अजय विद्यार्थी
कोलकाता : पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव में बांग्लादेशी विवाद से राज्य की राजनीति गरमा गयी है. पश्चिम बंगाल की सीमाएं बांग्लादेश से सटी हुई है. स्वास्थ्य व शिक्षा सहित विभिन्न मूलभूत जरूरतों को लेकर बांग्लादेश के लोगों का पश्चिम बंगाल प्राय: ही आना-जाना लगा रहता है. कइयों के पारिवारिक रिश्ते दोनों देशों में हैं. दोनों देशों में बनी बांग्ला फिल्में व टीवी सीरियल परस्पर देशों में समान रूप से देखे, पसंद किये जाते हैं, पर हाल में चुनाव के दौरान अप्रत्याशित घटना घटी, जिससे राज्य की राजनीति में गरमा गयी है. अंतत: केंद्रीय गृह मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा है.
पहली बार बांग्लादेशी अभिनेताओं ने किया चुनाव प्रचार : बांग्लादेशी अभिनेता फिरदौस अहमद और गाजी अब्दूल नूर ने रायगंज और दमदम लोस क्षेत्र से टीएमसी उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार किया. बंगाल में ऐसा पहली बार हुआ. भाजपा की शिकायत और ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन की रिपोर्ट के आधार गृह मंत्रालय ने इन दोनों का वीजा रद्द कर दिया और ‘भारत छोड़ने’ का नोटिस जारी कर दिया. इन्हें ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है.
नूर वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रुके रहे. हालांकि दोनों अभिनेताओं ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी भी मांगी है, लेकिन राज्य की राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप की मुद्दा गरमाया हुआ है. राजनीतिक दल परस्पर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
बांग्लादेशी घुसपैठ और शरणार्थी का मुद्दा पहले से ही
बांग्लादेशी घुसपैठ और शरणार्थियों का मुद्दा राज्य में पहले से उठता रहा है. पीएम नोदी ने साफ कहा कि भाजपा दोबारा सत्ता में आती है, तो घुसपैठियों को बाहर निकाला जायेगा, हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी. बंगाल में भी एनआरसी लागू होगा. टीएमसी इसका विरोध कर रही है. भाजपा का आरोप है कि बांग्लादेश से सटे जिलों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण जनसंख्या अनुपात बदल गया है. इसका चुनावी राजनीति पर प्रभाव पड़ रहा है.