24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्रिकेट का महाकुंभ: फिर बादशाहत की तैयारी

इस साल फरवरी में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में विश्व कप क्रिकेट का आयोजन होगा. भारत में लोगों का क्रिकेट से जज्बाती लगाव है. लेकिन इस समय भारतीय क्रिकेट में सब कुछ ठीक नहीं है. कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने अचानक ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. हालांकि, वह विश्व कप में कप्तानी करेंगे. […]

इस साल फरवरी में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में विश्व कप क्रिकेट का आयोजन होगा. भारत में लोगों का क्रिकेट से जज्बाती लगाव है. लेकिन इस समय भारतीय क्रिकेट में सब कुछ ठीक नहीं है. कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने अचानक ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. हालांकि, वह विश्व कप में कप्तानी करेंगे. भारतीय टीम के सामने बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है.

बिक्रम प्रताप सिंह

भारत ने जब 2011 में वनडे वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था तब कप्तान महेंद्र सिंह धौनी से एक रोचक सवाल किया गया. उनसे पूछा गया था कि आप टी 20 वर्ल्ड कप जीत चुके हैं, वनडे वर्ल्ड कप जीत चुके हैं, आइपीएल जीत चुके हैं, चैंपियंस लीग ट्वेंटी 20 जीत चुके हैं, अब आगे क्या?

धौनी का जवाब और भी रोचक था. उन्होंने कहा कि मुङो यह सारे खिताब दोबारा जीतने की कोशिश करने से कोई परहेज नहीं है. धौनी दो बार आइपीएल खिताब जीत चुके हैं. दो बार उनकी टीम चैंपियंस लीग में विजेता बनी है. वर्ल्ड ट्वेंटी 20 में उन्होंने भारत को करीब-करीब चैंपियन बना ही दिया था (टीम फाइनल में हार गयी थी.) अब वह अपनी कप्तानी में लगातार दूसरी बार भारत को वनडे क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियन बनाने की कोशिश करेंगे. अगर धौनी इसमें कामयाब होते हैं तो यह भारत की कुल तीसरा वनडे वर्ल्ड कप होगा. धौनी से पहले कपिल देव ने 1983 में पहली बार भारत को इस सफलता का स्वाद चखाया था.

बतौर कप्तान धौनी के पास वर्ल्ड कप खिताब बरकरार रखने की क्षमता और इच्छा दोनों है. लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि क्या उनके पास ऐसी टीम है जो ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में भारत को चैंपियन बना सके. पिछले वर्ल्ड कप के फाइनल में खेले 11 खिलाड़ियों में से आठ को इस बार 30 संभावितों की सूची में भी शामिल नहीं किया गया है.

इसमें उस वर्ल्ड कप में भारत की ओर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले सचिन तेंडुलकर (482 रन), प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट युवराज सिंह (362 रन और 15 विकेट) और सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले जहीर खान (21 विकेट) भी शामिल हैं. उस फाइनल में 91 रन बनाने वाले गौतम गंभीर को भी मौका नहीं दिया गया है. सचिन संन्यास ले चुके हैं और बाकी खिलाड़ियों को फॉर्म के आधार पर बाहर किया गया है. तो क्या इन धुरंधरों के बिना भी भारत की गिनती खिताब के मजबूत दावेदार के तौर पर होगी? अगर पिछले कुछ सालों में वनडे में भारत के प्रदर्शन पर गौर किया जाये तो इसका जवाब हां में ही मिलता है.

भारत के पास ‘विराट’ हथियार

2015 वर्ल्ड कप में भारत के पास विराट कोहली के रूप में ऐसा हथियार है जिससे सभी टीमें भयभीत हैं. विराट ने पिछले वर्ल्ड कप के बाद से अब तक दुनिया के किसी भी अन्य बल्लेबाज से ज्यादा रन और ज्यादा शतक जमाये हैं.

2011 वर्ल्डकप के बाद विराट

92 मैचों की 87 पारियों में 57.48 की औसत से 4254 रन बनाये हैं.

इस समयावधि में विराट ने 16 शतक और 20 अर्धशतक बनाये.

इसमें 411 चौके और 47 छक्के भी शामिल हैं.

जडेजा और अश्विन ने लिये 100 से ज्यादा विकेट

गेंदबाजी भारतीय टीम की कमजोरी मानी जाती है. हालांकि पिछले वर्ल्ड कप से अब तक सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में भारत के रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर हैं. जडेजा ने इस दौरान 74 मैच खेलते हुए 105 विकेट लिये हैं. वहीं रविचंद्रन अश्विन ने इस समयकाल में 78 मैटों से 101 विकेट अपने नाम किये हैं. श्रीलंका के लसिथ मलिंगा इस सूची में शीर्ष पर हैं. मलिंगा ने 93 मैचों में 144 विकेट लिये हैं. दूसरे स्थान पर पाकिस्तान के सईद अजमल हैं. अजमल ने इस समयावधि में 73 मैचों में 134 विकेट लिये हैं. हालांकि संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन के कारण अजमल पर प्रतिबंध लगा हुआ है.ऑस्ट्रेलिया में तेज गेंदबाजों की भूमिका अहम होगी और यह भारत के लिए चिता का विषय है.

11वांविश्वकप

14 फरवरी से 29 मार्च

तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेला जायेगा.

14 टीमें

अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इंगलैंड, भारत, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, स्कॉटलैंड, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, यूएइ, वेस्टइंडीज व जिंबाब्वे ले रही हैं हिस्सा.

49 मैच

खेले जायेंगे कुल 11वें वर्ल्ड कप में. इसमें से 42 लीग मैच और सात नॉक आउट मैच खेले जायेंगे. नॉकआउट मैचों में चार क्वार्टर फाइनल, दो सेमीफाइनल और एक फाइनल होंगे.

ऑस्ट्रेलिया में अभी खेलने का मिलेगा फायदा

भारतीय टीम इन दिनों खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया में मौजूद है. इसके बाद भारत वहां ऑस्ट्रेलिया और इंगलैंड की भागीदारी वाली त्रिकोणीय सीरीज में भी हिस्सा लेगा. इतने मैच खेलने से भारत के अधिकांश खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के मौसम और वहां पिचों के मिजाज के अनुरूप खुद को ढाल पायेंगे.

2015प्राइज मनी

72 करोड़

करीब (11.4 मिलियन डॉलर) है कुल प्राइज मनी 2015 क्रिकेट वर्ल्ड कप का. 2011 वर्ल्ड कप की तुलना में 20 प्रतिशत ज्यादा

27 करोड़

करीब (4.3 मिलियन डॉलर) है प्राइज मनी 2015 क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के लिए. अगर विजेता टीम एक भी मैच नहीं हारती है तो उसे 29 करोड़ रुपये मिलेंगे.

12 करोड़

करीब है प्राइज मनी 2015 क्रिकेट वर्ल्ड कप की उपविजेता टीम के लिए.चार करोड़ रुपये करीब मिलेंगे सेमीफाइनल में हारने वाली टीमों को

टिकट ज्यादा महंगे नहीं

वर्ल्ड कप मैचों के दौरान स्टेडियम भरे रहें इसलिए टिकटों की कीमत कम रखी गयी है. वर्ल्ड कप के 70 प्रतिशत से अधिक टिकट 3000 रुपये या इससे कम के हैं. हर मैच के लिए चिल्ड्रेन टिकट की व्यवस्था भी की गयी है. लीग मैचों के लिए चिल्ड्रेन टिकट की कीमत करीब 300 रुपये और वयस्कों के टिकट की कीमत 1200 रुपये से शुरू है.

भारत का मैच देखने नहीं उठना होगा सुबह तीन बजे

ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में होने वाले मैचों को देखने के लिए भारतीयों को सुबह तीन-चार बजे उठना होता है. इस बार ऐसा नहीं होगा. भारत के सभी मैच डे नाइट हैं. पाकिस्तान के खिलाफ एडिलेड में 15 फरवरी का मैच भारतीय समयानुसा सुबह नौ बजे से है. द अफ्रीका के खिलाफ 22 फरवरी का मैच भी सुबह नौ बजे होगा. यूएइ के खिलाफ 28 फरवरी को और वेस्टइंडीज के खिलाफ 6 मार्च को पर्थ में होने वाला मैच दोपहर 12 बजे से है. आयरलैंड के खिलाफ 10 व जिंबाब्वे के खिलाफ 14 मार्च को होने वाले मैच सुबह 6:30 पर शुरू होंगे.

दोनों देशों के लिए एक ही वीजा

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड वर्ल्ड कप आयोजन के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करना चाहते हैं. दोनों देशों ने समझौता किया है कि वर्ल्ड कप देखने आने वाले क्रिकेट प्रेमियों को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में घूमने के लिए एक ही वीजा की जरूरत होगी.

टीम चयन पर दो टूक,अनुभव को नजरअंदाज न करे बीसीसीआइ

अमीकर दयाल

कुछ दिनों बाद ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की संयुक्त मेजबानी में होने वाले आइसीसी वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम की घोषणा कर दी जायेगी. अगर चयनकर्ता 30 संभावितों में से ही टीम चुनने का फैसला करते हैं तो यह भारी गलती हो सकती है.

संभावितों की सूची में अनुभव को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था. उसमें न तो पिछले वर्ल्ड कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट युवराज सिंह को जगह मिली थी और न ही उस वर्ल्ड कप में भारत की ओर से सर्वाधिक विकेट लेने वाले जहीर खान को. सेहवाग, गंभीर और हरभजन की दावेदारी को भी खारिज कर दिया गया था. ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि चयनकर्ता संभावितों में से ही वर्ल्ड कप की टीम चुने. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हालात भारत से बिल्कुल भिन्न होंगे. वहां की मुश्किल परिस्थितियों से टीम को बाहर निकालने के लिए अनुभवी खिलाड़ियों की जरूरत पड़ने वाली है. रोहित शर्मा ने श्रीलंका के खिलाफ इडेन गार्डेस की पाटा पिच पर दोहरा शतक जमाकर खूब नाम कमाया. लेकिन इसके बाद क्या हुआ. मुंबई का यह बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया में जारी टेस्ट सीरीज में अब तक बुरी तरह फ्लॉप रहा है . क्या हम वर्ल्ड कप में उनपर भरोसा कर सकते हैं? मेरे विचार से इसका जवाब ना में है.

युवराज को संभावितों में इसलिए नहीं रखा गया था क्योंकि तब वह फॉर्म में नहीं थे. लेकिन, युवी अब लय हासिल कर चुके हैं. उन्होंने लगातार तीन रणजी मैचों में शतक जमाया है. फिटनेस के लिहाज से भी वह अब बेहतर दिख रहे हैं. साथ ही यह भी नहीं भूलना चाहिए कि युवराज ने 2011 वर्ल्ड कप में 15 विकेट भी लिये थे.

युवराज के अलावा वीरेंद्र सेहवाग और गौतम गंभीर में से किसी एक को 15 सदस्यीय टीम में शामिल किया जा सकता है. सेहवाग को कई क्रिकेट विशेषज्ञ राइट ऑफ कर चुके हैं. लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता हूं. मेरे विचार से सेहवाग के पास अभी भारतीय क्रिकेट को देने के लिए बहुत कुछ है. साथ ही वह ऑस्ट्रेलिया के हालात से अच्छी तरह वाकिफ भी हैं.

इसी तरह गेंदबाजी में भी एक-दो अनुभवी गेंदबाज का होना जरूरी है. टेस्ट सीरीज में भारतीय गेंदबाजों का हाल हम सब देख चुके हैं. अगर वर्ल्ड कप में ऐसी किसी स्थिति से बचना है तो जहीर खान और हरभजन सिंह के नाम पर विचार किया जाना चाहिए. अगर जहीर पूरी तरह फिट हैं तो उन्हें निश्चित रूप से भारतीय दल में शामिल किया जाना चाहिए. अब बात महेंद्र सिंह धौनी की. धौनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. वनडे में वह खेलना जारी रखेंगे. लेकिन, नयी परिस्थितियों में बीसीसीआइ उन्हें वर्ल्ड कप के लिए भी कप्तान बनाती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी. अगर धौनी कप्तान रहते हैं तो भारतीय टीम के मुश्किलें अपेक्षाकृत कम होंगी. बतौर बल्लेबाज भी धौनी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है. ऑस्ट्रेलिया की उछालभरी पिच पर कभी-कभी शीर्ष क्रम के विकेट जल्दी-जल्दी गिर जाते हैं. अगर भारत के साथ भी ऐसा हुआ तो पारी संभालने की जिम्मेवारी धौनी पर आ सकती है. कुल मिलाकर ऑस्ट्रेलिया में वर्ल्ड कप खेलना भारत में वर्ल्ड कप खेलने से बहुत अलग होने वाला है. भारत का प्रदर्शन कैसा रहेगा इस बारे में अभी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. अगर अनुभव को बिल्कुल नजरअंदाज किया जायेगा तो भारत की राह कठिन हो सकती है.

लेखक बिहार के पूर्व रणजी खिलाड़ी हैं. (आलेख- बातचीत पर आधारित)

भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका दावेदार

भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका की टीमें 11वें आइसीसी वर्ल्ड कप में चैंपियन बनने की प्रबल दावेदार हैं. पूर्व आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर इयान चैपल ने हाल ही में अपने एक आलेख में लिखा है कि यह तीनों टीमें तैयारी और टीम संयोजन में बाकी टीमों से कहीं आगे हैं. इन तीनों में भारत और ऑस्ट्रेलिया की संभावना ज्यादा है. इयान चैपल की विश्वकप के बारे में यह आकलन काफी मायने रखती है.

बकौल चैपल इन तीनों टीमों के पास बेहतरीन नेतृत्वकर्ता हैं. उन्होंने अपने आलेख में कहा, महेंद्र सिंह धौनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है और यह वर्ल्ड कप में उनके लिए मददगार साबित हो सकता है. उनके दिमाग पर अपेक्षाकृत कम भार होगा. हालांकि बैक टू बैक वर्ल्ड कप जीतने के लिए धौनी को कुछ कमजोरियों से पार पाना होगा. उन्होंने कहा है, यह सवाल उठाये जा रहे थे कि क्या भारत के बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिच पर बल्लेबाजी कर पायेंगे? भारतीय बल्लेबाजों ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज में अच्छा खेल दिखाया है. इससे यह स्पष्ट हो ही गया है कि वे यहां अच्छी पारियां खेल सकते हैं. जहां तक गेंदबाजी का सवाल है तो भारतीय गेंदबाज न्यूजीलैंड की परिस्थिति में तो अच्छा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें ऑस्ट्रेलिया में दिक्कत हो सकती है. अगर भारत ने उम्मीद के मुताबिक खेल दिखाया, तो सेमीफाइनल में वह सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया के सामने हो सकता है. यह भारतीय टीम के लिए लगातार दूसरी बार वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने का बेहतरीन अवसर साबित हो सकता है.

चैपल के मुताबिक पूरा ऑस्ट्रेलिया दुआ कर रहा होगा कि नियमित कप्तान माइकल क्लार्क वर्ल्ड कप तक पूरी तरह फिट हो जाएं. क्लार्क पीठ की चोट से लगातार परेशान रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के पास विस्फोटक बल्लेबाजी लाइन है. लेकिन साथ ही टीम स्पिन खेलने में कुछ कमजोर है. यह कमजोरी जिंबाब्वे जैसी टीम के खिलाफ भी उभर कर सामने आयी थी. अगर ऑस्ट्रेलिया के बेखौफ स्ट्रोकप्लेयर्स डेविड वार्नर, एरोन फिंच, शेन वाटसन, मिचेल मार्श और ग्लेन मैक्सवेल लय में रहे तो टीम नियमित तौर पर 300 रन से ज्यादा का स्कोर खड़ा करेगी.

चैपल ने दक्षिण अफ्रीका की टीम भी मजबूत माना है. हालांकि, उन्हें लगता है कि प्रोटियाज को वर्ल्ड कप में धाकड़ ऑलराउंडर जैक कैलिस की कमी खलेगी. चैपल के मुताबिक कैलिस की अनुपस्थिति में एबी डिविलियर्स, हाशिम अलमा और फाफ डुप्लेसिस के ऊपर अधिक रन बनाने का दबाव होगा. वहीं डेल स्टेन के ऊपर अधिक विकेट लेने का दबाव होगा.

हालांकि चैपल ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को दावेदार मान रहे हैं लेकिन साथ ही वह कुछ अन्य टीमों की दावेदारी को पूरी तरह खारिज नहीं कर रहे हैं. उनके मुताबिक वेस्टइंडीज और न्यूीजीलैंड छुपे रुस्तम के तौर पर सामने आ सकते हैं. उन्हें ऑस्ट्रेलियाई परिस्थिति में श्रीलंका से बहुत आस नहीं है. हालांकि, चैपल को यकीन है कि कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने अपने अंतिम वर्ल्ड कप में पूरा जोर लगायेंगे. जहां तक इंगलैंड और पाकिस्तान की उम्मीदों का सवाल हो तो चैपल की नजर में ये टीमें फिलहाल सबसे पिछड़ी हुई नजर आ रही है.

(अंगरेजी अखबारों में छपे चैपल के आलेखों पर आधारित)

इयान चैपल

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें