संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की वर्तमान 7. 2 अरब की आबादी में अगले 12 वर्ष में दस लाख से अधिक की वृद्धि हो जाएगी और वर्ष 2050 यह आंकड़ा 9.6 अरब तक हो सकता है.
विश्व संस्था की आज जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जनसंख्या में यह वृद्धि अफ्रीका में आधे से अधिक होने के साथ साथ मुख्य रुप से विकासशील देशों में होगी.
आर्थिक और सामाजिक मामलों के अंडर सेक्रेटरी जनरल वू होंगबू ने कहा ‘हालांकि जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आई है लेकिन यह रिपोर्ट बताती है कि कुछ विकासशील देशों, खास कर अफ्रीका में आबादी तेजी से बढ़ रही है.’
रिपोर्ट का शीर्षक ‘वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉसपेक्ट्स : द 2012 रिवीजन’ है. इसमें कहा गया है कि विकसित देशों की आबादी अभी करीब 1.3 अरब है जो 2050 तक इसी के आसपास रहेगी और इसमें खास बदलाव नहीं होगा. लेकिन कम से कम 49 विकासशील देशों में जो आबादी अभी 90 करोड़ है, वह 2050 में बढ़ कर 1.8 अरब हो जाएगी.’
पिछले अनुमानों की तुलना में कुल आबादी के नए अनुमान इसलिए अत्यधिक हैं क्योंकि कुछ देशों में प्रजनन स्तर के बारे में नई सूचना मिली है. उदाहरण के लिए उप सहारा अफ्रीका के 15 देशों में प्रजनन दर अत्यधिक है.
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के आबादी प्रभाग के निदेशक जॉन विल्मॅथ ने न्यूयार्क स्थित विश्व संस्था के मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा ‘कुछ मामलों में, प्रजनन के वास्तविक स्तर में हालिया वर्षों में वृद्धि हुई है. अन्य मामलों में पूर्व के अनुमान बहुत कम थे.’
जॉन विल्मॅथ ने कहा ‘चीन, भारत, इंडोनेशिया, ब्राजील, ईरान और दक्षिण अफ्रीका जैसे बड़े विकासशील देशों में प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या में तेजी से कमी आई है. लेकिन नाइजीरिया, नाइजर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया और तो और अफगानिस्तान और तिमोर लेस्ते जैसे उच्च प्रजनन स्तर वाले कुछ देशों में आबादी में वृद्धि जारी रहने का अनुमान है जहां प्रति महिला पांच से अधिक बच्चे हैं.’
उन्होंने कहा कि अगले कुछ दशकों में प्रजनन दर में बदलाव का आबादी और जनजीवन पर दूरगामी एवं बड़ा असर पड़ सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2028 तक चीन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाएगा जब दोनों देशों की आबादी करीब 1.45 अरब होगी.
इसके बाद भी भारत की आबादी बढ़ती रहेगी जबकि चीन की आबादी घटने लगेगी. इसी बीच, नाइजीरिया की आबादी वर्ष 2050 तक बढ़ कर अमेरिकी आबादी से अधिक हो जाने का अनुमान है.
रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप की आबादी में 14 फीसदी की कमी आने का अनुमान है. विल्मॅथ ने चेतावनी दी है कि इस महाद्वीप के सामने तेजी से वृद्ध हो रही आबादी की देखभाल और उनको सहयोग की चुनौतियां लगातार बनी हुई हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में विकसित और विकासशील देशों में जीवन प्रत्याशा बढ़ने का अनुमान है. वैश्विक स्तर पर वर्ष 2045..2050 में यह 76 साल और 2095..2100 में 82 साल हो सकती है.
सदी के अंत तक विकसित देशों में लोगों की औसत आयु 89 साल और विकासशील देशों में औसत आयु 81 साल होगी.
यह रिपोर्ट 233 देशों और दुनिया के अलग अलग भागों के जनांकिकी आंकड़ों तथा 2010 की जनगणना की समग्र समीक्षा पर आधारित हैं.