बदलते वक्त और विभिन्न क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी की पहुंच ने कैरियर के ऐसे कई रास्ते खोले हैं, जहां युवाओं के लिए आगे बढ़ने की नयी संभावनाएं विकसित हो रही हैं. ऐसे में आप आनेवाले समय में उभरती हुई इंडस्ट्रीज को पहचान कर और उनके अनुसार खुद को तैयार कर अपने कैरियर को ऊंचाई दे सकते हैं. आइये एक नजर डालते हैं भविष्य में तेजी से उभरने वाले ऐसे ही पांच क्षेत्रों पर…
प्राची खरे
वक्त के साथ टेक्नोलॉजी के विस्तार ने विभिन्न क्षेत्रों की कार्यप्रणाली को इस कदर प्रभावित किया है कि अब परंपरागत प्रोफेशन की चमक फीकी-सी पड़ने लगी है. ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में ऐसे कई नये क्षेत्र उभरे हैं, जो युवाओं को आगे बढ़ने के बेहतरीन अवसर प्रदान कर रहे हैं. ऐसे में खुद को इन क्षेत्रों के लिए तैयार कर आप सफल कैरियर की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.
रिन्यूएबल एनर्जी
वक्त के साथ ऊर्जा की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में ऊर्जा के अतिरिक्त स्रोतों यानी वैकल्पिक ऊर्जा, सौर ऊर्जा, विंड एनर्जी, बायो एनर्जी, हाइड्रो एनर्जी आदि पर विशेष काम किया जा रहा है. आज गवर्नमेंट एवं प्राइवेट दोनों ही सेक्टर रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट पर जोर दे रहे हैं, जिसके चलते युवाओं के लिए यह संभावनाअों से भरे क्षेत्र का रूप ले चुका है. एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2021 तक विंड टेक्नोलॉजी यानी विंडटेक में 108 प्रतिशत तक की वृद्धि की संभावना है. अगले छह वर्षों में पर्यावरण और सिविल इंजीनियरिंग में भी 8-12 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे इस क्षेत्र में कम-से-कम 20,000 नौकरियां विकसित होंगी.
प्रवेश के लिए आवश्यक योग्यता : साइंस स्ट्रीम के साथ स्नातक या इंजीनियरिंग डिग्री रखनेवाले युवा रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट के परास्नातक कोर्स में दाखिला प्राप्त कर सकते हैं. एमएससी फिजिक्स के छात्रों का इस क्षेत्र में काफी रुझान देखने को मिलता है. वहीं कई बिजनेस संस्थान एनर्जी मैनेजमेंट या पावर मैनेजमेंट जैसे एमबीए कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं.
कौन-कौन से हैं कोर्स : आप रिन्यूएबल एनर्जी या फिजिक्स/ एनर्जी स्टडीज में एमएससी, एनर्जी स्टडीज, एनर्जी मैनेजमेंट, एनर्जी टेक्नोलॉजी या रिन्यूएबल एनर्जी मैनेजमेंट में एमटेक, एनर्जी इंजीनियरिंग में एमई, एनर्जी मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा आदि करके इस क्षेत्र में प्रवेश की राह को आसान बना सकते हैं.
प्रमुख संस्थान : यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे, आईआईटी दिल्ली, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तिरुचिरापल्ली, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल. इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी), इलाहाबाद.
ऑक्यूपेशनल थेरेपी
मेडिकल के क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी एक बेहतरीन कैरियर ऑप्शन है. इस थेरेपी के माध्यम से मानसिक और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को रोजमर्रा के कामों के लिए आत्मनिर्भर बनाने में मदद की जाती है. ऑक्यूपेशनल थेरेपी की जरूरत अधिकतर ऑटिज्म या इमोशनल डिसऑर्डर से ग्रसित बच्चों और न्यूरोलॉजिकल या साइकेट्रिक डिसऑर्डर के शिकार युवाओं को होती हैं. ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिस्टिक्स का अनुमान है कि अगले दशक में ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की मांग में 24 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है.
प्रवेश के लिए योग्यता : विज्ञान विषयों के साथ 12वीं पास करनेवाले छात्र ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट बनने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्र में नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं.
इन प्रोफेशनल्स के लिए अस्पतालों, मेंटल हेल्थ केयर सेंटर, रिहेबिलेटेशन सेंटर, एडल्ट डे केयर में जॉब के अवसर होते हैं. युवा चाहें तो थेरेपिस्ट या कंसल्टेंट के रूप में अपना क्लीनिक भी खोल सकते हैं.
प्रमुख संस्थान : राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, कटक. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड एजुकेशन रिसर्च, पटना. इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर. दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, दिल्ली.
टूरिज्म एवं हॉस्पिटेलिटी
विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2024 तक हॉस्पिटेलिटी एवं लीजर इंडस्ट्री में 3.4 करोड़ जॉब पैदा होंगी. तेजी से उभरती इस इंडस्ट्री को आनेवाले समय में बड़ी संख्या में प्रोफेशनल्स की आवश्यकता पड़ेगी. एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक इस इंडस्ट्री को 1.8 बिलियन तक इंटरनेशनल ट्रैवलर्स मिलेंगे, जाहिर है इससे इंडस्ट्री को काफी फायदा होगा. ऐसे में टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री में ऐसे युवाओं के लिए काम के अवसर विकसित होंगे, जो होटल, रेस्टोरेंट्स, रिटेल और एंटरटेनमेंट स्थलों पर काम करने की दक्षता रखते होंगे.
प्रवेश के लिए योग्यता : नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेजमेंट एेंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी के संस्थानों में बीएससी इन हास्पिटेलिटी एंड होटल मैनेजमेंट कोर्स में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा होती है. इसके लिए अभ्यर्थी का 12वीं में 50 प्रतिशत अंक होना आवश्यक होता है.
कौन-कौन से हैं कोर्स : बारहवीं के बाद होटल मैनेजमेंट का डिग्री कोर्स इस उद्योग में आपका पहला कदम माना जा सकता है. आप चाहें तो होटल मैनेजमेंट में सर्टिफिकेट कोर्स करके भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं. सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि छह महीने से एक साल तक की हो सकती है. वहीं होटल मैनेजमेंट में बैचलर या डिप्लोमा कोर्स डेढ़ से तीन साल तक की अवधि में पूरा किया जा सकता है. इसके अलावा पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स भी उपलब्ध हैं, जो एक साल की अवधि के हैं.
प्रमुख संस्थान : बिरला इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी, रांची. ओबरॉय सेंटर ऑफ लर्निंग एंड डेवलपमेंट, दिल्ली.
मोबिलिटी टेक्नोलॉजी
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एवं रोबोटिक्स जैसी टेक्नोलॉजी वाले इस युग में वह वक्त दूर नहीं, जब हम स्वचालित वाहनों में सफर करने की कल्पना को सच होते देख सकेंगे. आनेवाले समय में इस क्षेत्र में इंजीनियर, डिजाइनर और ऑटोमोटिव टेक्नीशियन की मांग काफी तेजी से बढ़ेगी. ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और मटीरियल साइंस का संयोजन है. इस क्षेत्र में नये वाहन डिजाइन करने होते हैं.
प्रवेश के लिए योग्यता : इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी को ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में चार वर्षीय डिग्री प्राप्त करनी होगी. ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी के स्नातक कोर्सेज में सेफ्टी, फ्यूल इकोलॉजी और इंडस्ट्रियल मैन्यूफैक्चरिंग से संबंधित आधुनिक वाहन डिजाइन के साथ इंजीनियरिंग के बुनियादी सिद्धांतों को कवर किया जाता है. स्नातक के बाद इस क्षेत्र में मास्टर्स भी किया जा सकता है.
हेल्थ केयर
आनेवाले वर्षां में कैरियर के लिहाज से हेल्थ केयर सेक्टर में भी अच्छी संभावनाएं देखने को मिल रही हैं. साल 2024 तक इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ लगभग 20 लाख प्रोफेशनल्स की आवश्यकता होगी. इन प्रोफेशनल्स में केवल डॉक्टर या नर्स ही नहीं, बल्कि अल्ट्रासाउंड टेक्नोलाॅजिस्ट, डेंटल हाइजीनिस्ट, एमआरआई टेक्नोलॉजिस्ट एवं रेडिएशन थेरेपिस्ट जैसे अन्य प्राेफेशनल्स भी शामिल हैं. हेल्थकेयर इंडस्ट्री में आप एलोपैथी के अलावा होम्योपैथी, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, सिद्ध व यूनानी चिकित्सा पद्धति में से किसी में समुचित पढ़ाई के जरिये चिकित्सक बनकर अपने सपने संवार सकते हैं और समाज की सेवा भी कर सकते हैं.