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अपने साथियों को मुसीबत में देख खुशी से नाचें नहीं

।। दक्षा वैदकर ।।कई बार ऐसा होता है कि ऑफिस में किसी कर्मचारी को कोई बाहर का व्यक्ति डांट कर चला जाता है और सारे कर्मचारी तमाशा देखते रह जाते हैं. कुछ सोचते हैं कि ‘उसे डांट पड़ रही है, मैं भला बीच में क्यों बोलूं’. कुछ को लगता है, ‘अच्छा ही है, बहुत तेज […]

।। दक्षा वैदकर ।।
कई बार ऐसा होता है कि ऑफिस में किसी कर्मचारी को कोई बाहर का व्यक्ति डांट कर चला जाता है और सारे कर्मचारी तमाशा देखते रह जाते हैं. कुछ सोचते हैं कि ‘उसे डांट पड़ रही है, मैं भला बीच में क्यों बोलूं’. कुछ को लगता है, ‘अच्छा ही है, बहुत तेज बन रहा था उस दिन’. कर्मचारी यह नहीं समझते कि ऑफिस एक संयुक्त परिवार होता है. जिस तरह संयुक्त परिवार में कई छोटे-छोटे परिवार होते हैं, उसी तरह ऑफिस में कई विभाग होते हैं.

डांट किसी को भी पड़े, मुसीबत किसी पर भी आये, संयुक्त परिवार तभी खुशहाल रहेगा, जब सभी एक-दूसरे की मदद करेंगे. ऐसा भी कई बार देखने में आता है कि हम दूसरे कर्मचारी के साथ हुई किसी घटना पर हंस रहे होते हैं और कुछ दिन बाद वही घटना हमारे साथ हो जाती है. इसलिए बेहतर है कि दूसरों को परेशानी में देख कर खुश न हो. उनकी मदद करें.

एक बेरोजगार युवक को मुर्गा बेचने की दुकान में नौकरी मिल गयी. पहले दिन वह हर चीज बड़े आश्चर्य से देख रहा था. उसने देखा कि जब भी मालिक पिंजरे से कोई मुर्गा निकालते, बाकी मुर्गे खुशी से नाचने लगते. दिन भर यही सिलसिला चलता रहा. रात तक सारे मुर्गे बिक गये. दूसरे दिन भी दुकान खुली.

मालिक ने नये आये मुर्गो के कान में कुछ कहा और अपना काम फिर शुरू कर दिया. अब दोबारा वही होने लगा. जब भी कोई मुर्गा मालिक द्वारा काटे जाने के लिए बाहर निकाला जाता, बाकी मुर्गे मजे से नाचते. नये आये युवक को यह बात समझ में नहीं आयी.

उसने मालिक से पूछा, ‘मालिक ये बाकी मुर्गे परेशान क्यों नहीं होते कि मरने की अगली बारी उनकी है? वे नाचने क्यों लगते हैं?’ मालिक ने कहा, ‘तुमने सुबह मुझे मुर्गो के कानों में कुछ कहते हुए देखा?’ युवक ने कहा, ‘जी हां.’ मालिक बोले, ‘दरअसल मैंने सभी मुर्गो को बारी-बारी से बुला कर कान में यह कह दिया है कि तुम मेरे पसंदीदा हो और मैं तुम्हें छोड़ कर सभी मुर्गो को काटने वाला हूं. इसलिए जब भी कोई मुर्गा मैं निकालूं, तुम बेफिक्र हो कर नाचो. यही वजह है कि मुर्गे अपने अन्य साथियों को मरता देख खुशी से झूम उठते हैं, यह सोच कर कि भैया, मैं तो जिंदा रहने वाला हूं.’

– बात पते की
* अगर आप सामनेवाले की मदद मुसीबत के वक्त नहीं करेंगे, तो फिर कोई आपकी भी मदद नहीं करेगा. खुद को सामनेवाले की जगह रखें और सोचें.
* दूसरों को मुसीबत में देख कर खुश न हों. जो घटना दूसरों के साथ हो सकती है, वह आपके साथ भी हो सकती है. बेहतर है, टीम की तरह काम करें.

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