
एशिया प्रशांत इकॉनॉमिक कोऑपरेशन यानी एपेक की बैठक से भारत ने खुद को बाहर रखा.
यह इसके बावजूद हुआ कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोऑपरेशन की बैठक में ऑब्ज़र्वर की भूमिका निभाने के लिए बीते सितंबर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पेशकश भी की थी.
फिर ये पेशकश पाकिस्तान को मिली और उसने इसका फायदा भी उठाया.
भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम रहकर चीन की ओर से बुलाए गए किसी अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में शिरकत करते नहीं दिखना चाहता.
इसके साथ ही पाकिस्तान के साथ तुलना किए जाने की रवायत को भी भारत तवज्जो नहीं देना चाहता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसके पड़ोसी की अर्थव्यवस्था कहीं छोटी है.
‘मजबूत दोस्त’

पाकिस्तानी मीडिया में कहा जा रहा है कि नवाज़ शरीफ ने पाकिस्तान के लिए 46 अरब डॉलर के सौदे हासिल किए हैं लेकिन चीन की तरफ से इस मुद्दे पर खामोशी ही है.
बीजिंग में चीन के सरकारी प्रवक्ता ने शी जिनपिंग के हवाले से कहा कि पाकिस्तान और चीन ‘मजबूत दोस्त’ हैं.
पाकिस्तानी मीडिया में किए जा रहे दावों पर यकीन किया जाए तो नवाज़ शरीफ को घरेलू मोर्चे पर इससे कुछ हद तक मदद हासिल हो सकती है.
शी जिनपिंग ने शनिवार को जो कुछ भी किया, उससे शरीफ को अपने राजनीतिक संकट से निपटने में सहूलियत होगी.
भारत का ऐतराज़

35 अरब डॉलर की बड़ी मदद से पाकिस्तान अपने बिजली संकट से निपट सकेगा. यही वो मुद्दा था जिसके बिनाह पर शरीफ की सरकार दोबारा चुनकर आई.
भारत को रिझाने की हाल की तमाम कोशिशों के बावजूद चीन यह संकेत देता हुआ दिखता है कि वह पाकिस्तान के साथ अपनी ‘मजबूत दोस्ती’ पर कोई समझौता नहीं करेगा.
चीन को पाकिस्तान से जोड़ने वाले आर्थिक गलियारे के निर्माण की चीन की कोशिशों पर भी भारत ने ऐतराज़ जताया है.
ये गलियारा पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से होकर गुजरना है और भारत इसे अपना इलाका बताता है.
चीन में चरमपंथ

शनिवार को शी जिनपिंग ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के विवादास्पद क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्य में मदद के लिए चीन की झोली खोल दी.
पिछले सितंबर में शी ने अपने दक्षिण एशिया दौरे में पाकिस्तान को नजरअंदाज कर दिया था लेकिन इसके बाद जल्द ही चीन ने अपनी ये दरियादिली जाहिर की है.
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के तालिबान नियंत्रित इलाकों और चीन के शिनजियांग प्रांत के बीच चरमपंथियों के आवागमन को रोकने में पाक की नाकामी को लेकर चीन के नेताओं ने प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की आलोचना भी की.
चीन का शिनजियांग इलाका ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट’ के नाम पर चल रहे हिंसक आंदोलन का एक प्रमुख केंद्र है.
चीन का मक़सद

दोनों देशों के बीच ऑप्टिकल फाइबर बिछाने के लिए चीन ने पाकिस्तान को रियायती दरों पर कर्ज की पेशकश की है.
माना जा रहा है कि चीन की कंपनियां ही केबल बिछाने में मदद करेंगी.
सूत्रों का कहना है कि इससे पाकिस्तान के संचार नेटवर्क पर चीन को अपना प्रभाव जमाने का मौका मिल जाएगा.
उनके मुताबिक चीन का मकसद सरहदी इलाकों में चरमपंथियों के आवागमन और उनके संगठनों की संचार प्रणाली पर रोकथाम करना है.
महत्वपूर्ण परियोजनाएँ

चीन के प्रधानमंत्री ली कचियांग और नवाज़ शरीफ़ की एक बैठक के बाद दोनों देशों ने 20 महत्वपूर्ण सौदों पर दस्तखत किए.
इसमें बिजली उत्पादन की महत्वपूर्ण परियोजनाएँ शामिल हैं.
चीन ने सिल्क रूट के विकास पर 42 अरब डॉलर खर्च करने की बात भी कही है.
इस रास्ते से पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल जुड़े हुए हैं. उसका मक़सद इस इलाके में अपना असर बढ़ाना है.
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