगाया जाना है और करीब सौ सदस्य बनाने हैं. इन शिविरों में पैक्स प्रबंधक और लैंपस के कार्यकारिणी सदस्यों के अलावा सहकारिता प्रसार पदाधिकारी को हर हाल में उपस्थित रहना है. नये लोगों के सदस्यता आवेदन लेने और उन्हें शिविर में रखने, सदस्यता देने तथा सदस्यता अभियान की मुख्य जिम्मेवारी इसी पदाधिकारी की है.
समेकित सहकारिता विकास
इस योजना के तहत रोजगोन्मुखी कार्यक्रमों को भी आर्थिक सहायता दी जानी है. जैसे मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, महिलाओं के आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता से जुड़े कार्यक्रम. सहकारिता के जरिये गांवों में कुटीर उद्योग का भी विकास इस योजना का लक्ष्य है. इसमें क्षमता, कौशल, रोजगार, पर्यावरण प्रबंधन, तकनीकी ज्ञान एवं अनुसंधान की क्षमता तथा कृषि विकास भी शामिल है.
खाद-बीज का वितरण
लैंपस, पैक्स और समितियों के माध्यम से किसानों को समय पर खाद और बीज का भी वितरण किया जाता है. इसकी पूरी निगरानी और संचालन प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी के जिम्मे है.
सहकारिता के नियम व कानून
|बिहार सहकारी समितियां अधिनियम,1935
|झारखंड सहकारी समितियां अधिनियम, 2011
|झारखंड स्व सहायक सहकारी समितियां अधिनियम, 1996
|सहकारी समितियां अधिनियम , 1935
|झारखंड सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम, 2011
सहकारिता का मकसद
|खुली और स्वैच्छिक सदस्यता.
|लोकतांत्रिक प्रशासन.
|सहकारी शिक्षा.
|सहकारी समितियों के बीच सहकारिता.
क्या करता है सहकारिता विभाग
|सहकारी समितियों (सहकारी बैंक सहित), सहकारी विपणन समितियों, केंद्रीय सहकारी प्रसंस्करण सोसाइटी व सहकारिता औद्योगिक समूह पर नियंत्रण.
|भंडारण निगम, भूमि विकास बैंक और सहकारी विपणन संघ का नियंत्रण.
|सहकारिता विभाग में सेवारत सभी अधिकारियों का नियंत्रण.
|सहकारिता विभाग के कब्जे में सभी भवनों का प्रशासनिक प्रभार.
सूचनाधिकार का करें इस्तेमाल
सहकारिता प्रसार पदाधिकारी और सहकारिता विभाग के कार्यक्रमों के कार्यान्वन से जुड़े किसी भी विषय में आपको लगता है कि परदर्शिता नहीं बरती जा रही है या किसी स्तर पर कोई गड़बड़ी है, तो उस तथ्य को उजागर करने के लिए आप सूचनाधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा-6 के तहत सूचना मांग सकते हैं.
यहां से मांगें सूचना
प्रखंड स्तर : प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी
जिल स्तर : जिला सहकारिता पदाधिकारी

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