मालदा : गंगा नदी के किनारे बांध बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण के तीन दशक बीत गये लेकिन अभी तक जमीन देने वाले किसानों को मुआवजा नहीं मिला है. जमीन खोकर अब किसान खेती के बदले मजदूरी कर जीविका चला रहे हैं. इसके लिए मालदा जिले के कालियाचक तीन नंबर ब्लॉक के क्षतिग्रस्त किसानों ने फरक्का बैरेज प्रबंधन व केंद्र सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया है.
कालियाचक तीन नंबर ब्लॉक के बीननगर, एक, दो, लक्ष्मीपुर, हामीदपुर, राजनगर ग्राम पंचायत इलाकों में बाध बनाने के लिए फरक्का बैरेज प्रबंधन ने जमीन अधिग्रहण किया था. इस दौरान करीब पांच हजार किसानों की जमीन अधिगृहित की गयी थी. फरक्का बैरेज प्रबंधन ने गंगा नदी के किनारे 10 बांध तैयार किया था. विगत सालों में एक के बाद एक बांध गंगा में समा गया है.
अब सिर्फ कालियाचक तीन नंबर ब्लॉक के शिमुलतला से बीननगर तक चार किलोमीटर व बीननगर से राजनगर तक तीन किलोमीटर बांध बचा हुआ है. ये बांध भी टूटने के कगार पर हैं. किसानों का कहना है कि जमीन ही उनकी संपत्ति थी. वहां वे खेती कर गुजारा करते थे. लेकिन उनसे जमीन छीन ली गयी और बदले में क्षतिपूर्ति भी नहीं मिली. इसके खिलाफ किसानों ने हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज किया था.
फरवरी 2011 को हाईकोर्ट ने क्षतिग्रस्त किसानों का बकाया राशि चुका देने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के निर्देश को भी फरक्का प्रबंधन ने नहीं माना. इस संबंध में फरक्का बैरेज के जनरल मैनेजर अरूण कुमार सिन्हा ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के बाद से ही चरणों में चेक वितरण का काम चल रहा है. केंद्र से जिस प्रकार राशि मिल रही है, उसी तरह से किसानों को चेक दिया जा रहा है.