<p>उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने स्पष्ट किया है कि उत्तर कोरिया प्रतिबंधों की वजह से नहीं बल्कि अपने आत्मविश्वास की वजह से दक्षिण कोरिया और अमरीका से बात करने को तैयार हुआ है. </p><p>अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के किम जोंग उन से मिलने का प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद कोरियन सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी (केसीएनए) की तरफ़ से ये बात सामने आई है. </p><p>इस रिपोर्ट में आलोचकों को छोटी सोच का कहकर उनकी निंदा की गई है जो उत्तर कोरिया की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं. </p><p>राष्ट्रपति ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाकात कब और कैसे होगी, इसके बारे में अभी जानकारी नहीं मिल पा रही है. </p><p>अगर ऐसा होता है तो अमरीका और उत्तर कोरिया के सत्ता प्रमुखों के बीच ये पहली मुलाकात होगी. </p><p>इसी साल फरवरी में ही अमरीका ने उत्तर कोरिया पर अब तक के सबसे बड़े प्रतिबंध लगाए थे जिसे ट्रंप के शब्दों में कहा जाए तो ये उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ ‘अधिकतम दबाव का अभियान’ है.</p><h1>’माहौल बिगाड़ने की कोशिश'</h1><p>केसीएनए ने सीधे तौर पर तो इस संभावित शिखर वार्ता पर कुछ नहीं कहा, लेकिन इसके मुताबिक इस ‘शांति प्रस्ताव’ से उत्तर कोरिया और अमरीका के रिश्तों में ‘बदलाव का संकेत’ नज़र आने लगा है. </p><p>संभावित शिखर वार्ता की ख़बरें आने के बाद ये पहली बार है जब केसीएनए ने अमरीका पर उत्तर कोरिया की बदलती नीति का ज़िक्र किया है. </p><p>मंगलवार को आए इस संपादकीय में कहा गया है, "उत्तर कोरिया का शांति प्रस्ताव उसके आत्मविश्वास को दिखाता है जिसका मतलब उन्होंने वो पाया जो उन्होंने चाहा." </p><p>"ये कहना बकवास है कि उत्तर कोरिया का ये कदम प्रतिबंध या दबाव का नतीजा है. ऐसा कहने वाले अपनी छोटी सोच ज़ाहिर कर रहे हैं ताकि माहौल ख़राब हो." </p><h1>तीनों देशों की वार्ता संभव</h1><p>इस महीने की शुरूआत में ही मुलाकात की संभावना पर चर्चा शुरू हुई. </p><p>किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया के हाथों अमरीका को ये संदेश पहुंचाया कि वो ट्रंप से मिलना चाहते हैं और अपने परमाणु कार्यक्रमों को छोड़ देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. </p><p>ट्रंप ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया, लेकिन उसके बाद से ही इस शिखर वार्ता को लेकर उत्तर कोरिया ने कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया है. </p><p>एक साल की उग्र कूटनीति और धमकियों के बाद ये एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम माना गया. </p><p>दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन भी अप्रैल में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से मिलने वाले हैं और उन्होंने संकेत दिया कि तीनों देशों के शिखर वार्ता भी संभव है. </p><p>दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के रिश्तों में विंटर ओलिंपिक के दौरान नरमी देखी गई थी जब दोनों देश संयुक्त झंडे के नीचे नज़र आए. </p><p>दक्षिण कोरिया और अमरीका ने अपनी सालाना साझा सैन्य अभ्यास को भी टाल दिया था जिसकी वजह से उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच बाचीत होना मुमकिन हो पाया. </p><p>अब ये सैन्य अभ्यास अगले महीने होगा. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> करें. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>
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‘प्रतिबंधों के डर से वार्ता को तैयार नहीं हुआ है उत्तर कोरिया’
<p>उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने स्पष्ट किया है कि उत्तर कोरिया प्रतिबंधों की वजह से नहीं बल्कि अपने आत्मविश्वास की वजह से दक्षिण कोरिया और अमरीका से बात करने को तैयार हुआ है. </p><p>अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के किम जोंग उन से मिलने का प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद कोरियन सेंट्रल न्यूज़ एजेंसी (केसीएनए) […]
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