गुफाओं का इतिहास सदियों पुराना रहा है. गुफाओं और कंदराओं की बात पाषाण युग से सामने आती है. इस युग के मानव गुफाओं में रहा करते थे. सातवीं से लेकर दूसरी सदी ईसा पूर्व के बीच का दौर ऐसा रहा, जब भारत में चट्टानों को काट कर उनमें मठ, मंदिर, विहार आदि बनाने का प्रचलन था. ओड़िशा , महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु में ऐसी कई प्रसिद्ध गुफाएं हैं.
इनमें सबसे पहले बौद्ध गुफाओं का निर्माण हुआ. उसके बाद हिंदू व जैन गुफाएं बनीं. आज भले ही मनुष्य गुफाओं में नहीं रहता, पर ये गुफाएं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र अवश्य बन गयी हैं. गुफाओं का लेकर तरह-तरह की धारणाएं और अंधविश्वास भी प्रचिलत रहे हैं. आइए जानते हैं, गुफाओं से जुड़ी अद्भुत बातें.
गुफाएं कैसी-कैसी
गुफाओं के अनेक रूप हैं यानी उनका निर्माण प्राकृतिक रूप से अनेक तरह से हुआ है. आमतौर पर पहाड़ों में गहरी खाली या खोखली जगह गुफा कहलाती है. ऐसा नहीं है कि गुफाएं केवल पहाड़ों पर ही निर्मित होती हैं. जमीन के भीतर भी गुफाएं मिलती हैं, जो कि जमीन के नीचे बहने वाली पानी की धारा से बनती हैं. इस तरह की गुफाएं अमेरिका में बहुत ज्यादा हैं. ज्वालामुखी परिवर्तनों की वजह से भी गुफाओं का निर्माण होता है. दुनिया में अनेक छोटी-बड़ी गुफाएं हैं, जो किसी अजूबे से कम नहीं हैं. इन गुफाओं को देख पर्यटक आश्चर्यचकित रह जाते हैं.
धारणाएं व अंधविश्वास
यूनान के लोगों की धारणा थी कि उनके देवता गुफाओं में ही रहते थे. इसी प्रकार रोम के लोगों का मानना था कि गुफाओं में परियां तथा जादू-टोना करने वाले लोग रहते हैं. फारस के लोग मानते थे कि गुफाओं में देवताओं का वास होता है. यही कारण है कि वे गुफाओं की पूजा करते थे. पर विज्ञान इन सभी धारणाओं और अंधविश्वासों को सिरे से नकारता है.
प्रसिद्ध गुफाएं
भारत की बात करें तो महाराष्ट्र में अजंता और एलोरा की गुफाएं विश्व प्रसिद्ध हैं. इन गुफाओं में सदियों पहले के बड़े-बड़े खूबसूरत चित्र बने हैं. वहीं विश्व की सबसे लंबी गुफा प्रणाली अमेरिका के केन्टनी नामक स्थान में है, जो मेमथ केब नेशनल पार्क के नीचे है. इसे 1799 में खोजा गया था. 9 सितंबर 1972 को एक खोजी दल ने फिलटरिज गुफा प्रणाली का मिला-जुला अध्ययन किया. उक्त संयुक्त गुफा प्रणाली के जो नक्शे बनाये गये थे, उनके रास्तों की कुल लंबाई 530 किलोमीटर से भी अधिक थी. विश्व की सबसे बड़ी गुफा सारावाक चैंबर, लेबांग नासिब बागस है. सारावाक के गुनंगमुलु नेशनल पार्क में स्थित इस गुफा की लंबाई 700 मीटर और औसत चौड़ाई 30 मीटर है. इसकी चौड़ाई कहीं पर भी 70 मीटर से कम नहीं है. इसकी खोज और सर्वेक्षण 1980 में ब्रिटिश मलयेशिया मुलु अभियान द्वारा हुई.
ब्रिटिश खोजकर्ताओं ने वियतनाम के जंगल में विश्व की एक बड़ी गुफा को खोजने का दावा किया है. यह गुफा 650 फुट ऊंची और 550 फुट चौड़ी है. वियतनाम में छोड़ी गयी यह हांग सोन डूंग गुफा मलयेशिया के सारवक स्थित डीयर गुफा से बड़ी है. डीयर गुफा 10 गज चौड़ी तथा 100 गज से अधिक ऊंची है तथा इसकी पहचान अब तक विश्व की सबसे बड़ी गुफा के रूप में की गयी है. इसका सर्वेक्षण किया जा रहा है, लेकिन शुरु आती अनुमान से पता चलता है कि गुफा का मुख्य मार्ग 200 मीटर ऊंचा है. गुफा का रास्ता भी 100 मीटर से अधिक चौड़ा है, लेकिन इसका कुछ हिस्सा 150 मीटर से भी अधिक चौड़ा है. जहां तक पानी के भीतर का प्रश्न है, मैक्सिको के क्विन्ताना में नौहोच ना चिच कंदरा श्रेणी अन्वेषित सबसे लंबी जलमध्य गुफा है. इसके रास्ते 13,290 मीटर लंबे हैं.
प्रसिद्ध गुफाएं और उनका इतिहास
एलीफेंटा की गुफाएं
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लगभग 12 किमी दूर एलीफेंटा की गुफाएं अपनी कलात्मकता के कारण प्रसिद्ध है. पांचवीं और सातवीं शताब्दी में निर्मित यहां सात गुफाएं हैं. यहां की मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिसमें भगवान शिव को अनेक रूपों में उकेरा गया है. पहाड़ों को काट कर बनायी गयी ये मूर्तियां दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित हैं. एलीफेंटा की गुफाओं को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. पहले हिस्से में पांच बड़ी हिंदू गुफाएं और जबकि दो छोटी गुफाएं पर बौद्ध धर्म की छाप है. यहां का ऐतिहासिक नाम घारपुरी है. इन गुफाओं पर बने हाथियों की आकृति की वजह से 1534 में पुर्तगालियों द्वारा इसका नाम एलीफेंटा रखा गया. यहां पर हिंदू देवी-देवताओं के अनेक मंदिर और मूर्तियां भी हैं. ये मंदिर पहाड़ियों का काट कर बनाये गये हैं. एलीफेंटा की इन गुफाओं को सन 1987 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया.
एलोरा की गुफाएं
एलोरा (मूल नाम वेरु ल) एक पुरातात्विक स्थल है, जो भारत में औरंगाबाद, महाराष्ट्र से 30 किमी की दूरी पर स्थित है. इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था. अपनी स्मारक गुफाओं के लिये प्रसिद्ध, एलोरा युनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है. एलोरा में 34 गुफाएं हैं, इसमें 17 हिंदू, 12 बौद्ध और 5 जैन गुफा मंदिर बने हैं. ये पांचवीं और दसवीं शताब्दी में बने थे.
अजंता गुफाएं
अजंता गुफाएं औरंगाबाद के उत्तर में 107 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इन गुफाओं का नाम, पास के गांव ‘अजिंठा’ के नाम पर रखा गया है, जो यहां से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इन गुफाओं की खोज 1819 में ब्रिटिश सेना की मद्रास रेजिमेंट ने की थी. ये गुफाएं घोड़े की नाल के आकार की चट्टान की सतह पर खोदी गयी हैं, जो बाघोरा नामक एक संकीर्ण नदी के ऊपर लगभग 76 मीटर की ऊंचाई पर है. प्रत्येक गुफा सीढ़ी की एक श्रृंखला से जुड़ी हुई थी, जो अब लगभग विलुप्त हो चुकी है. कुछ स्थानों पर इसके कुछ अवशेष अभी भी देखे जा सकते हैं.
मकाओ गुफा
मकाओ गुफा बौद्ध धर्म का विश्वविख्यात सांस्कृतिक धरोहर है ,जो अब तक विश्व में सुरिक्षत सब से विशाल और सब से अच्छी तरह संरिक्षत बौध कला खजाना मानी जाती है. यह मिंगशा पहाड़ की पूर्वी तलहटी में स्थित है. सन 1987 में मकाओ गुफा को युनेस्को द्वारा विश्व सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया. विश्व विरासत कमेटी ने इस का यह मूल्यांकन किया है कि मकाओ गुफा मूर्ति कला तथा भित्ति चित्र कला के लिए विश्व में प्रसिद्ध है , जिस में हजार साल लंबी पुरानी बौध कला की अभिव्यक्ति होती है.
बदामी की गुफाएं
बदामी की गुफाएं कर्नाटक में स्थित है. यहां कुल चार गुफाएं हैं. इन गुफाओं का निर्माण छठी शताब्दी के आस-पास चालुक्य के शासनकाल में हुआ था. पहली गुफा भगवान शिव, दूसरी एवं तीसरी भगवान विष्णु और चौथी जैन संतों के लिए समर्पित है.
बोर्रा गुफाएं
प्रकृति द्वारा निर्मित गुफाओं में बोर्रा गुफा का काफी नाम है. यह विशाखापत्तनम के नजदीक स्थित है. समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 1450 फीट है. कहा जाता है कि बोर्रा की गुफाएं 150 वर्ष से भी अधिक पुरानी हैं. इसकी खोज ब्रिटिश भूवैज्ञानी विलियम किंग जार्ज ने 1807 में की. इस गुफा में शिवलिंग और कामधेनू की तस्वीर देखी जा सकती है.
नेल्लीतीर्थ गुफा
यह गुफा श्रृंखला कर्नाटक के नेल्लीतीर्थ में स्थित है. यह लगभग 200 मीटर तक फैला हुआ है. वस्तुत: यह गुफा मंदीर है. वैसे तो इसमें आसानी से प्रवेश किया जा सकता है. परंतु जैसे-जैसे इसके अंदर जायेंगे आपको घूटनों का सहारा लेना होगा. नेल्लीतीर्थ दो शब्दों ‘नेल्ली’ अर्थात अम्ला व ‘तीर्थ’ अर्थात पवित्र जल से मिल कर बना है.