।। दक्षा वैदकर ।।
एक मित्र ने फेसबुक पर बहुत रोचक किस्सा पोस्ट किया है. वह लिखते हैं कि एक दिन चर्चा के दौरान मेरे बेटे ने मुझसे पूछा, ‘‘स्कूल के दिनों में क्या आपकी कभी पिटाई हुई है?’’ बेटे का यह सवाल मुझे बचपन में ले गया. मैंने उसे बताया कि कक्षा छह में एक शिक्षक हुआ करते थे. वह बहुत गोरे और लंबे थे. लड़के उन्हें दबी जुबान से सफेद हाथी कहा करते थे. वह भाषा पढ़ाते थे. सभी बच्चे उनके डंडे के नाम से कांपते थे.
वे कभी-कभी हमारी कक्षा भी लेते थे और उन्हें मैं सबसे ज्यादा प्रिय था. जब भी वह कक्षा के सामने से गुजरते और उन्हें कोई बच्चा हल्ला करते या बदमाशी करते दिख जाता, तो वह उस एक लड़के की सजा पूरी कक्षा को देते. सभी के हाथ पर डंडे से मारते. यदि कोई बच्चा विरोध जताता कि मेरी गलती नहीं है, तो उसे अतिरिक्त एक डंडा और मारते थे. पुराने बदमाश लड़कों को भी एक डंडा अतिरिक्त मिलता ही था.
पहली बार मेरे दोस्त दीपक की गलती की वजह से जब मैंने डंडा खाया, तो कक्षा के बाद दीपक से मैंने पूछा कि तुमने आज सबको मार क्यों खिलायी? वह हंसते हुए बोला, कक्षा के दो लड़के जो सभी को बहुत परेशान करते थे और उनकी बदमाशी के कारण हम सभी को बेवजह डंडे खाने पड़ते थे. आज मैंने उन्हें बेवजह पिटवाने के लिए जान-बूझ कर बदमाशी की, कल तुम करना ताकि उन्हें और दंड मिले.
उसी दिन किसी कार्य से मुझे सर के घर जाना पड़ा. मैं डरते-डरते अंदर गया. उन्होंने मुझे बहुत प्यार से बिठाया. तब हिम्मत करके मैंने उनसे पूछ लिया कि सर आप इतने अच्छे है फिर भी आप इस तरह से सजा क्यों देते हैं? वे बोले, बेटा मैं कुछ बातें सब बच्चों को सिखाना चाहता हूं, जो कि पूरी जिंदगी काम आयेगी.
1. आपको आपकी गलती की सजा जरूर मिल सकती है.
2. आपकी गलती की सजा आपके मित्र एवं प्रियजनों को भी मिल सकती है.
3. आप बेगुनाह हैं, तब भी दूसरे की गलती की सजा आपको मिलने पर आपको चुपचाप सहना आना चाहिए.
4. आपका पूर्व का रिकार्ड आपको बिना गलती होने पर भी दोगुनी सजा दिलवा सकता है.
– बात पते की
* यह जरूरी नहीं कि हमें अपनी ही गलती की सजा मिले. कई बार हमें दूसरों की गलतियों की सजा भी भुगतनी पड़ती है. इसके लिए तैयार रहें.
* आपके साथ हमेशा न्याय होगा, ऐसा संभव नहीं. कई बार गेहूं के साथ घुन भी पिस जाता है. खुद को हर परिस्थिति में ढालने का प्रयास करें.