<p>पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार शाम नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय में स्वयंसेवकों को संबोधित किया. </p><p>इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे. प्रणब मुखर्जी का आरएसएस मुख्यालय जाना सबको चौंकाने वाला था. हालांकि प्रणब मुखर्जी ने अपनी पहचान और राजनीतिक जीवन के अनुरूप ही सारी बातें कहीं. </p><p>प्रणब मुखर्जी को आरएसएस ने अपने स्वयंसेवकों के तीसरे साल के प्रशिक्षण वर्ग के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया था. पूर्व राष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही कह दिया कि वो राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलेंगे. इन तीनों मुद्दों पर प्रणब मुखर्जी ने खुलकर अपनी बातें कहीं. </p><p>प्रणब मुखर्जी ने कहा, ”सहिष्णुता हमारी मज़बूती है. हमने बहुलतावाद को स्वीकार किया है और उसका आदर करते हैं. हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं.” </p><p>उन्होंने कहा, ”भारत की राष्ट्रीयता एक भाषा और एक धर्म में नहीं है. हम वसुधैव कुटुंबकम में भरोसा करने वाले लोग हैं. भारत के लोग 122 से ज़्यादा भाषा और 1600 से ज़्यादा बोलियां बोलते हैं. यहां सात बड़े धर्म के अनुयायी हैं और सभी एक व्यवस्था, एक झंडा और एक भारतीय पहचान के तले रहते हैं.” </p><p>प्रणब मुखर्जी ने कहा, ”हम सहमत हो सकते हैं, असहमत हो सकते हैं, लेकिन हम वैचारिक विविधता को दबा नहीं सकते. 50 सालों से ज़्यादा के सार्वजनिक जीवन बीताने के बाद मैं कह रहा हूं कि बहुलतावाद, सहिष्णुता, मिलीजुली संस्कृति, बहुभाषिकता ही हमारे देश की आत्मा है.” </p><p><a href="https://twitter.com/RSSorg/status/1004741266314149888">https://twitter.com/RSSorg/status/1004741266314149888</a></p><p>पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ”नफ़रत और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान ख़तरे में पड़ेगी. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि भारतीय राष्ट्रवाद में हर तरह की विविधता के लिए जगह है. भारत के राष्ट्रवाद में सारे लोग समाहित हैं. इसमें जाति, मजहब, नस्ल और भाषा के आधार पर कोई भेद नहीं है.”</p><p><a href="https://twitter.com/RSSorg/status/1004735445480046592">https://twitter.com/RSSorg/status/1004735445480046592</a></p><p>प्रणब मुखर्जी ने कहा, ”भारत का राष्ट्रवाद यूरोपीय राष्ट्र-राज्य से अलग है. भारत का राष्ट्रवाद वसुधैव कुटुंबकम में है. हमारी राष्ट्रीय पहचान हासिल करने की एक लंबी प्रक्रिया रही है. इसमें भाषिक और धार्मिक विविधता के लिए पूरी जगह है.”</p><p>उन्होंने कहा, ”भारत का संविधान करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है. हमारा राष्ट्रवाद हमारे संविधान में निहित है.” </p><p>प्रणब मुखर्जी से पहले स्वयंसेवकों को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया. मोहन भागवत ने अपने संबोधन की शुरुआत प्रणब मुखर्जी के आने पर उठी बहस से की. मोहन भागवत ने कहा कि आना जाना लगा रहता है. उन्होंने कहा कि संघ, संघ रहेगा और प्रणब मुखर्जी, प्रणब मुखर्जी ही रहेंगे. </p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/2035831466448418/">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/2035831466448418/</a></p><p>मोहन भागवत ने कहा, ”हमने प्रणब मुखर्जी को कैसे बुलाया और वो कैसे आए ये मुद्दा नहीं है. विविधिता में एकता हमारी हज़ारों सालों की परंपरा है. भाषा और पंथ परंपरा की विविधता तो पुरानी है. राजनीतिक मत प्रवाह में विविधता तो बनती रहती है. हम इसी विविधता में भारत मां के पुत्र हैं. एक दूसरे की विविधिता को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना ही भारत के हक़ में है.”</p><p>संघ प्रमुख ने कहा, ”किसी राष्ट्र का भाग्य व्यक्ति, सरकार और विचार से नहीं बनता. देश का सामान्य समाज जब गुणसंपन्न बनकर देश के लिए पुरुषार्थ करने के लिए तैयार होता है, तभी देश का भाग्य बदलता है.” </p><p>मोहन भागवत ने कहा, ”1911 में डॉ हेडगेवार के मन में आरएसएस बनाने की सोच आई थी. उन्होंने 1911 से सारे प्रयोग करना शुरू किया था और 1925 में 17 लोगों के साथ आरएसएस गठन किया. सबकी माता भारत माता हैं. सबके पूर्वज समान हैं. सबके जीवन के ऊपर भारतीय संस्कृति का प्रभाव है. संघ सबको जोड़ने वाली संस्था है. संगठित समाज ही हमारी पूंजी है.”</p><p>आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ का काम केवल संघ का नहीं है. उन्होंने कहा कि ये तो सबके लिए है. इसको देखने के लिए अनेक महापुरुष आ चुके हैं.” </p><p><a href="https://twitter.com/RSSorg/status/1004727294898810880">https://twitter.com/RSSorg/status/1004727294898810880</a></p><p>मोहन भागवत ने कहा, ”हमारे काम को प्रत्यक्ष देखिए. जो कुछ हमने कहा है उसकी पड़ताल कीजिए. इसके बाद आपको लगता है कि हम सही हैं तो साथ दीजिए. आना-जाना तो यहां लगा रहता है. किसी का विरोध मन में ना रखकर हम दृढ़ता पूर्वक आगे बढ़ रहे हैं.” </p><p>आरएसएस प्रमुख ने संघ के भीतर स्वयंसेवकों के स्तर पर विविधता की बात कही. उन्होंने कहा कि भारतवर्ष के कोने-कोने से आए लोग यहां प्रशिक्षण ग्रहण करते हैं. जब ये यहां से जाते हैं तो वो आत्मीयता लेकर जाते हैं.”</p><p>मोहन भागवत ने कहा कि अच्छी बातों का उपयोग बुरे कामों में होता है. उन्होंने कहा कि विद्या प्राप्त लोग विवाद में समय गंवाते हैं जबकि इसका उपयोग सहमति बनाने में करना चाहिए.” </p><p><a href="https://twitter.com/RSSorg/status/1004720155123826688">https://twitter.com/RSSorg/status/1004720155123826688</a></p><p>आरएसएस प्रमुख ने कहा, ”व्यवहार के बारे में अभी बहुत कुछ करना है. चरित्रवान और शीलवान लोगों की ज़रूरत है. समाज को बिखरने नहीं देने वाला जो धर्म है उसको पाने के लिए तपस्या करनी पड़ती है.”</p><p>प्रणब मुखर्जी के आरएसएस मुख्यालय जाने पर कांग्रेस में नाराज़गी थी. यहां तक कि उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी आपत्ति जताई थी. हालांकि उनके भाषण के बाद कांग्रेस खेमे से भी अब प्रशंसा की जा रही है. </p><p>अब कांग्रेस मीडिया सेल के प्रमुख रणदीप सिंह सूरजेवाला ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को आईना दिखा दिया है. इससे पहले कांग्रेस की तरफ़ से कई नाराज़गी भरे ट्वीट आए थे. </p><p><a href="https://twitter.com/AnandSharmaINC/status/1004703845266612225">https://twitter.com/AnandSharmaINC/status/1004703845266612225</a></p><p>कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा था, ”प्रणब मुखर्जी की छवि एक कद्दावर नेता की रही है. उनके आरएसएस मुख्यालय जाने से लाखों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को दुख हुआ है. इसके साथ ही उन्हें भी धक्का लगा है जो बहुलतावाद, विविधता और भारतीय गणतंत्र के बुनियादी मूल्यों पर भरोसा करते हैं. संवाद उनसे किया जाता है जो सुनने में भरोसा रखते हैं. आरएसएस को उसके एजेंडे से भटकाया नहीं जा सकता है.”</p><p>नागपुर पहुंचने के बाद प्रणब मुखर्जी संघ संस्थापक केबी हेडगेवार के जन्मस्थली पहुंचे थे. वहां पहुंचकर उन्होंने हेडगेवार को श्रद्धांजिल दी और उन्हें भारत मां का महान सपूत बताया था. यह बात प्रणब मुखर्जी ने विजिटर्स बुक में लिखी थी. </p><p>प्रणब मुखर्जी के नागपुर जाने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने शर्मिष्ठा मुखर्जी के ट्वीट को रिट्वीट करते लिए लिखा था कि ‘प्रणब दा से ऐसी उम्मीद नहीं थी.’ हालांकि भाषण के बाद कांग्रेस का रुख़ पूरी तरह से बदल गया है. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44394902">प्रणब पीएम बने होते तो क्या आरएसएस के मंच पर जाते?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44376306">नज़रिया: गांधी हिंदुत्व और आरएसएस से पूरी तरह असहमत थे</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44362382">प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी और संघ की कार्यशैली को समझें</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">आप यहाँ क्लिक कर</a><strong> सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>
संविधान के अनुरूप देशभक्ति ही असली राष्ट्रवाद: प्रणब मुखर्जी
<p>पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार शाम नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय में स्वयंसेवकों को संबोधित किया. </p><p>इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे. प्रणब मुखर्जी का आरएसएस मुख्यालय जाना सबको चौंकाने वाला था. हालांकि प्रणब मुखर्जी ने अपनी पहचान और राजनीतिक जीवन के अनुरूप ही सारी बातें कहीं. […]
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