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पुरानी, पर मांग में रहनेवाली ब्रांच है सीइ

मिलिट्री इंजीनियरिंग के बाद सबसे पुराना इंजीनियरिंग प्रोग्राम सिविल इंजीनियरिंग है. इंजीनियरिंग के इस विशेष स्ट्रीम में पढ.ने के लिए कई सब डिसिप्लिन भी होते हैं, जिसमें हम विशेष रूप में योग्यता हासिल करते हैं. जैसे – एटमॉस्फियरिक साइंसेस, बायोमेकेनिक्स, कोस्टल इंजीनियरिंग, कंट्रोल इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग, अर्थक्वेक इंजीनियरिंग, अर्थ साइंस, एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग, फॉरेंसिक इंजीनियरिंग, जिओफिजिक्स, […]

मिलिट्री इंजीनियरिंग के बाद सबसे पुराना इंजीनियरिंग प्रोग्राम सिविल इंजीनियरिंग है. इंजीनियरिंग के इस विशेष स्ट्रीम में पढ.ने के लिए कई सब डिसिप्लिन भी होते हैं, जिसमें हम विशेष रूप में योग्यता हासिल करते हैं. जैसे – एटमॉस्फियरिक साइंसेस, बायोमेकेनिक्स, कोस्टल इंजीनियरिंग, कंट्रोल इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग, अर्थक्वेक इंजीनियरिंग, अर्थ साइंस, एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग, फॉरेंसिक इंजीनियरिंग, जिओफिजिक्स, जिओटेक्निकल इंजीनियरिंग, मैटेरियल्स इंजीनियरिंग, म्यूनीसिपल या अर्बन इंजीनियरिंग आदि.


एक सिविल इंजीनियर के पास टेक्निकल ज्ञान के अलावा मैथमेटिकल कैलकुलेशन और एनालिसिस के साथ ही प्रबंधन की अच्छी क्षमता भी होनी चाहिए. इंजीनियरिंग की इस विधा में फिजिक्स और मैथमेटिक्स का पूरा समावेश है. सामान्य स्तर पर सिविल इंजीनियरिंग में बैचलर्स डिग्री लेने के बाद छात्र इंडस्ट्री के लिए तैयार हो जाते हैं. कुछ छात्र किसी विशेष सब-डिवीजन में अपनी योग्यता और ज्ञान को समृद्ध बनाने के लिए मास्टर्स भी करते हैं. सिविल इंजीनियरिंग में पीएचडी करनेवालों की संख्या अन्य विषयों के मुकाबले थोड़ी कम होती है.

इन सबके अलावा कुछ डिप्लोमा प्रोग्राम्स भी कनाडा जैसे देश में उपलब्ध हैं, जो बेहद कारगर हैं. इस क्षेत्र में आनेवाले समय में रोजगार के ढेरों अवसर देखने को मिलेंगे.

बेहतर विश्‍वविद्यालय

सिविल इंजीनियरिंग के लिए श्रेष्ठ विश्‍वविद्यालय में इनकी गिनती होती है- मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, द यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो, यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी आदि.

ट्यूशन फीस भी है खास

अमेरिकी और यूनाइटेड किंगडम की यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस अधिक होती है. यह वार्षिक रूप से 10 से 20 लाख रुपये तक हो सकती है. यदि हम यूरोपियन यूनिवर्सिटीज, चीन की यूनिवर्सिटीज या जापान की यूनिवर्सिटीज की बात करें, तो वार्षिक ट्यूशन फीस कम से कम दो-तीन लाख रुपये होती है.

स्कॉलरशिप्स

स्कॉलरशिप के मामले में अमेरिकन विश्‍वविद्यालयों को धनवान माना जाता है. यहां छात्रों को सौ प्रतिशत तक भी स्कॉलरशिप मिलते देखा गया है. इसके लिए बस एक बेहतरीन अप्रोच यानी आवेदन करने का प्रोफेशनल तरीका होना चाहिए.

आवश्यक परीक्षाएं

अमेरिका के विश्‍वविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए आपको कुछ विशेष परीक्षाएं देनी होती हैं. जैसे अंडर ग्रेजुएट (बैचलर्स) में प्रवेश के लिए SAT और ग्रेजुएट (मास्टर्स) एवं पीएचडी स्तर पर प्रवेश के लिए GRE. इसके अलावा TOEFL (एक अंतरराष्ट्रीय अंगरेजी परीक्षा) सभी आवेदकों को देना अनिवार्य है. अमेरिका के अलावा अन्य किसी देश में और किसी भी प्रोग्राम में प्रवेश पाने के लिए सिर्फ IELTS टेस्ट देना होता है.

प्रवेश प्रक्रिया

इन विदेशी, रिसर्च ओरिएंटेड और विश्‍व-विख्यात विश्‍वविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए छात्रों को कम से कम दो वर्ष पहले से ही सोचना चाहिए, जिससे प्रवेश पाना आसान हो जाता है. इससे IELTS या TOEFL या GREजैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी दो से चार महीने लग सकते हैं. परीक्षा देने के बाद परिणाम आने और फिर दस्तावेज इकट्ठे करने में भी समय लगता है. सभी विश्‍वविद्यालयों की अपनी-अपनी डेडलाइंस होती हैं, जो सामान्य रूप से प्रोग्राम प्रारंभ होने के आठ से 11 महीने पहले तक होती है.अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार

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