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म्यूजियम कलेक्शंस मेक कनेक्शंस

म्यूजियम के प्रति लोगों में जागरूकता लाने और म्यूजियमों को सहेजने में अपना योगदान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वल्र्ड म्यूजियम डे मनाने का निर्णय लिया. हर साल यह 18 मई को मनाया जाता है. 1983 में पहली बार इस दिन को मनाया गया. इस दिन विभिन्न म्यूजियमों में कई कार्यक्रम आयोजित किये […]

म्यूजियम के प्रति लोगों में जागरूकता लाने और म्यूजियमों को सहेजने में अपना योगदान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वल्र्ड म्यूजियम डे मनाने का निर्णय लिया. हर साल यह 18 मई को मनाया जाता है. 1983 में पहली बार इस दिन को मनाया गया. इस दिन विभिन्न म्यूजियमों में कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. कई राज्य सरकारें तो म्यूजियम एक दिन के लिए नि:शुल्क कर देती हैं. इस बार की थीम है – म्यूजियम कलेक्शंस मेक कनेक्शंस.

भारत में म्यूजियम का इतिहास काफी पुराना है. जानकारों के अनुसार, अंगरेजी शासनकाल में भारत में पहले म्यूजियम की स्थापना हुई. उस समय की राजधानी रही कलकत्ता (कोलकाता) में 1814 में पहले भारतीय संग्रहालय की स्थापना की गयी. इस म्यूजियम को स्थापित करने के पीछे अंगरेजों की मंशा यहां की कलात्मक चीजों को अपने देश ले जाने की थी. ऐसा हुआ भी. इस म्यूजियम से कई दुर्लभ वस्तुएं इग्लैंड भेज दी गयीं. उसके बाद भारत में कई म्यूजियम बने. 1851 में केंद्रीय संग्रहालय मद्रास और 1863 में लखनऊ के राज्य संग्रहालय की स्थापना की गयी. वर्तमान में भारत में करीब 450 छोटे-बड़े संग्रहालय हैं.

नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री

यह म्यूजियम दिल्ली में है, पर इसकी रीजनल शाखाएं भोपाल, मैसूर, भुवनेश्वर, सवाई माधोपुर में भी हैं. म्यूजियम में तीन गैलरियां हैं. यहां आकर ऐसा लगता है, जैसे म्यूजियम नहीं चिड़ियाघर में आ गये हों. यहां रियल स्किन में केमिकल्स लगा कर उनकी स्टफिंग की गयी है. इससे यहां के पक्षी और जानवर बिलकुल सजीव दिखते हैं. यहां एनसीइआरटी के सिलेबस पर आधारित गैलरी भी मौजूद है. इसमें इनसान, जीव-जंतु, आहार और ऊर्जा के बीच की निर्भरता को बताया जाता है. एक खास गैलरी में पर्यावरण के बारे में भी बताया गया है. तुम्हें इससे पर्यावरण के फायदों के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिल जायेगी. इनके अलावा भी यहां तुम्हारे काम की कई महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हैं.

अनोखा है टॉयलेट म्यूजियम

भारत में एक म्यूजियम ऐसा भी है, जिसकी गिनती विश्व के अनोखे म्यूजियमों में होती है. यह म्यूजियम है दिल्ली का पालम स्थित सुलभ टायलेट म्यूजियम. इसकी स्थापना 1992 में हुई. यहां टॉयलेट से संबंधित ऐतिहासिक घटनाओं समेत, उसके उद्भव और विकास की कहानी को समझा जा सकता है. इतना ही नहीं, यहां विभिन्न आभूषणों से सुसज्जित टॉयलेट भी प्रदर्शनी में रखे गये हैं. यह म्यूजियम रविवार को बंद रहता है. यहां प्रवेश नि:शुल्क है.

हवा महल म्यूजियम

राजस्थान के जयपुर स्थित हवा महल में यह म्यूजियम है. इसे महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था. पैलेस ऑफ विंड्स के नाम से मशहूर इस महल में हजारों की संख्या में छोटी-छोटी खिड़कियां हैं. म्यूजियम की गैलरी में कई अनोखी चीजें देखने को मिल जायेंगी.

कर्नाटक गवर्नमेंट म्यूजियम

बैंगलोर स्थित यह म्यूजियम देश के चुनिंदा म्यूजियमों में से एक है. इसकी स्थापना 1856 में हुई. कर्नाटक की संस्कृति के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों की संस्कृति यहां देखने को मिलती हैं. यहां चंदन के बने क्राफ्ट्स, राजधानी हस्तकारी और मोहनजोदड़ो की कलाकृतियां भी मौजूद हैं.

प्रस्तुति : कुलदीप तोमर

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