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पांच मिनट का स्ट्रेस ब्रेक सभी को रखेगा खुश

।। दक्षा वैदकर ।।आज हमारी जिंदगी बहुत भाग-दौड़ वाली हो चुकी है. दिनभर ऑफिस का स्ट्रेस, बॉस की डांट, डेडलाइन का प्रेशर, क्लाइंट से मीटिंग, साथी कर्मचारियों के साथ नोक-झोंक और न जाने क्या-क्या.. ऐसे माहौल में घंटों रहने के बाद जब हम शाम को घर जाते हैं, तो हमारे चाहते या न चाहते हुए […]

।। दक्षा वैदकर ।।
आज हमारी जिंदगी बहुत भाग-दौड़ वाली हो चुकी है. दिनभर ऑफिस का स्ट्रेस, बॉस की डांट, डेडलाइन का प्रेशर, क्लाइंट से मीटिंग, साथी कर्मचारियों के साथ नोक-झोंक और न जाने क्या-क्या.. ऐसे माहौल में घंटों रहने के बाद जब हम शाम को घर जाते हैं, तो हमारे चाहते या न चाहते हुए भी इन सब बातों का असर हमारी बातचीत में, व्यवहार में, कार्यो में नजर आ जाता है.

ऑफिस की चिड़चिड़ाहट, घुटन का प्रभाव हमारे परिवार पर पड़ता है. उन लोगों पर पड़ता है, जिनकी इसमें कोई गलती नहीं होती है, जो आपके घर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे होते हैं. इसमें आपके माता-पिता होते हैं, जो आपको हमेशा मुस्कराते हुए देखना चाहते हैं. आपकी पत्नी होती है, जो आपसे कुछ बातें शेयर करना चाहती है. आपके बच्चे होते हैं, जो आपके साथ थोड़ा वक्त गुजारना चाहते हैं. आप अपने ऑफिस के तनाव की वजह से इन सभी का दिल एक साथ दुखाते हैं. क्या यह सही है? इस बारे में सोचें.

यदि आप सचमुच अपनी इस आदत को बदलना चाहते हैं, इस समस्या से बाहर निकलना चाहते हैं, तो इन चीजों से बचने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं. जब भी आप ऑफिस से निकलें और आपका मूड खराब हो, आप अपनी गाड़ी किसी जगह पर पांच मिनट के लिए रोक दें. ऐसी जगह पर जहां आसपास बगीचा हो, फूल-पौधे हों.

अब आप सुंदर-सुंदर फूलों को देखें, भंवरों, तितलियों को उन पर मंडराते देखें. हरी घास को देखें, पक्षियों की चहचहाहट को सुनें. हरियाली को निहारें. बगीचे में खेलते और खिलखिलाते बच्चों को देखें. किस तरह ये बच्चे बिना किसी तनाव के जीवन गुजारते हैं, गिरते हैं और पल भर में उठ कर दोबारा खेलने लगते हैं. अब आप अपने परिवार को याद करें, अपने बच्चों को याद करें और उनका मासूम चेहरा आंखों के सामने लायें. खुद को रिलैक्स करें.

इस तरह आप खुद को तनावरहित कर घर जाने के लिए तैयार करते हैं. यह पांच मिनट का ‘स्ट्रेस ब्रेक’ आपको भी खुश रखेगा और आपके परिवारवालों को भी. बगीचे में रुक कर बिताया गया यह पल आपके ऑफिस के स्ट्रेस को घर जाकर दोगुना नहीं, बल्कि आधा करेगा.

– बात पते की
* समस्याएं किसके पास नहीं हैं, लेकिन ऑफिस की समस्या को घर ले जाना और घर की समस्या को ऑफिस ले जाना, हमें पीछे की ओर धकेलता है.
* अपने दिमाग को शांत रखने व मूड फ्रेश करने के तरीके तलाश लें. इस तरह आप तुरंत नकारात्मक माहौल से बाहर निकल पायेंगे, जो फायदा पहुंचायेगा.

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