रानीगंज : स्कूली छात्र के साथ बलात्कार कांड मामले में बासंती देवी गोयनका विद्यामंदिर की प्रधानाध्यापिका श्रृति गांगुली, स्कूल कमेटी के सचिव भक्तिराम भालोटिया व स्कूल की शिक्षक-शिक्षिकाओं का एक शिष्टमंडल रानीगंज के थाना प्रभारी उदय शंकर घोष से मिलकर अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने व इस प्रकार की घटना की पुनरावृति न हो इसके लिए इलाके में पुलिस व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करने की मांग की.
स्कूल की प्रधानाध्यापिका श्रृति गांगुली ने कहा कि रानीगंज में उनके विद्यालय की छात्र से इस प्रकार की घटना से वे लोग काफी चिंतित है. इस प्रकार की घटना दोबारा किसी के साथ न हो, इसकेलिए पुलिस, प्रशासन और समाज के सभी को अपने दायित्व का सटिक निर्वाह करना होगा.
थाना प्रभारी श्री घोष ने कहा कि इस कांड के दोनों आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके है. अदालत से इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले, इसके लिए पुलिस सारी प्रक्रिया पूरी तरह से निभायेगा. उन्होंने आश्वासन भी दिया कि इस प्रकार की घटना की पुनरावृति न हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन चुस्त दुरुस्त है.
पीड़िता के घर नेता
सोमवार की रात छात्र के साथ बलात्कार के बाद इलाके में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है. मंगलवार को रानीगंज नगर व अन्य स्थानीय नेता और लोगों की भीड़ पीड़िता के घर सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे और उनके परिवार के साथ इस दुख की घड़ी में कदम से कदम मिलाकर चलने का आश्वासन दिया.
सबने की घटना की निंदा
सासंद वंश गोपाल चौधरी ने कहा कि इस प्रकार की घटना निंदनीय है. कानून व्यवस्था की पूरे राज्य में धज्जियां उड़ चुकी है. पुलिस सत्ता दल के इशारे पर कार्य कर रही है. जिसके कारण अपराधियों में पुलिस का डर समाप्त हो गया है. पुलिस यदि निष्पक्ष भूमिका में आ जाये तो अपराध कम हो सकता है.
विधायक सोहराब अली ने कहा कि रात को ही घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया और अपराधी गिरफ्तार भी हुए. पुलिस निष्पक्ष होकर बिना किसी दबाव में कार्य कर रही है.
अनूप मित्र पीड़िता के घर से लौटते ही पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत माकपा कर्मियों ने शहर में हंगामा किया. अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी, किसी भी सभ्य समाज में इस प्रकार की घटना बरदाश्त नहीं की जा सकती है.
अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन रानीगंज शाखा की अध्यक्ष मंजू गुप्ता ने कहा कि यह एक जघन्य अपराध है. विकृत मानसिकता और विचारधारा का परिचय है, जिसका अंजाम पूरे समाज को भुगतना पड़ता है. इस प्रकार की घटना को अंजाम देने वाले यह भूल जाते है कि उनकी भी मां, बहन, भाभी है, जागरूकता के बगैर इस प्रकार के घटना को रोकना कठिन है.
महावीर ग्राम समिति के सचिव रमेश लोयेलका ने कहा कि इस प्रकार की घटना की जितनी निंदा की जाये, कम है. अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
रानीगंज चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष विजय खेतान ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस घटना के विरोध में पुलिस, प्रशासन और राज्य के गृह मंत्री को चैंबर की ओर से ज्ञापन सौंपा जायेगा.
हनुमान चालीसा संघ के सरंक्षक ओम बाजोरिया ने कहा कि घटना में लिप्त दोषियों को एसी सजा मिले कि इस प्रकार की घटना को अंजाम देने से पहले किसी भी अपराधी को डर का अहसास हो. तभी इस प्रकार की घटना की पुरनावृति रूकेगी.
स्कूली छात्रा रहे आतंकित
छात्रा बलात्कार कांड को लेकर बौखलाये प्रदर्शनकारियों ने रानीगंज में जमकर वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की. इसके कारण छात्र-छात्राएं अपनी जानें बचाकर इधर-उधर भागने लगे. इससे अभिभावकों के साथ छात्रों की परेशानी बढ़ गयी. घटना को नियंत्रण में आने के बाद अभिभावक अपने बच्चों को इधर-उधर तलाशते रहे.
छोटे-छोटे बच्चे, जिनके पास मोबाइल फोन आदि संपर्क का कोई साधन नहीं था, उनके अभिभावकों को भारी परेशानी हुई. देर संध्या तक अभिभावक अपने बच्चों को तलाशते रहे. कई एक छात्रों को चोंटे भी लगी और दर्जनों छात्र-छात्राएं इस घटना को लेकर भूखे-प्यासे भटकते रहे.
दिखा जनता का गुस्सा
घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों का गुस्सा पुलिस के प्रति उबलते देखा गया. लोगों का कहना था कि पुलिस राजनीतिक दबाव में कार्य कर रही है. जिसके कारण पूरे राज्य में एक के बाद एक इस तरह की घटनाएं घट रही है. अपराधियों का मनोबल भी बढ़ता देखा जा सकता है. पुलिस के प्रति उनका डर भी समाप्त हो गया है. क्योंकि अधिकांश अपराधी राजनीतिक शरण में रहकर अपराध को अंजाम दे रहे है.
दिखती रही है संवेदनहीनता
स्कूली छात्रओं से बलात्कार की घटनाओं पर आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमीश्नरेट का रवैया हमेशा से विवादास्पद रहा है. इसके पहले हीरापुर थाने में कक्षा दो की छात्र के साथ हुये बलात्कार व हत्या के मामले में उसे जनाक्रोश भोगना पड़ा था.
आठ अगस्त, 2012 को स्कूल से लौट रही कक्षा दो की अबोध छात्र का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गयी थी. लंबे समय तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई. जनाक्रोश बढ़ता रहा. इसके बाद नशेड़ी युवक सुकांत सरकार उर्फ रावण को इस मामले में गिरफ्तार कर मामले का पटाक्षेप किया गया. रावण खुद को निदरेष बताता रहा, लेकिन पुलिस उसके खिलाफ ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सकी.
यहां तक कि मृतका के परिजनों ने भी रावण को आरोपी नहीं माना. उनका दावा है कि पुलिस मामले की फाइल बंद करने के लिए ही रावण को आरोपी बनाया. रावण ने कुद को निदरेष बताते हुये दो बार जेल में अनशन किया.
आखिरकार उसने कोर्ट के लॉकअप में आत्मदाह कर लिया और दो दिन पहले उसकी मौत हो गयी. रानीगंज में भी यदि आंदोलनकारी पक ड़ेगये आरोपियों के बारे में साक्ष्य मांग रहे थे तो कहीं न कहीं उनके जेहन में हीरापुर की घटना क्रौंध रही थी.
व्यावसायिक गतिविधियां ठप
स्कूली छात्र के साथ गैंग रैप के खिलाफ सड़कों पर छात्रों के उतरने, निवासियों के तोड़फोड़ पर पुलिस के बल प्रयोग के बाद रानीगंज शहर में व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गयी. निवासी के उग्र होते ही शहर की अधिसंख्य दुकाने बंद हो गयी. पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया.
शहर के विभिन्न निजी प्रतिष्ठानों में कार्यरत तथा दूरदराज क्षेत्रों से आनेवाले कर्मियों को दोपहर में ही कार्यालयों से छुट्टी दे दी गयी. नियोजकों का मानना था कि कभी भी शहर की स्थिति विस्फोटक हो जायेगी और इस स्थिति में कर्मियों की सुरक्षा का जिम्मेवारी कौन लेगा? सैक ड़ों ऐसे कर्मियों के परिजन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे. हालांकि मोबाइल फोन से वे उनके संपर्क में बने हुये थे.
पुलिस पर उठते सवाल
स्कूली छात्र का दिनदहाड़े अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में पुलिस निष्क्रियता से फैले जनाक्रोश के बाद शहर में पहुंचे पुलिस आयुक्त अजय नंद ने गहरी नाराजगी जतायी. उन्होंने कहा कि जनता को जनता पर विश्वास रखना चाहिए तथा पुलिस को उसका कार्य करने देना चाहिए था.
लेकिन आम नागरिकों की इस बयान पर काफी आपत्ति है. निवासियों का कहना है कि इस मुद्दे पर पूरा देश व्यथित हैं. इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए क ड़े कानून भी बनाये गये हैं. पूरी युवा पीढ़ी सड़कों पर है. इसके बाद भी क ड़ी धूप में सैकड़ों छात्र-छात्राएं अपनी सुरक्षा के लिए तथा इस घटना में शामिल अपराधियों को फांसी देने की मांग करते हैं तो पुलिस क्यों उदासीन थी?
रानीगंज थाना पुलिस के अधिकारी क्यों इतने संवेदनशील मामले में भी उदासीन बने रहे? हद तो यह है कि घटना की जानकारी सबसे पहले सहायक पुलिस अवर निरीक्षक स्तर के अधिकारी को मिलती है. लेकिन वह कोई कार्रवाई न कर पीड़िता को उसके घर पहुंचा देता है. क्या पुलिस का दायित्व नहीं था कि अपने स्तर से वह इसकी शिकायत दर्ज कर इसकी जांच करता.
पीड़िता के पिता ने नामजद प्राथमिकी नहीं करायी थी. इसके बाद भी पुलिस ने प्राथमिकी लेने में क्यों आनाकानी की? निवासियों का कहना है कि यदि पुलिसकर्मियों के परिजनों के साथ यह घटना होती तो क्या वे ऐसे ही उदासीन रहते? पुलिस आरोपी को पक ड़ने में आनाकानी करती है और सड़क जाम होने पर तुरंत आरोपी को पकड़ लेती है. क्या इससे पुलिस भूमिका पर सवाल नहीं उठते है?
पीड़िता व आरोपियों की पृष्टभूमि संवेदनशील होने के बाद भी पुलिस अधिकारी क्यों उदासीन बने रहे? क्यों यह संकेत देने की कोशिश की गयी कि पुलिस आरोपियोंके प्रति नरमी बरत रही है?
छात्रों के आंदोलन को तुरंत बातचीत कर क्यों नहीं समाप्त करा दिया गया? ऐसे संवेदनशील मामले में भी जनता के पास सड़कों पर उतरने के अलावा चारा क्या है? निवासियों का सबसे अंतिम सवाल यह है कि जनता का विश्वास पुलिस पर से क्यों उठ रहा है, क्या इसका जबाब पुलिस के वरीय अधिकारियों को अपने विभाग की गतिविधियों को देखते हुये स्वयं से नहीं पूछना चाहिए?