28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मिशन एडमिशन : माइक्रोबायोलॉजिस्ट बन संवारें करियर

माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों की बदौलत हाल-फिलहाल में कई संक्रामक बीमारियों, जैसे जीका वायरस, एचआईवी और स्वाइन फ्लू आदि की पहचान से लेकर उपचार तक में कारगर कदम उठाए जा सके हैं. डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ व डेयरी उत्पादों की जांच-पड़ताल करना भी अब माइक्रोबायोलॉजी के इस्तेमाल से काफी आसान हो गया है. चिकित्सा के क्षेत्र में […]

माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों की बदौलत हाल-फिलहाल में कई संक्रामक बीमारियों, जैसे जीका वायरस, एचआईवी और स्वाइन फ्लू आदि की पहचान से लेकर उपचार तक में कारगर कदम उठाए जा सके हैं. डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ व डेयरी उत्पादों की जांच-पड़ताल करना भी अब माइक्रोबायोलॉजी के इस्तेमाल से काफी आसान हो गया है. चिकित्सा के क्षेत्र में शोध के अलावा जीन्स थैरेपी व प्रदूषण पर रोक की दिशा में माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने कई नये आयाम गढ़े हैं. तो आइए जानते हैं क्या है माइक्रोबायोलॉजी और कहां-कहां मिल सकता है जॉब.

क्या है माइक्रोबायोलॉजी
माइक्रोबायोलॉजी के अंतर्गत सूक्ष्म जीवों जैसे प्रोटोजोआ, एल्गी, बैक्टीरिया व वायरस का गहराई से अध्ययन किया जाता है. इस विषय के जानकार लोग इन जीवाणुओं के जीवजगत पर अच्छे व बुरे प्रभावों को जानने की कोशिश करते हैं. जीन थेरेपी तकनीक के जरिए इनसानों में होने वाली गंभीर आनुवंशिक गड़बड़ियों के बारे में पता लगाते हैं.
रोजगार की संभावनाएं.
दुनिया भर में नई-नई बीमारियों के सामने आने से आज माइक्रोबायोलॉजिस्ट की जरूरत कई उद्योगों में पड़ रही है. ये अवसर सरकारी व निजी, दोनों क्षेत्रों में मिल रहे हैं. इस क्षेत्र के जानकार दवा कंपनियों, वॉटर प्रोसेसिंग प्लांट्स, चमड़ा व कागज उद्योग, फूड प्रोसेसिंग, फूड बेवरेज, रिसर्च एवं डेवलपमेंट सेक्टर, बायोटेक व बायो प्रोसेस संबंधी उद्योग, प्रयोगशालाओं, अस्पतालों, होटल, जनस्वास्थ्य के काम में लगे गैरसरकारी संगठनों के साथ ही अनुसंधान एवं अध्यापन के क्षेत्र में भी जा सकते हैं.

आकर्षक वेतन
इसमें निजी सेक्टर खासकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में सबसे अच्छा वेतन मिलता है. मास्टर या पीजी डिप्लोमा कोर्स के बाद किसी चिकित्सा संस्थान से जुड़ने पर पेशेवर को 40-45 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं. शोध या अध्यापन में यही आमदनी 70-80 हजार प्रतिमाह के करीब पहुंच जाती है.
योग्यता
इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए युवाओं को माइक्रोबायोलॉजी विषय से बैचलर होना जरूरी है. इसके बैचलर स्तर के विशिष्ट पाठ्यक्रमों में बायोलॉजी विषय से 12वीं पास करने वाले छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. इस क्षेत्र से संबंधित करीब दर्जन भर मास्टर्स स्तर के पाठ्यक्रमों में माइक्रोबायोलॉजी या लाइफ साइंस में स्नातक करने के बाद प्रवेश लिया जा सकता है. कई छात्र माइक्रोबायोलॉजी में मास्टर करने के बाद शोध की ओर कदम बढ़ाते हैं. इसके कुछ प्रमुख कोर्सेज में हैं-बीएससी इन माइक्रोबायोलॉजी/एप्लायड माइक्रोबायोलॉजी ‘ बीएससी इन फूड टेक्नोलॉजी/क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी ‘ एमएससी इन माइक्रोबायोलॉजी/एप्लायड माइक्रोबायोलॉजी ‘ एमएससी इन मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी ‘ स्पेशलाइजेशन इन एग्रीकल्चर माइक्रोबायोलॉजी ‘ स्पेशलाइजेशन इन नैनो माइक्रोबायोलॉजी/सेलुलर माइक्रोबायोलॉजी.
चुनौतियां
इस क्षेत्र में अपनी उपयोगिता बनाए रखने के लिए पेशेवरों को नियमित अध्ययन करने की जरूरत होती है. लैब सेटअप का बेहतर ज्ञान होना चाहिए. हानिकारक जीवाणुओं का प्रभाव रोकने, पर्यावरण को दूषित होने से बचाने सरीखे कार्य चुनौतीपूर्ण होते हैं. इस क्षेत्र के जानकारों को कॉर्पोरेट जगत में सुनहरे अवसर तो मिलते हैं, लेकिन मार्केटिंग, प्रबंधन, सेल्स सरीखे कार्य पेशेवरों के लिए नई चुनौती लेकर आते हैं. ज्यादा नौकरियां सरकारी क्षेत्रों में हैं. .

संस्थान
-दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली.
– बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी.
– एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा.
– अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़.
– चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ.
– छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें